भाजपा को सीधे मुकाबले वाले राज्यों में घेरेगी कांग्रेस, प्रदेश इकाइयों में प्राण फूंक रहे राहुल गांधी
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 24, 2021 04:34 PM2021-07-24T16:34:23+5:302021-07-24T16:39:33+5:30
पंजाब और उत्तराखंड में नये चेहरे लाने के बाद अब उनके द्वारा जल्द ही गोवा और गुजरात के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की संभावना है.
वेंकटेश केसरी
नई दिल्लीः भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए एक बेहद सोची-समझी रणनीति के तहत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रयास आरंभ कर दिए हैं. जिन राज्यों में भाजपा से सीधे मुकाबले की स्थिति है वहां राहुल ने प्रदेश इकाइयों में प्राण फूंकना शुरू कर दिए हैं.
पंजाब और उत्तराखंड में नये चेहरे लाने के बाद अब उनके द्वारा जल्द ही गोवा और गुजरात के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने की संभावना है. इन सभी राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने भी अब संगठन को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने की बनिस्बत राज्य स्तर पर ध्यान देना शुरू कर दिया है.
दरअसल उसे इस बात का अहसास हो चुका है कि अगर भाजपा को विधानसभा चुनावों में रोक दिया गया तो यह 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की ताकत को कम कर देगा. कुछ दिन पहले ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गणोश धोंडियाल को उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनाव प्रचार समिति प्रमुख बनाया गया था. कांग्रेस को उत्तराखंड में जीत की उम्मीद है, जहां पर विभाजित भाजपा को चार साल में तीन मुख्यमंत्री नियुक्त करना पड़े हैं.
सामने हैं ये चुनौतियां
उत्तराखंड में ब्राह्मणों, राजपूतों और अजा को साधना.
गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावडा का इस्तीफा अब तक विचाराधीन होना.
राजस्थान में सचिन पायलट की स्थिति अब तक स्पष्ट न होना.
पायलट की भूमिका अब तक स्पष्ट नहीं
गोवा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीष चोडणकर पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि गुजरात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमित चावडा का इस्तीफा एआईसीसी के पास विचाराधीन है. गुजरात में स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी के बेहद कमजोर प्रदर्शन के बाद चावडा ने इस्तीफा दे दिया था.
हालांकि राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में होना हैं, लेकिन एआईसीसी अभी तक पूर्व उपमुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की स्पष्ट भूमिका तय नहीं कर सकी है. इस फैसले को ज्यादा लंबित रखना पार्टी के हित में नहीं होगा.
उत्तर प्रदेश के लिए चल रही उठापटक
उत्तर प्रदेश में पार्टी के अंदरूनी सूत्रों को उम्मीद है कि पार्टी किसी ब्राrाण को बड़ी जिम्मेदारी सौंपेगी. इस समुदाय का भाजपा से मोहभंग होता दिख रहा है जबकि दूसरी ओर बसपा प्रमुख मायावती ने ब्राह्मणों को उज्जवल भविष्य के वादे से रिझाना शुरू कर दिया है.