तिरुवनंतपुरम, 27 जुलाई कांग्रेस नीत संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) ने केरल में कोविड-19 महामारी एवं उसके चलते लगाये गये लॉकडाउन से आम लोगों के सामने उत्पन्न हुई आजीविका की समस्या एवं उनपर पड़े वित्तीय बोझ के मुद्दे के समाधान की कथित विफलता को लेकर मंगलवार को पिनराई विजयन सरकार को निशाने पर लिया।
हालांकि, वामपंथी सरकार ने इस घातक वायरस से तबाह हुए विभिन्न क्षेत्रों को पटरी पर लाने के लिए करोड़ों रुपये के पुनर्वास पैकेज एवं विभिन्न योजनाओं को गिनाते हुए आरोपों का खंडन किया।
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी विधायकों ने विधानसभा में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और सदन की अन्य कार्यवाही रोककर इस पर चर्चा कराने की मांग की, जिसे अध्यक्ष एम बी राजेश ने खारिज कर दिया। उसपर विपक्षी विधायकों से सदन से बहिर्गमन किया।
स्थगन प्रस्ताव के लिये नोटिस की मांग करते हुए आईयूएमएल विधायक पी के कुन्हालकुट्टी ने आरोप लगाया कि सरकार वायरस को काबू में रखने और उसके प्रबंधन में बुरी तरह विफल रही। उन्होंने कहा कि बीमारी फैलने के बाद जमीनी स्तर पर लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने में संघर्ष कर रहे हैं तथा दिहाड़ी मजदूर, व्यापारी, छोटे व्यापारियों की आजीविका चली गयी।
वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि केरल एक ऐसा राज्य है जहां महामारी के चलते किसी की भुखमरी नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब कांग्रेस शासित पंजाब समेत कई राज्य कर्मचारियों की तनख्वाह देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो केरल पेंशन के लिए प्रतिमाह 1600 करोड़ रूपये खर्च कर रहा है। उन्होंने विभिन्न योजनाएं एवं पैकेज गिनाए।
मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि विपक्ष का एकमात्र लक्ष्य सरकार में कमी ढूंढना है।
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