नई दिल्लीः कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना ट्विटर अकाउंट बंद (लॉक) किये जाने को लेकर खड़े हुए विवाद की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को इस माइक्रोब्लॉगिंग मंच पर जमकर निशाना साधा।
राहुल गांधी सहित कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं के ट्विटर अकॉउंट को लॉक किये जाने को लेकर समूची पार्टी ने ट्विटर और मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी ने संकेत दिये कि ट्विटर को ब्लॉक किये जाने के बाद मोदी सरकार के इशारे पर राहुल का इंस्टाग्राम अकॉउंट भी ब्लॉक करने की तैयारी हो रही है। ताकि कांग्रेस अपनी बात लोगों तक न पहुंचा सके।
गौरतलब है कि ट्विटर अकॉउंट ब्लॉक होने के बाद राहुल व पार्टी के दूसरे नेता इंस्टाग्राम के जरिए अपनी बात रख रहे थे। ट्विटर और सरकार की इस कार्रवाई से आहत राहुल ने लिखा " सबसे गंभीर बात ये है कि एक कंपनी अपने व्यापार के लिए इस देश की राजनीतिक प्रक्रिया में दखल दे रही है, भारत के करोड़ों लोगों की आवाज दबाने में सरकार की मदद कर रही है।"
कांग्रेस का कहना है कि संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल, मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला, महासचिव अजय माकन, जितेंद्र सिंह, सांसद मणिकम टैगोर, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुष्मिता देव, प्रवक्ता पवन खेड़ा और कई अन्य नेताओं के ट्विटर अकाउंट लॉक किये गए हैं।
पार्टी के नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने आरोप लगाया कि दलितों के लिये न्याय की आवाज़ उठाने वालों का स्वर दबाने के लिये मोदी सरकार ने ट्विटर जैसे सोशल मीडिया का सहारा लिया है। संघ और सरकार दलित विरोधी है। उसकी निगाह में दलितों की कीमत कुत्ता बिल्ली से भी गई बीती है। मायावती जो अपने को दलितों की नेता बताती हैं खामोश हैं क्योंकि वह भाजपा की गोद में बैठी हैं।
राहुल ने ट्विटर पर देश की की राजनीति में दखल देने का भी आरोप लगाया। एक वीडिओ संदेश के ज़रिये उन्होंने कहा, "ट्विटर हैंडल पर रोक लगा करके वे हमारी राजनीतिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं। एक कंपनी हमारी राजनीति को परिभाषित करने का कारोबार कर रही है और एक राजनीतिज्ञ के तौर पर मुझे यह पसंद नहीं है।
यह राहुल गांधी पर हमला नहीं है, यह देश के लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला है। यह बात केवल राहुल गांधी को चुप कराने तक सीमित नहीं है। 2 करोड़ फॉलोअर्स हैं। आप उन्हें अपने विचार रखने के अधिकार से वंचित कर रहे हैं। राहुल का साफ़ मानना था कि हमारे लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। हमें संसद में बोलने की अनुमति नहीं है। मीडिया नियंत्रित है। मुझे लगा था कि ट्विटर एक ऐसी प्रकाश की किरण है, जहां हम अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं। लेकिन जाहिर है, ऐसा नहीं है।