बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजनीतिक परिवारों के 'वारिसों' को किया निराश, दिग्गज नेताओं के बेटे रह गए टिकट से वंचित

By एस पी सिन्हा | Updated: October 17, 2025 18:42 IST2025-10-17T18:09:40+5:302025-10-17T18:42:57+5:30

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और पूर्व उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार अपने बेटेअंशुल अभिजीत के लिए टिकट की मांग कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अंशुल पिछले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से उम्मीदवार थे।

Congress disappointed the heirs of political families in the Bihar Assembly elections, with sons of prominent leaders denied tickets. | बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजनीतिक परिवारों के 'वारिसों' को किया निराश, दिग्गज नेताओं के बेटे रह गए टिकट से वंचित

बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजनीतिक परिवारों के 'वारिसों' को किया निराश, दिग्गज नेताओं के बेटे रह गए टिकट से वंचित

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने राजनीतिक परिवारों के 'वारिसों' (बेटों और बेटियों) को टिकट देने में सख्ती दिखाई है। पहले चरण के नामांकन समाप्त होने के करीब आने के बावजूद, पार्टी ने युवा पीढ़ी को तरजीह देने की जगह अनुभवी और पुराने चेहरों पर भरोसा जताया है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष और पूर्व उप-प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार अपने बेटेअंशुल अभिजीत के लिए टिकट की मांग कर रही थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। अंशुल पिछले लोकसभा चुनाव में पटना साहिब से उम्मीदवार थे।

वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री शकील अहमद भी अपने बेटे के लिए बिहार से टिकट चाह रहे थे, लेकिन उनकी ख्वाहिश पूरी नहीं हुई। इसी तरह कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और एमएलसी मदन मोहन झा के बेटे को भी टिकट नहीं मिला। केंद्रीय चुनाव समिति ने इन दोनों की लोगों के बीच कम मौजूदगी को इसका कारण बताया। जबकि चार बार के विधायक और वरिष्ठ नेता अजीत शर्मा अपनी फिल्म अभिनेत्री बेटी नेहा शर्मा के लिए टिकट की मांग कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने बेटी की जगह पिता अजीत शर्मा को ही उम्मीदवार बनाया।

इसी तरह पूर्व विधायक अवधेश कुमार सिंह ने अपने बेटे शशि शेखर सिंह के लिए वजीरगंज सीट से टिकट मांगा था। शशि शेखर 2020 का चुनाव हार गए थे। इसलिए, पार्टी ने बेटे की जगह खुद पिता अवधेश सिंह को ही मैदान में उतारा है। अब उनका मुकाबला भाजपा के वीरेंद्र सिंह से होगा। वहीं, सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह अपने बेटे के लिए कुर्था सीट से टिकट मांग रहे हैं, लेकिन यह सीट अभी महागठबंधन में सीट बंटवारे की उलझन में फंसी हुई है। 

इस बीच टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं सांसद तारिक अनवरने खुलकर नाराजगी जताई है। उन्होंने सवाल उठाया कि 30 हजार से ज्यादा वोटों से हारने वाले प्रत्याशी को फिर से टिकट दिया गया है, जबकि महज 113 वोटों से हारने वाले पूर्व विधायक गजानंद शाही का टिकट काट दिया गया। बता दें कि विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें 48 उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं। लेकिन सूची जारी होते ही पार्टी में मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे है। 

बता दें कि गजानंद शाही ने 2020 में बरबीघा सीट से चुनाव लड़ा था और महज 113 वोटों के अंतर से हार गए थे। वे उस समय राज्य के सबसे अमीर प्रत्याशियों में शामिल थे, जिनकी कुल संपत्ति 61 करोड़ रुपये से अधिक थी। वह 2020 में महज 113 वोटों से हार गए थे। जदयू के खाते में ये सीट गई थी। इसके पहले गजानंद शाही ने 2010 में यहां जदयू के टिकट पर जीत हासिल की थी। लेकिन 2020 के चुनाव में  गजानंद शाही मात्र 113 वोटों से हार गए थे। दरअसल, बिहार में पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि समाप्त होने तक कांग्रेस को लेकर यह स्पष्ट नहीं है कि वह कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

Web Title: Congress disappointed the heirs of political families in the Bihar Assembly elections, with sons of prominent leaders denied tickets.

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