राफेल सौदा: कांग्रेस का आरोप- मनोहर पर्रिकर को पता है कि घोटाला हुआ है इसलिए साजिशन चुप हैं
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: August 27, 2018 19:50 IST2018-08-27T19:50:05+5:302018-08-27T19:50:05+5:30
कांग्रेस राहुल गांधी ने संसद के मॉनसून सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फ्रांस से खरीदे जा रहे राफेल विमानों के सौदे में चुप्पी साधने का आरोप लगाया था।

राफेल सौदा: कांग्रेस का आरोप- मनोहर पर्रिकर को पता है कि घोटाला हुआ है इसलिए साजिशन चुप हैं
पणजी, 27 अगस्त (भाषा) कांग्रेस ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर केंद्र पर सवालों से बचने का आरोप लगाते हुए कहा कि ‘‘साजिश के तहत खामोशी’’ अख्तियार की गई है और ‘‘राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखने’’ की कोशिश की गई है।
पार्टी प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने दावा किया कि 2016 में जब फ्रांस से 36 लड़ाकू विमान खरीदने का करार हुआ था तब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को विश्वास में नहीं लिया गया था। उन्होंने पर्रिकर से इस मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ने की मांग की।
पणजी में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि पर्रिकर की खामोशी उस साजिश में सहमति के समान है जिसके तहत देश को धोखा दिया गया है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने राष्ट्रीय हितों के बजाय अपने हितों को तरजीह दी।
प्रवक्ता ने दावा किया कि केंद्र सरकार ने विमान की कीमत बढ़ाई, विमानों की संख्या को कम किया और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी के बजाय इसे एक ‘मित्रवत’ निजी कंपनी को दे दिया।
चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘ मैं इसे राफेल सौदा नहीं कहती हूं। यह एक घोटाला है। और सरकार जो कर रही है और जिस तरह से खुद का बचाव कर रही है, यह शर्म की बात है।’’
साजिश के तहत मौन रखने का आरोप
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि जांच से बचने या जांच कराने की जिम्मेदारी से बचने के लिए साजिश के तहत मौन अख्तियार किया गया है। इस मामले में साफ है कि कैसे राष्ट्रीय हितों को ताक पर रखकर आप अपने लोगों की मदद कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गोवा के मुख्यमंत्री पर्रिकर उस वक्त रक्षा मंत्री के रूप में फ्रांस में मौजूद नहीं थे जब सौदे पर हस्ताक्षर हुए थे।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘ उनकी मौजूदगी तो भूल जाइए, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर (सौदे को लेकर) प्रधानमंत्री के ऐलान के लिए तैयार तक नहीं थे और अचंभित रह गए थे। इससे हम यह समझते हैं कि उनको (पर्रिकर को) इस बात की जानकारी नहीं थी कि सौदे पर बातचीत हुई है, सहमति बनी है और हस्ताक्षर हुए हैं।’’
पर्रिकर नवंबर 2014 से मार्च 2017 तक रक्षा मंत्री थे। चतुर्वेदी ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि पर्रिकर सौदे से संबंधित सवालों का जवाब दें।
पर्रिकर से कांग्रेस ने पूछे सवाल
प्रियंका चतुर्वेदी ने दावा किया कि पर्रिकर जानते थे कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) के नियमों को ताक पर रखा गया है और रक्षा खरीद की प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि पर्रिकर ने मामले पर चुप्पी अख्तियार की हुई है।
उन्होंने कहा कि सितंबर 2016 में सौदा होने से कुछ दिन पहले पर्रिकर ने कहा था कि अनुबंध की कुछ शर्तों से समझौता नहीं किया जा सकता।
उन्होंने दावा किया,‘‘ ये वही उपबंध थे जिनपर फ्रांस में समझौता किया गया।’’
चतुर्वेदी ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने 126 बहु भूमिका वाले लड़ाकू विमान खरीदने के लिए वास्तविक निविदा आमंत्रित की थी और राफेल तथा यूरोफाइटर टाइफून तकनीकी पहलुओं पर एक समान पाए गए थे।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि राफेल ने सबसे कम बोली लगाई और यूरोफाइटर टाइफून ने चार जुलाई 2014 को तत्कालीन रक्षा मंत्री को एक पत्र लिखकर कीमत में 20 प्रतिशत की कमी करने की पेशकश की।
चतुर्वेदी ने जानना चाहा कि क्यों दोनों कंपनियों को फिर से बोली लगाने को नहीं कहा गया।
पीएम मोदी पर फिर लगाया आरोप
प्रियंका चतर्वेदी ने कहा कि संप्रग सरकार ने 126 विमानों को खरीदने के लिए बातचीत की थी जिसमें से 18 को तैयार हालत में आना था जबकि बाकी प्रौद्योगिकी के स्थानांतरण के आधार पर आते।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि उनका निर्माण भारत में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड करती। इसके दो फायदे होते- हम अपने विमान खुद बना पाते और निर्यात की शर्त के अनुबंध से 36,000 करोड़ रुपये का फायदा एचएएल को होता।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी फ्रांस यात्रा के दौरान सौदे की शर्तों को बदल दिया और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के उपबंध को हटा दिया गया।
सरकार लगातार कांग्रेस के आरोपों को खारिज कर रही है।
रक्षा मंत्री निर्मला सीतामरण ने कहा है कि पारदर्शी प्रक्रिया के पालन के बाद सौदा किया गया है और हथियार प्रणाली के साथ प्रत्येक विमान की कीमत संप्रग सरकार द्वारा तय किए गए मूल्य से बहुत कम है।