बधाई हो!, जग्गा और कालिया लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल, जानिए क्या है मामला

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 13, 2019 11:10 AM2019-11-13T11:10:51+5:302019-11-13T11:10:51+5:30

लिम्का बुक ने कहा है कि देश में यह इस तरह की पहली सर्जरी थी। न्यूरोसर्जन प्रोफेसर अशोक कुमार महापात्रा और डॉक्टर दीपक कुमार गुप्ता की अगुवाई में 125 चिकित्सकों और सहायक चिकित्सा कर्मचारियों ने ओडिशा के कंधमाल जिले के 28 महीने के जुड़वा बच्चों को अलग किया था।

Congratulations !, Jagga and Kalia included in Limca Book of Records, know what is the matter | बधाई हो!, जग्गा और कालिया लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल, जानिए क्या है मामला

ये जटिल सर्जरी दो चरणों में की गई थी।

Highlightsयह सर्जरी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में की गई थी।महापात्रा जो उस समय एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख थे, ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे लिए यह एक बड़ी चुनौती थी।

सिर से जुड़े दो जुड़वा बच्चों जग्गा और कालिया की 2017 में हुई सफल कपाल शल्यचिकित्सा को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के 2020वें संस्करण में शामिल किया गया है।

लिम्का बुक ने कहा है कि देश में यह इस तरह की पहली सर्जरी थी। न्यूरोसर्जन प्रोफेसर अशोक कुमार महापात्रा और डॉक्टर दीपक कुमार गुप्ता की अगुवाई में 125 चिकित्सकों और सहायक चिकित्सा कर्मचारियों ने ओडिशा के कंधमाल जिले के 28 महीने के जुड़वा बच्चों को अलग किया था।

यह सर्जरी नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में की गई थी। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड के कार्यकारी संपादक ट्रेसा बेंजामिन द्वारा गुप्ता को भेजे गए एक ई-मेल में लिखा है, ‘‘बधाई हो! हमें आपको यह बताते हुए खुशी है कि आपके रिकॉर्ड को लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स के 2020वें संस्करण में शामिल किया गया है।’’

ये जटिल सर्जरी दो चरणों में की गई थी। पहली 28 अगस्त, 2017 को और फिर 25 अक्टूबर, 2017 को और इसे रिकॉर्ड बुक में भारत की पहली कपाल शल्यचिकित्सा के रूप में दर्ज किया गया है। महापात्रा जो उस समय एम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रमुख थे, ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे लिए यह एक बड़ी चुनौती थी। यह भारत की पहली सफल कपाल शल्यचिकित्सा थी।’’ इस सर्जरी के तहत एम्स के ‘वेन बैंक’ से नाड़ी लेकर उसे कालिया के मस्तिष्क में प्रत्यारोपित किया गया, क्योंकि बच्चों के मस्तिष्क में केवल एक नाड़ी थी।

महापात्रा ने बताया कि इस तरह नाड़ी प्रत्यारोपण का यह दुनिया में पहला मामला था। चिकित्सा दल ने न्यूयार्क निवासी बाल न्यूरोसर्जन प्रोफेसर जेम्स टी गुडरिच की सलाह ली, जिन्होंने इस तरह की दो सर्जरी की थी और उन्हें दुनिया में इस क्षेत्र का विशेषज्ञ माना जाता है।

उन्होंने बताया कि पिछले 33 साल में इस तरह की मुश्किल से 12 या 13 सर्जरी की गई हैं। महापात्रा इस समय सेवानिवृत्त हो चुके हैं और यहां एक निजी विश्वविद्यालय से संबंद्ध हैं। गुप्ता से संपर्क नहीं हो सका। जग्गा और कालिया ओडिशा में अपने घर लौटने से पहले दो साल तक एम्स, दिल्ली में रहे। 

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