रियायतें अब भी निलंबित, मार्च 2020 से करीब चार करोड़ बुजुर्गों ने पूरा किराया देकर रेल यात्रा की

By भाषा | Updated: November 21, 2021 19:11 IST2021-11-21T19:11:33+5:302021-11-21T19:11:33+5:30

Concessions still suspended, since March 2020, about four crore elderly people traveled by rail by paying full fare | रियायतें अब भी निलंबित, मार्च 2020 से करीब चार करोड़ बुजुर्गों ने पूरा किराया देकर रेल यात्रा की

रियायतें अब भी निलंबित, मार्च 2020 से करीब चार करोड़ बुजुर्गों ने पूरा किराया देकर रेल यात्रा की

(अनन्या सेनगुप्ता)

नयी दिल्ली, 21 नवंबर मार्च 2020 में कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण रेलवे द्वारा रियायतों को निलंबित किए जाने के बाद से लगभग चार करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को अपनी यात्रा के लिए पूरा किराया चुकाना पड़ा है। सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई जानकारी में यह बात सामने आई है।

मध्य प्रदेश निवासी चंद्रशेखर गौड़ द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में रेलवे ने कहा है कि 22 मार्च 2020 से सितंबर 2021 के बीच 3,78,50,668 वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेनों में यात्रा की। इस अवधि के दौरान कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के मद्देनजर कई महीनों तक ट्रेन सेवाएं निलंबित रहीं। मार्च 2020 से स्थगित की गईं रियायतें आज तक निलंबित हैं।

वरिष्ठ नागरिकों के मामले में, महिलाएं 50 प्रतिशत रियायत के लिए पात्र हैं, जबकि पुरुष 40 प्रतिशत छूट प्राप्त कर सकते हैं। इस श्रेणी में महिलाओं के लिए न्यूनतम आयु सीमा 58 और पुरुषों के लिए 60 वर्ष है।

अगले सप्ताह कोलकाता की यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे वरिष्ठ नागरिक तापस भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘हमें जो रियायत दी जाती थी वह काफी महत्वपूर्ण थी और उन लोगों के लिए बहुत बड़ी मदद की तरह है जो इसे वहन नहीं कर सकते। कई घरों में वरिष्ठ नागरिकों को एक अतिरिक्त सदस्य के रूप में माना जाता है, उनकी अपनी कोई आय नहीं होती है। इन रियायतों से उन्हें कहीं आने-जाने में मदद मिलती है। नियमित ट्रेन सेवाएं संचालित किए जाने के साथ वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतें बहाल की जानी चाहिए। अधिकतर बुजुर्ग पूरा किराया नहीं दे सकते।’’

पिछले दो दशकों में रेलवे द्वारा दी जाने वाली रियायतों पर काफी चर्चा हुई है, जिसमें कई समितियों ने उन्हें वापस लेने की सिफारिश भी की। इसका नतीजा यह हुआ कि जुलाई 2016 में रेलवे ने टिकट बुक करते समय बुजुर्गों को मिलने वाली रियायत को वैकल्पिक बना दिया। जुलाई 2017 में, रेलवे ने बुजुर्गों के लिए ‘रियायत छोड़ने’ के विकल्प की योजना भी शुरू की।

पिछले महीने एक पत्र में, मदुरै के सांसद एस. वेंकटेशन ने रेल मंत्री से रेल यात्रा के लिए यात्रियों को दी जाने वाली रियायतों को बहाल करने की अपील करते हुए कहा कि यह उस देश में बुजुर्गों के लिए आवश्यक है जहां 20 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं।

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ नागरिक यात्रियों की ओर से ‘गिव इट अप’ (रियायत छोड़ने की) योजना को मिली प्रतिक्रिया बहुत उत्साहजनक नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया कि कुल 4.41 करोड़ वरिष्ठ नागरिक यात्रियों में से 7.53 लाख (1.7 प्रतिशत) यात्रियों ने 50 प्रतिशत रियायत छोड़ने का विकल्प चुना और 10.9 लाख (2.47 प्रतिशत) यात्रियों ने 100 प्रतिशत रियायत छोड़ दी।

रेलवे ने पिछले दस दिनों में अपनी ऐसी कुछ सेवाओं को बहाल कर दिया है, जिसे उसने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर निलंबित कर दिया था। इसमें रेलगाड़ियों से ‘‘विशेष’’ टैग को हटाना भी शामिल है। इससे टिकटों की कीमतों में कमी आई है। ट्रेनों में गर्म पका हुआ भोजन परोसने की सेवा को भी फिर से शुरू किया गया है। हालांकि, रियायतें बहाल करने और बेडरोल उपलब्ध कराने का निर्णय अभी भी लंबित है।

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Web Title: Concessions still suspended, since March 2020, about four crore elderly people traveled by rail by paying full fare

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