NAAC ने दिया सुझाव, कॉलेजों में 10 प्रतिशत अंक 'तार्किक चिन्तन' का होना चाहिए, उच्चशिक्षा में सुधार के लिए जारी किया श्वेतपत्र
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: June 2, 2022 12:17 PM2022-06-02T12:17:12+5:302022-06-02T13:10:01+5:30
राष्ट्रीय मूल्यांकन और मान्यता परिषद के तहत गठित एक विशेषज्ञ समिति ने छात्रों में तार्किक चिन्तन को बढ़ावा देने के लिए कम से कम 10 फीसदी अंक उनके द्वारा हासिल उच्च स्तर के अनुभवजनित ज्ञान को परखकर दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय मूल्यांकन और मान्यता परिषद (एनएएसी) के तहत गठित एक विशेषज्ञ समिति ने कॉलेज स्तर के परीक्षा प्रश्न पत्रों में बदलाव का प्रस्ताव रखा है ताकि छात्रों में तार्किक चिन्तन को बढ़ावा दिया जा सका।
छात्रों में तार्किक चिन्तन को बढ़ावा देने के लिए कम से कम 10 फीसदी अंक उनके द्वारा हासिल उच्च स्तर के अनुभवजनित ज्ञान को परखकर दिए जाने का प्रस्ताव रखा गया है।
यह प्रस्ताव एनएएसी द्वारा बुधवार को देश में उच्च शिक्षण संस्थानों के मूल्यांकन और मान्यता प्रक्रिया को संशोधित करने पर प्रकाशित श्वेत पत्र का हिस्सा है। इसे एनएएसी कार्यकारी समिति के अध्यक्ष भूषण पटवर्धन और पूर्व भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के प्रोफेसर केपी मोहनन ने लिखा है।
इस श्वेत पत्र की एनएएसी अकादमिक सलाहकार समिति और कार्यकारी समिति ने समीक्षा की है और उसका समर्थन किया है। श्वेत पत्र में ऐसे प्रश्नों के हिस्से को बाद में 20 फीसदी और भविष्य में 40 फीसदी तक बढ़ाने का भी सुझाव दिया गया है। छात्रों के बीच उच्च स्तर की अनुभूति का विकास एक प्रमुख राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का प्रस्ताव है।