रोचक तथ्य, जाने कैसे मिला 1977 में सुषमा स्वराज को टिकट

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 7, 2019 12:47 PM2019-08-07T12:47:29+5:302019-08-07T12:47:29+5:30

विज ने कहा,‘‘ वर्ष 1977 में पहले सोम प्रकाश चोपड़ा को टिकट दिया गया था जो आपातकाल के दौरान जेल में थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वह चुनावी मैदान में नहीं उतरे और टिकट सुषमाजी को दिया गया। वह चुनाव जीतीं और जनता पार्टी की सरकार बनी।’’

Chopra was given a ticket in 1977, but Sushma Swaraj contested due to this. | रोचक तथ्य, जाने कैसे मिला 1977 में सुषमा स्वराज को टिकट

हरियाणा के मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से बुधवार को जारी आदेश में बताया गया कि राज्य सरकार ने महान हस्ती सुषमा स्वराज के सम्मान में दो दिनों का राजकीय शोक घोषित करने का फैसला किया है।

Highlightsपूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर हरियाणा में दो दिन का राजकीय शोक, लोग स्तब्ध।अंबाला छावनी स्थित स्वराज के घर में काम करने वाली गौरी ने कहा, ‘‘ वह बहुत अच्छी थीं।

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर हरियाणा सरकार ने दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। वहीं, स्वराज के आकस्मिक निधन से हरियाणा के लोग स्तब्ध हैं।

अंबाला छावनी, जहां स्वराज का बचपन गुजरा था, वहां लोग उनकी स्नेहमयी और सभी का ध्यान रखने वाली छवि को याद कर रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री सचिवालय की ओर से बुधवार को जारी आदेश में बताया गया कि राज्य सरकार ने महान हस्ती सुषमा स्वराज के सम्मान में दो दिनों का राजकीय शोक घोषित करने का फैसला किया है।

इसके तहत बुधवार और गुरुवार को सरकारी इमारतों पर फहरा रहे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहेंगे। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री एवं अंबाला छावनी विधानसभा सीट से विधायक अनिल विज ने स्वराज के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें विरल गुणों वाला व्यक्तित्व करार दिया। उन्होंने याद किया कि स्वराज मात्र 25 साल की उम्र में पहली बार विधायक चुनी गई थीं और वह राज्य की शिक्षा मंत्री बनीं।

विज ने कहा,‘‘ वर्ष 1977 में पहले सोम प्रकाश चोपड़ा को टिकट दिया गया था जो आपातकाल के दौरान जेल में थे, लेकिन किन्हीं कारणों से वह चुनावी मैदान में नहीं उतरे और टिकट सुषमाजी को दिया गया। वह चुनाव जीतीं और जनता पार्टी की सरकार बनी।’’ विज ने बताया कि 1990 में स्वराज राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुईं और तब से वह अंबाला छावनी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्वराज का पालन-पोषण उनकी मां की मृत्यु के बाद नाना-नानी ने किया था।

अंबाला छावनी स्थित स्वराज के घर में काम करने वाली गौरी ने कहा, ‘‘ वह बहुत अच्छी थीं। कुछ महीने पहले यहां आई थीं। जब उन्हें पता चला कि मेरी दो बेटियां हैं, तो उन्होंने कहा कि दोनों को अच्छी शिक्षा दो और कोई भी जरूरत हो तो बताना। हम उन्हें ‘बुआजी’ कहते थे। मैं उनके निधन से दुखी हूं। साथ ही मुझे गर्व है कि वह इस ऊंचाई तक पहुंची, जो लाखों लोगों के लिए आदर्श है।’’ स्वराज परिवार के घर के नजदीक रहने वाले बुजुर्ग श्याम बिहारी ने कहा कि वह बचपन से ही बहस में हिस्सा लेने में रुचि रखती थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘6वीं कक्षा में ही स्वराज का रुझान राजनीति की ओर से दिखा और बाद में उन्हें पता चला कि उनका लक्ष्य क्या है। वह बहुत ही स्नेहमयी, ख्याल रखने वाली और दूसरों की मदद करने वाली थीं। वह हर जरूरतमंद की मदद करती थीं, चाहे वह उनका समर्थक हो या विरोधी पार्टी का हो।’’

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ट्वीट किया, ‘‘स्वराज के निधन की खबर सुनकर स्तब्ध हूं। यह मेरे लिए निजी क्षति है। उनके योगदान को हरियाणा और भारत कभी नहीं भूलेगा। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार के सदस्यों के साथ है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।’’ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि स्वराज का निधन उनके लिए निजी क्षति है। वह दुलर्भ गुणों वाली महिला थीं जो हमेशा मदद के लिए तैयार रहती है। 

Web Title: Chopra was given a ticket in 1977, but Sushma Swaraj contested due to this.

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