चिन्मयानंद मामला: कोर्ट ने चिन्मयानंद और पीड़ित छात्रा की जमानत याचिका की खारिज, हाई कोर्ट जाएंगे पूर्व गृह राज्यमंत्री
By भाषा | Updated: September 30, 2019 20:51 IST2019-09-30T20:48:58+5:302019-09-30T20:51:04+5:30
जिला सत्र न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता अनुज कुमार सिंह ने फोन पर बताया कि आज जिला एवं सत्र न्यायालय में स्वामी चिन्मयानंद की जमानत की अर्जी पर सुनवाई हुई

स्वामी चिन्मयानंद जब निर्वस्त्र होकर पीड़िता से मालिश करवाते थे और इस दौरान जब पीड़िता इसका विरोध करती थी तब उसके साथ बल प्रयोग किया जाता था।
यौन शोषण के मामले में जेल में बंद पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद तथा उनसे रंगदारी मांगने कि आरोपी पीड़ित छात्रा की जमानत अर्जी को सोमवार को जिला एवं सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया । जिला सत्र न्यायालय के शासकीय अधिवक्ता अनुज कुमार सिंह ने फोन पर बताया कि आज जिला एवं सत्र न्यायालय में स्वामी चिन्मयानंद की जमानत की अर्जी पर सुनवाई हुई जिसे जिला न्यायाधीश रामबाबू शर्मा ने सुना इसके अलावा स्वामी चिन्मयानंद से रंगदारी मांगने की आरोपी पीड़िता छात्रा की भी जमानत याचिका पर सुनवाई की गई ।
शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद एवं रंगदारी की आरोपी पीड़ित छात्रा दोनों की जमानत याचिका को जिला सत्र न्यायालय ने निरस्त कर दिया है। वहीं स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने बताया की वह स्वामी चिन्मयानंद की जमानत याचिका खारिज होने के बाद इस मामले की अपील इलाहाबाद उच्च न्यायालय में करेंगे ।
पीड़ित छात्रा के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने बताया कि आज स्वामी चिन्मयानंद की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान शासकीय अधिवक्ता ने यह तर्क भी सामने रखा कि स्वामी चिन्मयानंद जब निर्वस्त्र होकर पीड़िता से मालिश करवाते थे और इस दौरान जब पीड़िता इसका विरोध करती थी तब उसके साथ बल प्रयोग किया जाता था।
त्रिवेदी ने बताया कि ऐसे में जहां पर बल प्रयोग किया जाता है उस मामले में धारा 376 ही लगाई जाती है ना कि 376 (सी) लगाई जाती है। पीड़िता के अधिवक्ता त्रिवेदी ने बताया पीड़िता की जमानत अर्जी पर बहस के दौरान उनका कहना था कि जो रंगदारी का वीडियो पहले वायरल किया गया था उसके दो हिस्से बनाए गए पहले हिस्से को वायरल कर दिया गया और उसी वीडियो का दूसरा हिस्सा 26 सितंबर को वायरल किया गया और इस वीडियो में छेड़छाड़ (टेंपरिंग) की गई है।
वहीं दूसरी और पीड़ित छात्रा ने जेल में बंद होने के दौरान जेल अधीक्षक के माध्यम से एक प्रार्थना पत्र सीजीएम की अदालत में भेजा था जिसमें पीड़िता ने कहा था कि वह स्वयं उपस्थित होकर अदालत में अपनी बात रखना चाहती है क्योंकि वह स्वयं अधिवक्ता है, जिसे न्यायालय ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामले की जांच विशेष जांच दल एसआईटी कर रही है और इलाहाबाद उच्च न्यायालय इसकी निगरानी कर रहा है ।