चीन ने एक बार फिर लद्दाख को भारत का हिस्सा मानने से किया इनकार, जानें 7वें दौर की वार्ता में भारत ने क्या कहा

By अनुराग आनंद | Published: October 13, 2020 04:41 PM2020-10-13T16:41:20+5:302020-10-13T16:41:20+5:30

अधिकारी ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में कोर कमांडर स्तर की वार्ता दोपहर लगभग 12 बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चुशूल क्षेत्र में भारतीय इलाके में हुई और रात साढ़े आठ बजे के बाद भी जारी रही।

China again refuses to consider Ladakh as part of India, know what India said in the 7th round of talks | चीन ने एक बार फिर लद्दाख को भारत का हिस्सा मानने से किया इनकार, जानें 7वें दौर की वार्ता में भारत ने क्या कहा

चीन व भारतीय सेना अधिकारी ( पहले की फाइल फोटो)

Highlightsकमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव ने चीन के साथ वार्ता की।वार्ता में चीनी विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी ने भी इस बैठक के दौरान चीनी प्रतिनिधिमंडल की तरफ से हिस्सा लिया।

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के समाधान के लिए भारत ने चीन के साथ सातवें दौर की सैन्य वार्ता की वार्ता की है। मिल रही जानकारी के मुताबिक, इस वार्ता के दौरान भी चीन ने एक बार फिर साफ शब्दों में भारत से कहा है कि चीन लद्दाख को भारत का हिस्सा नहीं मानता है और भारत ने लद्दाख को अवैध तरह से केंद्र शासित प्रदेश बनाया है। 

बता दें कि सोमवार को हुई इस बैठक में भारत ने चीन से अप्रैल पूर्व की यथास्थिति बहाल करने को कहा है। इसके साथ ही भारत ने विवाद के सभी बिन्दुओं से चीनी सैनिकों की पूर्ण वापसी करने को कहा है। सरकारी सूत्रों ने यह बात कही है।

दोपहर लगभग 12 बजे से लेकर रात 8 बजे तक एलएसी पर जारी रही वार्ता- 

अधिकारी ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में कोर कमांडर स्तर की वार्ता दोपहर लगभग 12 बजे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चुशूल क्षेत्र में भारतीय इलाके में हुई और रात साढ़े आठ बजे के बाद भी जारी रही। सीमा विवाद छठे महीने में प्रवेश कर चुका है और विवाद का जल्द समाधान होने के आसार कम ही दिखते हैं क्योंकि भारत और चीन ने बेहद ऊंचाई वाले क्षेत्रों में लगभग एक लाख सैनिक तैनात कर रखे हैं जो लंबे गतिरोध में डटे रहने की तैयारी है।

अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है-

वार्ता के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि एजेंडा विवाद के सभी बिन्दुओं से सैनिकों की वापसी के लिए एक प्रारूप को अंतिम रूप देने का था। भारतीय प्रतिनिधमंडल का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों के संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव कर रहे रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि वार्ता में चीनी विदेश मंत्रालय का एक अधिकारी भी चीनी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा है।

India-China military commanders

सूत्रों ने बताया कि वार्ता में भारत ने जोर देकर कहा कि चीन को विवाद के सभी बिन्दुओं से अपने सैनिकों को जल्द और पूरी तरह वापस बुलाना चाहिए तथा पूर्वी लद्दाख में सभी क्षेत्रों में अप्रैल से पूर्व की यथास्थिति बहाल होनी चाहिए। गतिरोध पांच मई को शुरू हुआ था।

राजनाथ सिंह समेत सभी बड़े अधिकारियों ने शुक्रवार को बैठक के लिए रणनीति तैयार की थी-

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों सहित चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) ने सैन्य वार्ता के लिए शुक्रवार को भारत की रणनीति को अंतिम रूप दिया था।

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सीएसजी चीन के बारे में भारत की महत्वपूर्ण नीति निर्धारक इकाई है। सातवें दौर की सैन्य वार्ता शुरू होने से पहले सूत्रों ने कहा था कि भारत पैंगोंग नदी के दक्षिणी किनारे कई रणनीतिक ऊंचाइयों से भारतीय सैनिकों की वापसी की चीन की मांग का मजबूती से विरोध करेगा।

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उल्लेखनीय है कि भारतीय सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त की रात पैंगोंग नदी के दक्षिणी किनारे स्थित रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कई ऊंचाइयों पर कब्जा कर लिया था जिससे वहां भारतीय सेना की स्थिति काफी मजबूत हो गई है। भारतीय सेना ने चीनी सेना के जवाब में सीमा पर टैंक और अन्य भारी अस्त्र-शस्त्र उतार दिए हैं तथा ईंधन, भोजन और सर्दियों में काम आने वाली चीजों की पर्याप्त व्यवस्था की है। 

(भाषा इनपुट समेत)

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