लालू यादव के सियासी ऑफर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठुकराया, लोगों को नहीं हो पा रहा है नीतीश पर भरोसा

By एस पी सिन्हा | Updated: January 5, 2025 14:56 IST2025-01-05T14:55:40+5:302025-01-05T14:56:30+5:30

अपने प्रगति यात्रा के क्रम में रविवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि हम दो बार गलती से इधर से उधर चले गए थे। अब हमेशा साथ रहेंगे और बिहार के साथ देश का विकास करेंगे। 

Chief Minister Nitish Kumar rejected Lalu Yadav's political offer, people are not able to trust Nitish | लालू यादव के सियासी ऑफर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठुकराया, लोगों को नहीं हो पा रहा है नीतीश पर भरोसा

लालू यादव के सियासी ऑफर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ठुकराया, लोगों को नहीं हो पा रहा है नीतीश पर भरोसा

पटना: राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के सियासी ऑफर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा सिरे से ठुकरा दिए जाने के बाद भी चर्चाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अपने प्रगति यात्रा के क्रम में रविवार को मुजफ्फरपुर पहुंचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कहा कि हम दो बार गलती से इधर से उधर चले गए थे। अब हमेशा साथ रहेंगे और बिहार के साथ देश का विकास करेंगे। 

उन्होंने कहा कि आप पत्रकार हैं, एक एक बतवा जानिये न पहले महिलाओं की स्थिति थी? जब हम लोग किये जीविका दी कहना शुरू किये हम लोग देखिये कितना बढ़ियां बोलती हैं महिला। हम जीविका दिये तो केंद्र ने आजीविका दिया। 

उन्होंने कहा कि याद करिये पहले जब था, खूब प्रेस वाला सब जोर देते हैं।  हमको दू बार गलती से ऊ सब के साथ जोड़ दिया। हम लोग हर जाति के लिए काम किये हिंदू, अल्पसंख्यक, दलित, पिछड़ा, अपर कास्ट सबके लिए काम किये हैं। 

ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा अपनी चुप्पी तोड़े जाने के बाद सियासी अटकलों का कुहासा कुछ हद तक छट गया है। हालांकि बिहार के लोगों को अभी भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भरोसा नही हो पा रहा है। लोगों को लगता है कि पता नही कब पलटू चाचा पलटी मार दें। 

इसका कारण यह है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पलटी मार सियासत के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं। अभी के बयान कुछ और थोड़ी ही देर बाद कुछ नया गुल खिला देते हैं। बता दें कि लालू यादव ने नए साल के मौके पर कहा था कि नीतीश कुमार के लिए हमारा दरवाजा तो खुला है, नीतीश को भी खोलकर रखना चाहिए। 

उन्होंने कहा था कि नीतीश आते हैं तो साथ काहे नहीं लेंगे? नीतीश साथ में आए, काम करें। लालू यादव के इस बयान से सियासी गहमागहमी बढ़ गई थी। हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि नीतीश कुमार प्रेशर पॉलिटिक्स के माहिर खिलाड़ी हैं और यह पूरा मामला बिहार विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे दे भी जोड़कर देखा जा रहा है। 

दरअसल, नीतीश कुमार आधी सीट चाहते हैं। जबकि भाजपा इसके लिए राजी नही है। कारण कि विधानसभा चुनाव में एनडीए के सभी सहयोगियों को शामिल करना होगा। यही विवाद का असली कारण है। 

सियासत के जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार अपने कोटे से सिर्फ जीतन राम मांझी की पार्टी को सीटें देना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा को भाजपा अपने कोटे से सीट दे। लेकिन भाजपा इसके लिए तैयार नहीं दिखती। उसका कहना है कि सीट बंटवारे में सामूहिक भागीदारी हो। बस इसी बात को लेकर सारा विवाद खड़ा हो रहा है। 

इस बीच इस पूरे घमासान के बीच अचानक से बिहार के राज्यपाल को बदल दिया। राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर की जगह आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस तरह से 26 वर्षों के अंतराल के बाद बिहार को अल्पसंख्यक राज्यपाल मिला है। 

इससे पहले एआर किदवई 14 अगस्त 1993 से 26 अप्रैल 1998 तक बिहार के राज्यपाल रहे थे। कहा जा रहा है कि राजद के 'माय' वोट बैंक में सेंधमारी के लिए ही विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में अल्पसंख्यक राज्यपाल को नियुक्त किया गया है। अल्पसंख्यक भले ही भाजपा को वोट ना करें। लेकिन नीतीश कुमार को इसका फायदा जरूर मिलेगा। 

वहीं इससे पहले कांग्रेस ने अल्पसंख्यक उपमुख्यमंत्री बनाने का दांव चला था, जिसे राजद ने ही अस्वीकार कर दिया था। ऐसे में अब राजद को बड़ी दिक्कत हो सकती है। बता दें कि बिहार में इस साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं।

इसके चलते एनडीए और इंडिया गठबंधन अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं। पिछली बार एनडीए में जदयू 122 तो भाजपा 121 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। उस चुनाव में जदयू ने अपने कोटे में से 7 सीटें हम को दी थी तो भाजपा ने अपनी 9 सीटें मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को दी थीं। चिराग पासवान अलग होकर चुनाव लड़े थे। इस बार चिराग पासवान और उपेन्द्र कुशवाहा भी साथ हैं, जबकि सहनी महागठबंधन के साथ हैं।

Web Title: Chief Minister Nitish Kumar rejected Lalu Yadav's political offer, people are not able to trust Nitish

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