चंद्रमा की ओर सफलतापूर्वक बढ़ रहा है चंद्रयान-3, पूरी की दो-तिहाई दूरी, इसरो ने दी जानकारी
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: August 4, 2023 17:11 IST2023-08-04T17:09:35+5:302023-08-04T17:11:21+5:30
आगामी 24 अगस्त को चंद्रयान 3 मिशन का रोबोटिक उपकरण चंद्रमा पर उस जगह उतरेगा जहां अब तक दुनिया का कोई भी देश अपने अभियान को सफलता पूर्वक अंजाम नहीं दे पाया है। साल 2019 में चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग की वजह से मिशन खराब हो गया था।

चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है
नई दिल्ली: इसरो के महात्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है। अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी मार्क 3 (एलवीएम 3) हेवी-लिफ्ट लॉन्च वाहन की सहायता से लॉन्च किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया, "अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा की लगभग दो-तिहाई दूरी तय कर ली है। लूनर ऑर्बिट इंजेक्शन (एलओआई) 5 अगस्त, 2023 को लगभग 19:00 बजे के लिए निर्धारित किया गया है।"
Chandrayaan-3 Mission: The spacecraft has covered about two-thirds of the distance to the moon. Lunar Orbit Injection (LOI) set for Aug 5, 2023: ISRO
— ANI (@ANI) August 4, 2023
(Photo: ISRO) pic.twitter.com/97bbQkEenl
चंद्रयान-3, भारत का तीसरा चंद्र अन्वेषण मिशन है जो भारत को अमेरिका, चीन और रूस के बाद चौथा देश बना देगा जो चंद्रमा की सतह पर अपना अंतरिक्ष यान उतारने में कामयाब हुए हैं। अंतरिक्ष यान को 14 जुलाई, 2023 को 14:35 बजे LVM-3 से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। 24 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर के चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है। अंतरिक्ष यान वर्तमान में चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने के उद्देश्य से अंतरिक्ष में चक्कर लगा रहा है।
चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचने में लॉन्च तिथि से लगभग 33 दिन लगेंगे। चंद्रमा पर लैंडिंग के बाद यह एक चंद्र दिवस तक काम करेगा, जो लगभग 14 पृथ्वी दिवस के बराबर है। चंद्रमा पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। चंद्रयान -3 में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक और मैकेनिकल उपप्रणालियाँ शामिल हैं जिनका उद्देश्य सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिग सुनिश्चित करना है।
बता दें कि आगामी 24 अगस्त को चंद्रयान 3 मिशन का रोबोटिक उपकरण चंद्रमा पर उस जगह उतरेगा जहां अब तक दुनिया का कोई भी देश अपने अभियान को सफलता पूर्वक अंजाम नहीं दे पाया है। साल 2019 में चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिंग की वजह से मिशन खराब हो गया था। इस बार इसरो का लक्ष्य लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना है। अगर लैंडर और रोवर सफलता पूर्वक चांद की सबसे मुश्किल सतह पर उतरते हैं तो ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे। जिस जगह रोबोटिक उपकरण उतरेगा उसका नाम है शेकलटन क्रेटर (Shackleton Crater)। शेकलटन क्रेटर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित है। इस जगह का तापमान -267 डिग्री फारेनहाइट रहता है।