Chandrayaan-3: रोवर प्रज्ञान ने चंद्रमा पर की सैर: 'मेड इन इंडिया, मेड फॉर मून'
By मनाली रस्तोगी | Updated: August 24, 2023 10:38 IST2023-08-24T10:33:49+5:302023-08-24T10:38:41+5:30
भारत ने चंद्रमा पर चहलकदमी की, इसरो ने विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर के बाहर निकलने और चहलकदमी करने के बाद ट्वीट किया।

फोटो क्रेडिट: ट्विटर
नई दिल्ली: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल और ऐतिहासिक सॉफ्ट लॉन्च के बाद चंद्रयान 3 के पहले विकास में इसरो ने ट्वीट किया, रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर से नीचे उतर गया है और चंद्रमा पर सैर कर चुका है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को ट्वीट कर लिखा, "भारत में निर्मित, चंद्रमा के लिए निर्मित, Ch-3 रोवर लैंडर से नीचे उतरा और भारत ने चंद्रमा पर सैर की!"
बुधवार शाम 6:04 बजे सफल लैंडिंग के बाद चंद्रयान 3 चंद्रमा की धूल के शांत होने का इंतजार कर रहा था। विक्रम लैंडर के पेट से जुड़े प्रज्ञान रोवर के लुढ़कने की प्रक्रिया शुरू हुई और वह बाहर आ गया। विक्रम से निकलने वाले प्रज्ञान की पहली तस्वीर भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र के अध्यक्ष पवन के गोयनका ने साझा की है।
चंद्रयान 3 चंद्रमा लैंडिंग: पिछले 12 घंटों में क्या हुआ?
शाम 6:04 बजे चंद्रयान 3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इसने लैंडिंग के लिए चंद्रमा की सतह पर एक समतल क्षेत्र को चुना। इसने लैंडिंग इमेजर कैमरे द्वारा ली गई लैंडिंग साइट की एक तस्वीर भेजी। चंद्रयान 3 लैंडर और MOX-ISTRAC बेंगलुरु के बीच संचार लिंक स्थापित किया गया था। लैंडर ने उतरते समय लैंडिंग की कुछ तस्वीरें लीं जिन्हें उसने धरती पर भेजा।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 24, 2023
Chandrayaan-3 ROVER:
Made in India 🇮🇳
Made for the MOON🌖!
The Ch-3 Rover ramped down from the Lander and
India took a walk on the moon !
More updates soon.#Chandrayaan_3#Ch3
फिर लैंडर से रोवर प्रज्ञान के बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू हुई। विक्रम से निकले रोवर की पहली तस्वीर धरती पर भेजी गई। अब प्रज्ञान नीचे उतरा और टहलने लगा।
क्या है प्रज्ञान रोवर? अब यह चांद पर क्या करेगा?
प्रज्ञान रोवर अब अगले 14 दिनों तक चंद्रमा की सतह पर कई प्रयोग करेगा और उन डेटा को लैंडर को भेजेगा। इसका वजन 26 किलोग्राम है और इसमें दो पेलोड हैं। एक चंद्र सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करेगा, दूसरा लैंडिंग स्थल के आसपास चंद्र मिट्टी और चट्टानों की मौलिक संरचना का निर्धारण करेगा।