चंद्रयान-2ः केंद्रीय विद्यालय के 16 छात्र पीएम मोदी के साथ चंद्रमा पर उतरने का नजारा देखेंगे
By भाषा | Published: September 3, 2019 07:17 PM2019-09-03T19:17:55+5:302019-09-03T19:17:55+5:30
भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान, जीएसएलवी मैक-थ्री एम1 द्वारा 22 जुलाई को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित 3,840 किलोग्राम के चंद्रयान-दो अंतरिक्ष यान के मुख्य ऑर्बिटर द्वारा चंद्रमा की यात्रा के सभी अभियानों को अंजाम दिया गया है।
देशभर में स्थित केंद्रीय विद्यालयों के 16 छात्र सात सितंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ चंद्रयान-2 के चंद्रमा पर उतरने का नजारा देखेंगे।
केंद्रीय विद्यालय संगठन की विज्ञप्ति के अनुसार, इन 16 छात्रों का चयन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा आयोजित आनलाइन क्वीज प्रतियोगिता के जरिये किया गया है। इसरो की ओर से आयोजित इस आनलाइन क्वीज प्रतियोगिता में विभिन्न केंद्रीय विद्यालयों के 150279 छात्रों ने हिस्सा लिया था ।
चंद्रयान-2 के लैंडर को निचली कक्षा में उतारा गया, चंद्रमा के और करीब पहुंचे
चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से लैंडर ‘विक्रम’ के अलग होने के एक दिन बाद इसरो ने मंगलवार को बताया कि उसने यान को चंद्रमा की निचली कक्षा में उतारने का पहला चरण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है इसके साथ ही शनिवार को चांद की सतह पर ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग के लिये लैंडर को कक्षा से नीचे उतारने की एक अंतिम प्रक्रिया ही शेष है।
इसरो ने कहा कि लैंडर पर लगी प्रणोदक प्रणाली को पहली बार इसे नीचे की कक्षा में लाने के लिये सक्रिय किया गया। इससे पहले इसने स्वतंत्र रूप से चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा शुरू कर दी थी। भू-तुल्यकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान, जीएसएलवी मैक-थ्री एम1 द्वारा 22 जुलाई को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित 3,840 किलोग्राम के चंद्रयान-दो अंतरिक्ष यान के मुख्य ऑर्बिटर द्वारा चंद्रमा की यात्रा के सभी अभियानों को अंजाम दिया गया है।
ISRO: The first de-orbiting maneuver for Chandrayaan-2 spacecraft was performed successfully today (September 03, 2019) beginning at 0850 hrs IST (India Standard Time), as planned, using the onboard propulsion system. The duration of the maneuver was 4 seconds. pic.twitter.com/s1laGfryy1
— ANI (@ANI) September 3, 2019
भारतीय अंतरिक्ष अनुंसधान संगठन (इसरो) सात सितंबर को लैंडर विक्रम को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने से पहले बुधवार को एक बार फिर यान को और निचली कक्षा में ले जाएगा। इस सफल लैंडिंग के साथ भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद ऐसा चौथा देश हो जाएगा जो चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में सफल होगा।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के रहस्यों का पता लगाने के लिये लॉन्च होने वाला यह पहला मिशन है। इसरो ने बताया, ‘‘चंद्रयान को निचली कक्षा में ले जाने का कार्य मंगलवार सुबह भारतीय समयानुसार 8 बजकर 50 मिनट पर सफलतापूर्वक और पूर्व निर्धारित योजना के तहत किया गया। यह प्रकिया कुल चार सेकेंड की रही।’’
एजेंसी के बताया, ‘‘विक्रम लैंडर की कक्षा 104 किलोमीटर गुना 128 किलोमीटर है। चंद्रयान-2 ऑर्बिटर चंद्रमा की मौजूदा कक्षा में लगातार चक्कर काट रहा है और ऑर्बिटर एवं लैंडर पूरी तरह से ठीक हैं। एक बार फिर चार सितंबर को भारतीय समयानुसार तड़के तीन बजकर 30 मिनट से लेकर चार बजकर 30 मिनट के बीच इसकी कक्षा में कमी की जाएगी।’’
भारत के दूसरे चंद्रमा मिशन ‘चंद्रयान-2’ के एक अहम पड़ाव पर सोमवार को लैंडर विक्रम ऑर्बिटर से सफलतापूर्वक अलग हुआ। योजना के तहत ‘विक्रम’ और उसके भीतर मौजूद रोवर ‘प्रज्ञान’ के सात सितंबर को देर रात एक बज कर 30 मिनट से दो बज कर 30 मिनट के बीच चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है।
इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि चंद्रमा पर लैंडर के उतरने का क्षण ‘दिल की धड़कनों को रोकने वाला’ होगा क्योंकि एजेंसी ने पहले ऐसा कभी नहीं किया है । चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद ‘विक्रम’ से रोवर ‘प्रज्ञान’ उसी दिन सुबह पांच बज कर 30 मिनट से छह बज कर 30 मिनट के बीच निकलेगा और एक चंद्र दिवस के बराबर चंद्रमा की सतह पर रहकर परीक्षण करेगा।
चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है। लैंडर का भी मिशन जीवनकाल एक चंद्र दिवस ही होगा जबकि ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। लैंडर विक्रम की कक्षा में दो बार कमी से यह चंद्रमा के और करीब पहुंच जाएगा। उल्लेखनीय है कि 3,840 किलोग्राम वजनी चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को जीएसएलवी मैक-3 एम1 रॉकेट से प्रक्षेपित किया गया था।
इस योजना पर 978 करोड़ रुपये की लागत आई है। चंद्रयान-2 उपग्रह ने धरती की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की तरफ अपनी यात्रा 14 अगस्त को इसरो द्वारा ‘ट्रांस लूनर इंसर्शन’ नाम की प्रक्रिया को अंजाम दिये जाने के बाद शुरू की थी। ये प्रक्रिया अंतरिक्ष यान को “लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्ट्री” में पहुंचाने के लिये अपनाई गई।
भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक अहम मील के पत्थर के तहत अंतरिक्ष यान 20 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया था। बेंगलुरु स्थित इसरो के कमांड सेंटर से इस अभियान पर लगातार नजर रखी जा रही है।