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सुई की छेद से सात पतंगें निकाल कर बनाया विश्व रिकॉर्ड, जानिए इनके बारे में

By बलवंत तक्षक | Updated: January 13, 2021 18:22 IST

पंजाब में मोहाली के डॉ. दविंदर पाल सगहल ने सुई की छेद से सबसे छोटी सात पतंगों को निकालकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर्स में अपना नाम दर्ज करवाया.

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ठळक मुद्दे2002 में यूरोप की स्लोविक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम आया.2003 में पंजाब सकार ने स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया है.सहगल ने दुनिया की सबसे छोटी पतंग बनाने का रिकॉर्ड बनाया है.

चंडीगढ़ः क्या सुई की छेद से कोई पतंग निकाल सकता है? अगर सुई की छेद से कोई सात पतंग निकाल दे तो क्या यह भी विश्व रिकॉर्ड बन सकता है? कोई माने या न माने, लेकिन पंजाब में मोहाली के डॉ. दविंदर पाल सगहल ने ऐसा करके विश्व रिकॉर्ड बना लिया है.

डॉ. सहगल अपनी पतंगों से विश्व शांति व भाइचारे का संदेश देते हैं. सुई की छेद से सात पतंगें निकाल कर उन्होंने लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर्स में अपना नाम दर्ज करवा लिया है. पंजाब सकार भी उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित कर चुकी है. केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्षरत किसानों की आवाज उन्होंने अपनी पतंगों के माध्यम से उठाई है.

इससे पहले भी पतंगों के जरिए उन्होंने नशा, कन्या भ्रूण हत्या, पर्यावरण संरक्षण, स्वस्थ भारत, योग दिवस जैसे मौकों पर विशेष संदेश दिया हैं. सहगल का कहना है कि पूरी दुनिया स्वस्थ्य और खुशहाल रहे. विश्व में शांति बनी रहे, लोगों को उनका यही संदेश है. सहगल ने दुनिया की सबसे छोटी पतंग बनाने का रिकॉर्ड बनाया है.

ये पतंग इतनी छोटी थी कि सुई की छेद से सात पतंग निकल गई और हर पतंग में एक संदेश लिखा था. डॉ. सहगल पंजाब स्टेट फोरेंसिक लैब के असिस्टेंट डायरेक्टर हैं. पतंगबाजी और काइट मेंकिंग में कई अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं. काइट मेकिंग से इंटरनेशनल स्तर पर चंडीगढ़ व पंजाब को नई पहचान दिलाने में प्रयासरत हैं. ऐसे शुरू हुआ पतंगबाजी का सफर : डॉ. दविंदर पाल सिंह सगहल ने बताया कि पतंगों से प्यार और दोस्ती का सफर बचपन से ही शुरू हो गया था.

बचपन में पतंग उड़ाते हुए कई बार गिरे भी लेकिन उन्होंने इसे नहीं छोड़ा. वर्ष 1978 के बाद से वे हर साल पतंग मेकिंग कंपीटीशन में हिस्सा ले रहे हैं. साथ ही कई सालों तक वह विजेता बनते रहे. जब पंजाब में आतंकवाद का माहौल था तो उन्होंने पतंगों से विश्व शांति व आपसी भाइचारे का संदेश दिया. इस दौरान वह बटरफ्लाई की तरह दिखने वाली पतंग बनाकर उड़ाते थे, जिसे उस समय खूब पसंद किया गया.

कई अवार्ड अपने नाम किए: उन्होंने अपने इसी जूनून को आगे बढ़ाने की सोची और फिर उन्होंने सुई की छेद से सबसे छोटी सात पतंगों को निकालकर लिम्का बुक ऑफ रिकॉडर्स में अपना नाम दर्ज करवा दिया. 2002 में यूरोप की स्लोविक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज हो गया था. वहीं, 2003 में पंजाब सकार ने उन्हें स्टेट अवार्ड से सम्मानित किया था.

डॉ. सगहल ने 2008 में चाइना में हुए वर्ल्ड काइट कंपीटीशन में भाग लिया था. इसके बाद उन्होंने साउथ कोरिया में हुए कंपीटीशन में देश का नाम रोशन किया था. इन दिनों वह एक नए मिशन में जुटे हैं. वह रोजाना हर पांच लोगों के चेहरों पर खुशियां लाने की कोशिश करते हैं. उनका कहना है कि इस भागदौड़ की जिंदगी में लोगों के चेहरों से मुस्कराहट बिल्कुल गायब हो चुकी है.

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