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यमन में पूर्व पति से नाबालिग बेटियों के संरक्षण की मांग कर रही महिला, केंद्र ने असमर्थता जताई, कहा- हमारा अधिकार क्षेत्र नहीं

By विशाल कुमार | Updated: March 27, 2022 14:23 IST

वर्ष 2017 में पति ने पत्नी और उसके चार बच्चों को ‘जबरन’ भारत वापस भेज दिया, लेकिन दो बेटियों को अपने पास रखा। तब इन दोनों की उम्र छह और नौ साल थी। महिला को कई महीने बाद पता चला कि उसने एक यमनी महिला से शादी कर ली है और दोनों बेटियों को अपने साथ लेकर यमन चला गया।

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ठळक मुद्देकेंद्र ने कहा कि वह विदेशी अदालत में कार्यवाही के लिए वित्तीय सहायता नहीं मुहैया करा सकती।सरकार ने कहा कि वह सऊदी अरब की अदालत के आदेश को भी वहां लागू नहीं कर सकती है।केंद्र ने केरल हाईकोर्ट में महिला की याचिका के जवाब में बयान दाखिल करके अपने रुख को साफ किया।

कोच्चि: यमन में रह रहे पूर्व पति से अपनी दो नाबालिग बेटियों को खुद के संरक्षण (कस्टडी) में लेने की मांग कर रही छह बच्चों की मां की मदद करने में केंद्र सरकार ने असमर्थता जताई है। महिला ने बेटियों को अपने संरक्षण में लेने के लिए केरल उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

केंद्र सरकार ने कहा कि वह विदेशी अदालत में कानूनी कार्यवाही के लिए वित्तीय सहायता नहीं मुहैया करा सकती। केंद्र के इस रुख से श्रीलंकाई मूल के पति से बेटियों को वापस दिलाने की मांग कर रही महिला के प्रयास को तगड़ा झटका लगा है।

केंद्र सरकार ने कहा कि यमन में भारतीय दूतावास के पास उसके पति या उसकी बेटियों को अपनी निगरानी में लेने का अधिकार नहीं है। सरकार ने कहा कि वह महिला को बच्चों का संरक्षण देने वाली सऊदी अरब की अदालत के आदेश को भी वहां लागू नहीं कर सकती है।

केंद्र ने केरल हाईकोर्ट में महिला की याचिका के जवाब में बयान दाखिल करके अपने रुख को साफ किया। याचिका में केंद्र सरकार को उसे कानूनी सहायता समेत अन्य आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है, ताकि वह अपनी दो नाबालिग बेटियों को अपने संरक्षण में ले सके।

वकील जोस अब्राहम के माध्यम से दायर याचिका के मुताबिक महिला ने वर्ष 2006 में श्रीलंकाई नागरिक से शादी की और दोनों के छह बच्चे हैं। शादी के बाद दोनों सऊदी अरब में रह रहे थे।

वर्ष 2017 में पति ने पत्नी और उसके चार बच्चों को ‘जबरन’ भारत वापस भेज दिया, लेकिन दो बेटियों को अपने पास रखा। तब इन दोनों की उम्र छह और नौ साल थी। महिला को कई महीने बाद पता चला कि उसने एक यमनी महिला से शादी कर ली है और दोनों बेटियों को अपने साथ लेकर यमन चला गया।

इसके बाद महिला ने वर्ष 2019 में अपनी बेटियों को अपने अधिकार में लेने के लिए रियाद शरिया अदालत में एक मुकदमा दायर किया। अदालत ने एक पक्षीय आदेश देकर महिला के पक्ष में फैसला सुनाया।

याचिका में बताया गया कि इस आदेश को क्रियान्वित नहीं किया जा सका क्योंकि सऊदी पुलिस के अनुसार उसके पति को यमन से वापस लाने का कोई रास्ता नहीं था।

महिला ने बताया कि केंद्र सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने और सऊदी अदालत के आदेश के अनुरूप बेटियों को वापस लाने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए अनुरोध किया गया था। महिला ने बताया कि सरकार की ओर से इस दिशा में कुछ नहीं किये जाने पर उसे अदालत का दरवाजा खटखटाने लिए मजबूर होना पड़ा।

टॅग्स :Kerala High CourtKeralaमोदी सरकारmodi government
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