कोरोना संक्रमण होने के 30 दिन के अंदर हुई मौत तो इसे माना जाएगा 'कोविड डेथ', जारी हुई नई गाइडलाइन
By विनीत कुमार | Published: September 12, 2021 09:01 AM2021-09-12T09:01:41+5:302021-09-12T09:06:53+5:30
कोरोना से देश में होने वाली मौतों पर केंद्र सरकार ने नए दिशानिर्देश जारी किए हैं। अब कोविड पॉजिटिव होने के बाद किसी की 30 दिन के अंदर हुई मौत को कोरोना से हुई मौत माना जाएगा।
नई दिल्ली: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर ने संयुक्त रूप से कोविड-19 से हुई मौतों पर नई गाइडलाइन जारी की है।
इन नई गाइडलाइंस के अनुसार किसी शख्स के कोविड-19 पॉजिटिव पाए जाने के 30 दिन के अंदर हुई मौत को कोरोना से हुई मौत ही माना जाएगा, भले ही मरीज की मौत अस्पताल से बाहर हुई हो।
साथ ही कोविड -19 रोगी जो 30 दिनों से अधिक समय तक अस्पताल या इन-पेशेंट सुविधा में भर्ती रहता है और फिर बाद में उसकी वहां मृत्यु हो जाती है, तो उसे भी कोविड डेथ के तौर पर गिना जाएगा।
जारी दिशानिर्देशों में कहा गया है, 'कोविड -19 मामले जिसमें मरीज ठीक नहीं हुए और उनकी मृत्य अस्पताल या घर पर हुई और जहां फॉर्म 4 और 4 ए में मृत्यु के कारण का मेडिकल सर्टिफिकेट (एमसीसीडी) जारी किया गया है, उसे कोविड-19 की मौत के रूप में माना जाएगा।'
कोविड मामले की पुष्टि के लिए रोगी का या तो टेस्ट होना चाहिए या फिर चिकित्सकीय रूप से संक्रमित होने संबंधी निर्धारित किया जाना चाहिए।
कोविड डेथ में किसे नहीं गिना जाएगा?
केंद्र की गाइडलाइन के अनुसार जहर लेना, आत्महत्या, हत्या, दुर्घटना आदि के कारण होने वाली मौतों को कोविड -19 की मौत नहीं माना जाना चाहिए, भले ही शख्स कोविड से भी संक्रमित हुआ हो।
ऐसे मामलों में जहां मृत्यु के मेडिकल सर्टिफिकेट में मौत के दिए गए कारण से परिवार संतुष्ट नहीं है, और जो किसी भी दिए गए श्रेणी के अंतर्गत नहीं आता है, वहां जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया जाएगा जो इसे देखेगा।
ये दिशानिर्देश केंद्र द्वारा उस समय जारी किए गए हैं जब हाल में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को मृतक के परिवार के सदस्यों को कोविड -19 मौतों से संबंधित आधिकारिक दस्तावेज जारी करने के लिए 'सरल दिशानिर्देश' तैयार करने के निर्देश दिया था।
कोर्ट ने सरकार से यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि ये दिशानिर्देश मृतक के परिवार के सदस्यों को एक रास्ता प्रदान करें, जो उन्हें जारी मृत्यु के कारण के मेडिकल सर्टिफिकेट में सुधार की मांग कर रहे हैं।