केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्डः 75 प्रतिशत अटेंडेंस नहीं तो परीक्षा से बाहर?, सीबीएसई ने कहा- ‘डमी स्कूल’ में नामांकित कक्षा 12 के विद्यार्थी नहीं दे सकेंगे पेपर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 27, 2025 16:07 IST2025-03-27T16:06:24+5:302025-03-27T16:07:29+5:30

Central Board of Secondary Education: ‘डमी स्कूलों’ में पढ़ने वाले कक्षा 12 के विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति देने से इनकार किया जा सकता है: सीबीएसई अधिकारी।

Central Board of Secondary Education you excluded exam not go to school regularly CBSE said Students enrolled dummy schools not allowed take board exam | केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्डः 75 प्रतिशत अटेंडेंस नहीं तो परीक्षा से बाहर?, सीबीएसई ने कहा- ‘डमी स्कूल’ में नामांकित कक्षा 12 के विद्यार्थी नहीं दे सकेंगे पेपर

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Highlightsनियमित स्कूल नहीं जाने के लिए संबंधित विद्यार्थी और उनके अभिभावक जिम्मेदार होंगे।‘डमी स्कूल’ में नामांकित विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति नहीं दी जाएगी।नियमित स्कूल नहीं पहुंचने वाले विद्यार्थियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

नई दिल्लीः केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने ‘डमी स्कूलों’ में प्रवेश लेने वाले छात्रों को चेतावनी देते हुए कहा है कि जो छात्र नियमित कक्षाओं में शामिल नहीं होंगे, उन्हें 12वीं की बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि ‘डमी स्कूलों’ में प्रवेश के दुष्परिणामों की जिम्मेदारी स्वयं विद्यार्थियों और अभिभावकों की होगी। सीबीएसई ‘डमी स्कूलों’ के खिलाफ जारी कार्रवाई के तहत परीक्षा उपनियमों में बदलाव करने पर विचार कर रही है, ताकि ऐसे छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं में बैठने से रोका जा सके।

इन्हें राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) की परीक्षा देनी होगी। बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘यदि कोई परीक्षार्थी स्कूल से गायब पाया जाता है या बोर्ड द्वारा किए गए औचक निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाया जाता है, तो ऐसे परीक्षार्थियों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

नियमित तौर पर कक्षाओं में शामिल नहीं होने के दुष्परिणामों के लिए संबंधित छात्र और उसके अभिभावक जिम्मेदार होंगे।’’ अधिकारी ने कहा कि ‘डमी’ संस्कृति को बढ़ावा देने वाले या गैर-हाजिर छात्रों को प्रायोजित करने वाले विद्यालयों के खिलाफ बोर्ड की संबद्धता और परीक्षा उपनियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

यह मुद्दा बोर्ड की हाल ही में हुई शासकीय बोर्ड बैठक में भी उठाया गया था, जहां यह सिफारिश की गई थी कि इस निर्णय को शैक्षणिक सत्र 2025-2026 से लागू किया जाए। अधिकारी ने बताया, ‘‘परीक्षा समिति में इस मामले पर विस्तार से चर्चा की गई और यह निष्कर्ष निकला कि बोर्ड के नियमों के अनुसार, बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने के लिए छात्रों की न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।’’

उन्होंने कहा कि यदि अपेक्षित उपस्थिति पूरी नहीं होती है, तो केवल गैर-उपस्थिति वाले स्कूल में नामांकन लेने से ऐसे छात्र सीबीएसई परीक्षा में बैठने के हकदार नहीं हो सकते। अधिकारी ने कहा, ‘‘यदि सीबीएसई द्वारा अनुमति नहीं दी जाती है तो ऐसे छात्र परीक्षा में बैठने के लिए एनआईओएस से संपर्क कर सकते हैं।

यह भी चर्चा की गई कि बोर्ड केवल चिकित्सा आपात स्थिति, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भागीदारी और अन्य गंभीर कारणों जैसे मामलों में ही 25 प्रतिशत की छूट प्रदान करता है।’’ अधिकारी के मुताबिक बोर्ड इस बात पर विचार कर रहा है कि जिन छात्रों की उपस्थिति अपेक्षित नहीं होगी, बोर्ड उनकी अभ्यर्थिता पर विचार नहीं करेगा तथा ऐसे छात्रों को परीक्षा के लिए पंजीकृत करने वाले स्कूल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।

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