केन्द्र ने न्यायालय से कहा : कोविड-19 मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर लगाने का कोई निर्देश नहीं

By भाषा | Published: December 3, 2020 08:04 PM2020-12-03T20:04:48+5:302020-12-03T20:04:48+5:30

Center told the court: no instructions to put posters outside the houses of Kovid-19 patients | केन्द्र ने न्यायालय से कहा : कोविड-19 मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर लगाने का कोई निर्देश नहीं

केन्द्र ने न्यायालय से कहा : कोविड-19 मरीजों के घरों के बाहर पोस्टर लगाने का कोई निर्देश नहीं

नयी दिल्ली, तीन दिसंबर केन्द्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसके दिशानिर्देशों में कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने के बारे में कोई निर्देश नहीं है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को सरकार ने यह जानकारी दी। सरकार की ओर से स्थिति स्पष्ट किये जाने के बाद पीठ ने कोविड-19 से ग्रस्त मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने का सिलसिला बंद करने के लिये कुश कालड़ा की याचिका पर सुनवाई पूरी कर ली। पीठ ने कहा कि इस मामले में फैसला बाद में सुनाया जायेगा।

सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान इस मामले में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा दाखिल हलफनामे का जिक्र किया और कहा कि उसके दिशानिर्देशों में पोस्टर लगाने जैसा कोई निर्देश शामिल नहीं है।

मेहता ने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार के दिशानिर्देश के तहत इसकी आवश्यकता नहीं है। इसे कलंक नहीं माना जा सकता।’’

पीठ ने मेहता से सवाल किया कि क्या केन्द्र ऐसा नहीं करने के बारे में कोई परामर्श जारी कर सकता है?

इस पर मेहता ने कहा कि केन्द्र सरकार पहले ही ऐसा कर चुकी है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे बंद करेंगे। फैसला सुरक्षित रखा जा रहा है।’’

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने पीठ से कहा कि कोविड-19 के मरीजों के घर के बाहर पोस्टर लगाने के बारे में कोई निर्देश नहीं है लेकिन ‘‘हकीकत इससे अलग है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड मरीजों के नाम के साथ पोस्टर लगाये जा रहे हैं।’’ इसलिए न्यायालय को उचित निर्देश देने चाहिए।

न्यायालय ने एक दिसंबर को इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि कोविड-19 मरीजों के मकान के बाहर एक बार पोस्टर लग जाने पर उनके साथ ‘अछूतों’ जैसा व्यवहार हो रहा है और यह जमीनी स्तर पर एक अलग हकीकत बयान करता है। न्यायालय ने यह भी कहा था कि जमीनी स्तर की हकीकत ‘‘कुछ अलग है’’ और उनके मकानों पर ऐसा पोस्टर लगने के बाद उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार हो रहा है।

केन्द्र ने शीर्ष अदालत से कहा था कि हालांकि उसने ऐसा कोई नियम नहीं बनाया है लेकिन इसकी कोविड-19 मरीजों को ‘कलंकित’ करने की मंशा नहीं है, इसका लक्ष्य अन्य लोगों की सुरक्षा करना है।

शीर्ष अदालत ने पांच नवंबर को केन्द्र से कहा था कि वह कोविड-19 मरीजों के मकान पर पोस्टर चिपकाने का तरीका खत्म करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार करे।

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Web Title: Center told the court: no instructions to put posters outside the houses of Kovid-19 patients

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