फोन की निगरानी, टैप करने के लिए कानून और प्रक्रिया के बारे में केंद्र ब्योरा दे: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: August 31, 2021 18:53 IST2021-08-31T18:53:12+5:302021-08-31T18:53:12+5:30

Center should give details about law and procedure for monitoring, tapping of phones: High Court | फोन की निगरानी, टैप करने के लिए कानून और प्रक्रिया के बारे में केंद्र ब्योरा दे: उच्च न्यायालय

फोन की निगरानी, टैप करने के लिए कानून और प्रक्रिया के बारे में केंद्र ब्योरा दे: उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को उस जनहित याचिका पर ‘‘विस्तृत हलफनामा’’ दाखिल करने की अनुमति दी जिसमें अधिकारियों द्वारा नागरिकों की ‘‘निगरानी’’ का आरोप लगाया गया है। अदालत ने फोन की निगरानी और टैप किए जाने के संबंध में प्रक्रिया का विवरण मांगा है। मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने मामले को 30 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘केंद्र को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का समय दिया जाता है। फोन की निगरानी और टैप करने के लिए लागू कानून और प्रक्रिया के बारे में केन्द्र विस्तार से बताएं।’’ पीठ दो संगठनों की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में दावा किया गया है कि केंद्रीकृत निगरानी प्रणाली (सीएमएस), नेटवर्क ट्रैफिक एनालिसिस (नेत्र) और नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (नेटग्रिड) जैसे निगरानी कार्यक्रमों से नागरिकों के निजता के अधिकार को ‘‘खतरा’’ है। सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और सॉफ्टवेयर फ्रीडम लॉ सेंटर (एसएफएलएस) की याचिका में कहा गया है कि ये निगरानी प्रणाली केंद्र और राज्य की कानून लागू करने वाली एजेंसियों को सभी दूरसंचार को रोकने और निगरानी करने की अनुमति देती है जो कि लोगों के निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। गैर सरकारी संगठनों की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत से उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक समिति गठित करने का आग्रह किया ताकि यह पता लगाया जा सके कि ‘‘सरकार क्या कर रही है’’ और वर्तमान मामले में सरकार का जवाब ‘‘अपूर्ण’’ है। भूषण ने कहा, ‘‘उन्होंने एक हलफनामा दायर कर कहा है कि सब कुछ कानून के अनुसार है। सरकार का जवाब अपूर्ण है।’’ भूषण ने कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर द्वारा कथित लक्षित निगरानी का मुद्दा शीर्ष अदालत के समक्ष विचाराधीन है और मौजूदा याचिका में फोन टैपिंग से आगे का मुद्दा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सभी निगरानी गतिविधियां कानून के अनुसार और अपेक्षित अनुमति के साथ की जा रही हैं। मेहता ने अदालत से कहा, ‘‘यह जनहित का मुद्दा नहीं है। मैं इसे देखूंगा और हलफनामा दाखिल करूंगा। हमें (याचिका में) जो भी महत्वपूर्ण लगेगा, हम उसका जवाब देंगे। अन्य बातों को हम नजरअंदाज कर देंगे।’’ केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि किसी भी एजेंसी को तीन निगरानी कार्यक्रमों यानी सीएमएस, नेत्रा और नेटग्रिड के तहत किसी भी संदेश या सूचना को ‘‘इंटरसेप्शन या मॉनिटरिंग अथवा डिक्रिप्शन’’ के लिए कोई व्यापक अनुमति नहीं दी गई है। सरकार ने निगरानी प्रणाली की आवश्यकता का बचाव करते हुए कहा कि ‘‘आतंकवाद, कट्टरता, साइबर अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी से देश के लिए गंभीर खतरों को कम या नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।’’ इसलिए, ‘‘तेजी से’’ कार्रवाई योग्य खुफिया सूचनाओं के संग्रह के लिए एक मजबूत तंत्र होना जरूरी है। दोनों संगठनों ने दलील दी है कि मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत राज्य एजेंसियों द्वारा जारी किए गए ‘‘टैप और निगरानी आदेशों को अधिकृत और समीक्षा करने के लिए ‘‘निरीक्षण तंत्र अपर्याप्त’’ है।

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Web Title: Center should give details about law and procedure for monitoring, tapping of phones: High Court

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