प्याज की कीमत अभी भी आंख में आंसू ला रही है। केंद्र सरकार ने बढ़ती कीमतों से राहत दिलाने के लिए 45 हजार टन प्याज आयात करने का फैसला किया था। इसमें से पांच हजार टन प्याज भारत पहुंच चुका है। लेकिन अब राज्य इसे खरीदने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक राज्यों को उम्मीद है कि जल्द ही प्याज की नई फसल बाजार में आ जाएगी जिससे कीमतें घटेंगी। अगर राज्य आयातित प्याज नहीं खरीदते तो केंद्र को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। दूसरी तरफ उपभोक्ताओं को भी फिलहाल प्याज की महंगाई से राहत नहीं मिल रही है।
संबंधित विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकारें अगर प्याज नहीं उठाती हैं तो केंद्र को बहुत ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि लंबे समय तक प्याज को स्टोर कर नहीं रखा जा सकता है।
प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों में अत्यधिक बारिश के कारण पिछले वर्ष की तुलना में फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में खरीफ उत्पादन में 25 प्रतिशत की गिरावट की आशंका के बाद प्याज कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। पिछले कुछ हफ्तों में कई सरकारी उपायों के बावजूद कीमतें ऊंची बनी हुई हैं।
सरकार ने पहले ही प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है, व्यापारियों पर स्टॉक रखने की सीमा लागू कर दी है और बफर स्टॉक से सस्ती दर पर प्याज की आपूर्ति भी की जा रही है।
व्यापारियों और विशेषज्ञों का मानना है कि प्याज की कीमतें जनवरी तक बढ़ी रहेंगी। जब तक देर से तैयार होने वाले खरीफ फसल बाजार में आना न शुरू हो जाए तबतक कीमतों में नरमी की संभावना नहीं है। इससे पहले, भारत ने आखिरी बार वर्ष 2015-16 में 1,987 टन प्याज का आयात किया था जब इसकी कीमतें काफी बढ़ गई थीं।