सीबीआई को देशमुख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में जांच का दायरा बढ़ाना चाहिये: उच्च न्यायालय

By भाषा | Updated: July 7, 2021 18:31 IST2021-07-07T18:31:36+5:302021-07-07T18:31:36+5:30

CBI should widen the scope of investigation in respect of FIR registered against Deshmukh: High Court | सीबीआई को देशमुख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में जांच का दायरा बढ़ाना चाहिये: उच्च न्यायालय

सीबीआई को देशमुख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में जांच का दायरा बढ़ाना चाहिये: उच्च न्यायालय

मुंबई, सात जुलाई बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह सीबीआई से महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में जांच का दायरा बढ़ाने की उम्मीद करता है। साथ ही अदालत ने कहा कि शासन प्रमुख यह दावा नहीं कर सकता कि वह निर्दोष है बल्कि वह भी बराबर जिम्मेदार है।

न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जामदार की पीठ ने कहा कि देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को प्रारंभिक जांच का निर्देश देने संबंधी उच्च न्यायालय के 5 अप्रैल के आदेश को अगर सही अर्थों में देखा जाए तो हर व्यक्ति की भूमिका की जांच होनी चाहिये।

अदालत देशमुख की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और आधिकारिक पद के दुरुपयोग के आरोप में 24 अप्रैल को सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध किया गया है।

उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार एजेंसी द्वारा प्रारंभिक जांच किए जाने के बाद यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

इस साल मार्च में, मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से हटाए जाने के कुछ दिनों बाद, वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी परम बीर सिंह ने आरोप लगाया था कि देशमुख ने (अब बर्खास्त) पुलिसकर्मी सचिन वाजे सहित पुलिस अधिकारियों को बार और रेस्तराओं से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिये कहा था।

अदालत ने कहा, '' कोई भी शासन प्रमुख यह कहकर बेगुनाही का दावा नहीं कर सकता कि वह केवल कार्यपालिका के आदेशों का पालन कर रहा था। प्रशासन का मुखिया भी उतना ही जिम्मेदार होता है। हो सकता है कि मंत्री ने सचिन वाजे को बहाल करने के लिए कहा है, लेकिन क्या प्रमुख और शीर्ष पद पर बैठा व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन किए बिना आदेशों का पालन कर सकता है। ”

न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ''हम सीबीआई से जांच का दायरा बढ़ाए जाने की उम्मीद करते हैं। हमें उम्मीद है कि सीबीआई अब यह पता लगा पाएगी कि षडयंत्रकारी कौन हैं।''

पीठ ने कहा कि अगर 'एंटीलिया' विस्फोटक मामले और व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में गिरफ्तार वाजे इतना 'खतरनाक व्यक्ति' है तो उसे पुलिस बल में बहाल करने वाली समिति को भी आरोपियों की सूची में शामिल किया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा, “हम अभी कोई नाम नहीं ले रहे हैं। 15 साल बाद इस इंस्पेक्टर (वाजे) को किसने बहाल किया?”

सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने अदालत को बताया कि एजेंसी ने अब तक पता लगाया है कि साजिशकर्ता कौन हैं।

लेखी ने तर्क दिया, “सीबीआई की जांच व्यापक है और किसी को भी छोड़ा नहीं जाएगा। जांच अभी प्रारंभिक चरण में है, जहां तथ्य धुंधले हैं और इसलिए इस स्तर पर प्रथम दृष्टया कोई राय नहीं बना सकती। ”

इस मामले की अब 12 जुलाई को आगे सुनवाई होगी।

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