बीएच लोया मृत्यु मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- PIL दायर करने वालों को दिए जाएं मौत से जुड़े दस्तावेज

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: January 17, 2018 08:25 IST2018-01-17T08:20:07+5:302018-01-17T08:25:34+5:30

सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे जज बीएच लोया की 48 साल की उम्र में साल 2014 में मौत हो गयी थी।

CBI Judge BH Loya Death Case: Supreme Court Said PIL Petitioners should Get All Documents, Hinted Court May Be transferred to Different Bench | बीएच लोया मृत्यु मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- PIL दायर करने वालों को दिए जाएं मौत से जुड़े दस्तावेज

बीएच लोया मृत्यु मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- PIL दायर करने वालों को दिए जाएं मौत से जुड़े दस्तावेज

सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की मौत की जाँच की माँग करने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (16 जनवरी) को महाराष्ट्र सरकार को जज लोया की मौत से जुड़े सभी दस्तावेज दोनों याचिकाकर्ताओं को देने का आदेश दिया। मामले की सुनवाई कर रही पीठ के न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने कहा ने अदालत में कहा कि इस मामले में याचिकाकर्ताओं को सब कुछ जानना चाहिए। मंगलवार को जस्टिस मिश्रा और जस्टिस मोहन एम शांतनागौदर की पीठ ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार शीर्ष अदालत ने मंगलवार शाम को लिखित आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया, 'सभी दस्तावेज सात दिनों के अंदर जमा करें और उचित हुआ तो उसकी प्रतियां याचिकाकर्ताओं को दी जाएं। और मामले को उचित पीठ के सामने रखा जाए।' अदालत के आदेश से मीडिया में ये चर्चा चल पड़ी कि इस मामले को किसी और पीठ को सौंपा जा सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों जस्टिस जे चेलेश्वरम, जस्टिस जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को प्रेस वार्ता करके सुप्रीम कोर्ट में मामलों को विभिन्न पीठों को सुनवाई के लिए आवंटित करने पर सवाल उठाया था। प्रेस वार्ता में जस्टिस गोगोई ने इशारा किया था कि जज बीएच लोया की मौत की जाँच से जुड़ी पीआईएल की सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस से उनके मतभेद हैं।

12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार बीआर लोने और पूर्व कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला की पीआईल पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को जज बीएच लोया की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज अदालत में पेश करने का आदेश दिया था। 16 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज सौंपे और कहा कि इनमें से कुछ दस्तावेज गोपनीय प्रकृति के हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हरीश साल्वे ने कहा कि वो ये दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को इस आश्वासन के बाद दे सकते हैं कि उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।

जज लोया की मौत दिसंबर 2014 में हुई थी। मृत्यु के समय वो सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में अमित शाह भी एक अभियुक्त थे जिन्हें बाद में इससे बरी कर दिया गया। सरकारी दस्तावेज के अनुसार जज बीएच लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। नवंबर 2017 में द कारवां पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में जज लोया की मौत पर सवाल उठाए गये। रिपोर्ट में जज की बहन और कुछ अन्य रिश्तेदारों ने मृत्यु की परिस्थिति को लेकर सवाल उठाए थे। हालांकि बाद में जज लोया का परिजनों और हाल ही में उनके बेटे ने मीडिया से कहा कि उन्हें इस मामले में किसी तरह शंका नहीं है।

बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन ने आठ जनवरी को बॉम्बे हाई कोर्ट में भी जज लोया की मौत की जाँच से जुड़ी एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की हुई है जिस पर अदालत सुनवाई कर रही है।

Web Title: CBI Judge BH Loya Death Case: Supreme Court Said PIL Petitioners should Get All Documents, Hinted Court May Be transferred to Different Bench

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे