1892 से शुरू हुए कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें कब-क्या हुआ?

By आदित्य द्विवेदी | Updated: February 16, 2018 19:17 IST2018-02-16T19:10:24+5:302018-02-16T19:17:28+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु को अब 177.25 टीएमसी और कर्नाटक को 14.75 टीएमसी पानी दिया जाए। साल 2007 में ट्रिब्यूनल द्वारा केरल को दिए गए 30 टीएमसीएफटी और पुडुचेरी को दिए गए 7 टीएमसीएफटी जल में कोई बदलाव नहीं होगा।

Cauvery water dispute complete timeline, supreme court verdict | 1892 से शुरू हुए कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें कब-क्या हुआ?

1892 से शुरू हुए कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जानें कब-क्या हुआ?

तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल के बीच दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस ए.एम. खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पिछले साल 20 सितंबर को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार (16 फरवरी 2018) को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि नदी पर कोई भी राज्य दावा नहीं कर सकता। इस मामले में पानी का बंटवारा कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कर्नाटक को फायदा पहुंचेगा। 

कावेरी एक अंतर्राज्यीय नदी है। यह तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल से होकर जाती है। इस नदी के जल विवाद को लकर इन राज्यों में विवाद का लंबा इतिहास रहा है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सुलझाने की कोशिश की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु को अब 177.25 टीएमसी और कर्नाटक को 14.75 टीएमसी पानी दिया जाए। इस फैसले से तमिलनाडु को फायदा पहुंचेगा।

कावेरी जल विवाद की पूरी Timeline:-

1892: तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी और मैसूर रियासत के बीच पानी के बंटवारे को लेकर एक समझौता हुआ था। उस वक्त ब्रिटिश राज के तहत ये विवाद मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर राज के बीच था। जल्दी ही यह समझौता फेल हो गया।

1924: विवाद के निपटारे की कोशिश की गई लेकिन बुनियादी मतभेद बने रहे। पुडुचेरी के कूदने से यह विवाद और जटिल हो गया।

1972ः एक कमेटी बनाई गई जिसने 1976 में कावेरी जल विवाद के सभी चार दावेदारों के बीच समझौता करवाया।

1986ः तमिलनाडु ने अंतर्राज्यीय जल विवाद अधिनियम के तहत इस मामले को सुलझाने के लिए न्यायाधिकरण के गठन का निवेदन किया।

1990ः 2 जून को न्यायाधिकरण का गठन किया गया है।

2007ः दशकों पुराने कावेरी जल विवाद पर 2007 में सीडब्लूडीटी ने कावेरी बेसिन में जल की उपलब्धता को देखते हुए निर्णय दिया। इसमें तमिलनाडु को 419 टीएमसी, कर्नाटक को 270 टीएमसी, केरल को 30 टीएमसी और पुडुचेरी को 7 टीएमसी फुट पानी आवंटित किया गया था। तीनों राज्यों ने सीडब्ल्यूडीटी की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी।

2012ः तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाले कावेरी नदी प्राधिकरण ने कर्नाटक सरकार को निर्देश दिया कि वो रोज तमिलनाडु को नौ हजार क्यूसेक पानी दे।

2016ः तमिलनाडु इस विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। उस वक्त तमिलनाडु की तत्तकालिन मुख्यमंत्री जे.जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट से कावेरी जल प्रबंधन की मांग की थी लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला।

2018ः सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तमिलनाडु को अब 177.25 टीएमसी और कर्नाटक को 14.75 टीएमसी पानी दिया जाए। साल 2007 में ट्रिब्यूनल द्वारा केरल को दिए गए 30 टीएमसीएफटी और पुडुचेरी को दिए गए 7 टीएमसीएफटी जल में कोई बदलाव नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस फैसले को लागू करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस फैसले के बाद दशकों पुराने कावेरी जल विवाद का अंत हो जाएगा।

Web Title: Cauvery water dispute complete timeline, supreme court verdict

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