पराली जलाने का मामलाः प्रकाश जावड़ेकर बोले- एक अक्टूबर को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 29, 2020 02:00 PM2020-09-29T14:00:20+5:302020-09-29T15:45:33+5:30
दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर से जब ठंड होती है और पंजाब, हरियाणा में जब पराली जलाई जाती है तब प्रदूषण की स्थिति बिगड़ती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ 1 अक्टूबर को मंत्री स्तर की वर्चुअल बैठक होगी।
नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर एक अक्टूबर को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक बुलाई गई है।
दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर से जब ठंड होती है और पंजाब, हरियाणा में जब पराली जलाई जाती है तब प्रदूषण की स्थिति बिगड़ती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ 1 अक्टूबर को मंत्री स्तर की वर्चुअल बैठक होगी।
इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस अर्जी पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें इस आधार पर पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने पर रोक के लिए तत्काल कदम उठाने का अनुरोध किया गया है कि इससे कोविड-19 संबंधी समस्याएं और बढ़ सकती हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने उस अर्जी पर केंद्र को नोटिस जारी किया जिसमें दलील दी गई थी कि पराली जलाये जाने से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण काफी बढ़ जाएगा जिससे शहर में कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य समस्याएं और बढ़ सकती हैं। अर्जी अधिवक्ता सुधीर मिश्रा की ओर से दायर की गई थी जिन्होंने अदालत से आग्रह किया कि केंद्र सरकार को यह निर्देश दिया जाए कि वह मुद्दे के समाधान के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों के बीच एक बैठक का समन्वय करे।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर चर्चा करने और उसका समाधान निकालने के लिए एक अक्टूबर को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक आयोजित की जाएगी। पराली जलाये जाने से हर साल प्रदूषण फैलता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनडीएमसी और डीडीए जैसे निगमों के सदस्य भी शामिल होंगे
उन्होंने कहा कि डिजिटल बैठक में दिल्ली और चार पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण सचिवों के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनडीएमसी और डीडीए जैसे निगमों के सदस्य भी शामिल होंगे। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि बैठक में पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए पिछले दो वर्षों में राज्यों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत में, जो अमूमन 15 अक्टूबर से शुरू होती हैं, किसान पराली को जलाना शुरू कर देते हैं और सर्दी के पूरे मौसम में इससे प्रदूषण फैल जाता है।’
उन्होंने कहा, ‘‘यह (धुंध) सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एनसीआर के शहरों, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के कई स्थानों तक फैली हुई है। हर कोई इस प्रदूषित हवा का खामियाजा भुगतता है। इसलिए, इन सभी पांच राज्यों के सहयोग से हमने 2016 में इस मुद्दे से निपटना शुरू किया।’’
जावड़ेकर ने मीडिया को बताया, ‘‘इसके लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्रियों की एक ऑनलाइन बैठक एक अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। पर्यावरण मंत्रियों के अलावा, बैठक में राज्यों के पर्यावरण सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और सभी नगर निगमों, डीडीए और एनडीएमसी के प्रतिनिधि भाग लेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘2016 में, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एनएक्यूआई) शुरू किया। हम मानते हैं कि किसी समस्या को स्वीकार करना उसके समाधान की शुरुआत है। इसलिए, यह एक महत्वपूर्ण बैठक है। मुझे विश्वास है कि सभी लोग बैठक में भाग लेंगे।’’ धान की कटाई के मौसम के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में किसान अपने खेतों में बची पराली को जला देते हैं। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं अधिक होती हैं।
पराली जलाया जाना पंजाब और हरियाणा में पहले ही शुरू हो चुका
सुनवाई के दौरान मिश्रा ने अदालत को बताया कि पराली जलाया जाना पंजाब और हरियाणा में पहले ही शुरू हो चुका है। केंद्र ने पीठ को बताया कि संबंधित राज्य सरकारों ने पराली नहीं जलाने या ऐसा करने पर जुर्माने का सामना करने को लेकर निर्देश जारी किये हैं लेकिन इसके बावजूद किसान ऐसा कर रहे हैं।
अदालत ने मामले को 22 अक्टूबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और केंद्र सरकार से यह पता लगाने के लिए कहा कि क्या इसी तरह का कोई मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित है। मिश्रा ने अपनी यह अर्जी 2015 में दायर अपनी मुख्य जनहित याचिका के साथ संलग्न की जिसमें उन्होंने केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया था। उन्होंने दावा किया है कि वायु प्रदूषण बढ़ने और दिल्ली में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बीच सीधा संबंध है।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता ‘‘मध्यम’’श्रेणी में
राष्ट्रीय राजधानी में मंगलवार को वायु गुणवत्ता ‘‘मध्यम’’ श्रेणी में दर्ज की गई। एक सरकारी पूर्वानुमान एजेंसी ने बताया कि अगले दो दिन तक वायु गुणवत्ता इसी श्रेणी में रहेगी। दिल्ली ने सुबह साढ़े 10 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 170 दर्ज किया गया। वायु गुणवत्ता शून्य से 50 के बीच ‘अच्छी’, 51 से 100 ‘संतोषजनक’, 101 से 200 ‘मध्यम’, 201 से 300 ‘खराब’, 301 से 400 ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ मानी जाती है।
‘सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च’ (सफर) ने कहा, ‘‘ हवा के प्रवाह की अनुकूल स्थिति को देखते हुए अगले दो दिनों तक दिल्ली में एक्यूआई के मध्यम श्रेणी में रहने की संभावना है।’’ मानसून की देर से वापसी और संबंधित स्थिर हवाएं हालांकि सप्ताहांत तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मानसून ने सोमवार को राजस्थान से लौटना शुरू किया था। इसके अगले तीन दिन में पूरे उत्तर-पश्चिम भारत से इसके लौटने की संभावना है।
दिल्ली-एनसीआर में 15 अक्टूबर से जब ठंड होती है और पंजाब, हरियाणा में जब पराली जलाई जाती है तब प्रदूषण की स्थिति बिगड़ती है। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ 1 अक्टूबर को मंत्री स्तर की वर्चुअल बैठक होगी: केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर pic.twitter.com/dsnqoBxrOo
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 29, 2020