मंत्रिमंडल ने त्वरित निपटान विशेष अदालत योजना को दो वर्ष बढ़ाने को मंजूरी दी

By भाषा | Published: August 4, 2021 06:16 PM2021-08-04T18:16:03+5:302021-08-04T18:16:03+5:30

Cabinet approves extension of speedy settlement special court scheme by two years | मंत्रिमंडल ने त्वरित निपटान विशेष अदालत योजना को दो वर्ष बढ़ाने को मंजूरी दी

मंत्रिमंडल ने त्वरित निपटान विशेष अदालत योजना को दो वर्ष बढ़ाने को मंजूरी दी

नयी दिल्ली, चार अगस्त केंद्रीय मंत्रिमंडल ने त्वरित निपटान विशेष अदालत की केंद्र प्रायोजित योजना को आगामी दो वर्ष तक जारी रखने को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को यह जानकारी दी । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया ।

ठाकुर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने त्वरित निपटान विशेष अदालत की केंद्र प्रायोजित योजना को 31 मार्च 2023 तक बढ़ाने को मंजूरी दी है। इसके तहत 1023 त्वरित निपटान विशेष अदालतों को दो वर्ष का विस्तार मिलेगा ।

उन्होंने बताया कि इनमें बच्चों को यौन अपराध से सुरक्षा अधिनियम (पोक्सो) संबंधी 389 विशिष्ट अदालतें भी शामिल हैं।

सूचना प्रसारण मंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में इसे इस सोच के साथ शुरू किया गया था कि ऐसे अपराध की शिकार महिलाओं एवं बच्चियों को तीव्र न्याय मिले। इसी सोच के आधार पर इसे विस्तार दिया जा रहा है ।

उन्होंने बताया कि इस पर 1572.86 करोड़ रूपये व्यय होंगे। उन्होंने कहा कि इस राशि में केंद्र का हिस्सा 971.70 करोड़ रूपये और राज्य का हिस्सा 601.16 करोड़ रूपये होगा ।

मंत्री ने कहा कि ऐसे मामलों में अधिक कड़े प्रावधान, त्वरित सुनवाई और मामलों के निपटान के लिए, केंद्र सरकार ने "आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2018" लागू किया और दुष्कर्म के अपराधियों के लिए मौत की सजा सहित कड़ी सजा का प्रावधान किया। इससे त्वरित निपटान विशेष न्यायालय (एफटीएससी) की स्थापना हुई।

सरकारी बयान के अनुसार केंद्र के हिस्से का वित्त पोषण निर्भया कोष से किया जायेगा।

बयान में कहा गया है कि, ‘‘सरकार ने महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को हमेशा सर्वाधिक महत्व दिया है। बालिकाओं को सशक्त बनाने की दिशा में सरकार ने पहले ही 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।’’

इसमें कहा गया है कि बारह वर्ष से कम उम्र की नाबालिग बच्चियों और सोलह वर्ष से कम उम्र की किशोरियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था।

बयान के अनुसार, इस तरह की घटनाओं और लंबे समय तक चलने वाली अदालती प्रक्रिया को देखते हुए दोषियों के परीक्षण के लिए एक समर्पित न्यायालय तंत्र बनाने की आवश्यकता थी । इन न्यायालयों की अंतिम फैसले देने की दर नियमित अदालतों की तुलना में बेहतर है और ये न्यायालय अदालती प्रक्रिया तेज गति से पूरा करते हैं।

इसमें कहा गया है कि वर्तमान में ये न्यायालय 28 राज्यों में कार्यरत हैं और सभी 31 राज्यों में इनके विस्तार का प्रस्ताव है जो योजना में शामिल होने के पात्र हैं।

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Web Title: Cabinet approves extension of speedy settlement special court scheme by two years

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