पश्चिम बंगालः 2021 में होने वाले चुनाव में नागरिकता संसोधन विधेयक तय कर सकता है राजनीतिक हवा का रुख
By भाषा | Updated: December 13, 2019 05:42 IST2019-12-13T05:42:04+5:302019-12-13T05:42:04+5:30
राज्यसभा ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया। लोकसभा में यह सोमवार को पारित हो चुका है।

File Photo
विवादों का सामना कर रहा नागरिकता (संशोधन) विधेयक आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हवा का रुख निर्धारित करने वाला है और 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले इससे राज्य में सांप्रदायिक आधार पर तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ध्रुवीकरण और अधिक तूल पकड़ सकता है। विधेयक के कानून का रूप लेने के बाद 294 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए अगले चुनाव में बहुसंखयक समुदाय के वोटों को रिझाने के लिए तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ‘‘हिंदू तुष्टिकरण’’ की नयी लहर शुरू होने की भी संभावना है।
राज्यसभा ने बुधवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पारित कर दिया। लोकसभा में यह सोमवार को पारित हो चुका है। प्रदेश भाजपा सूत्रों के मुताबिक संसद में इस विधेयक के पारित होने से भगवा पार्टी के पक्ष में हिंदू वोटों के और तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण बढ़ने की संभावना है।
एक ओर जहां बंगाल भाजपा राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) की हिमायत करने के बाद उसका फायदा नहीं मिलने में नाकाम रहने के बाद नागरिकता विधेयक का लाभ मिलने की काफी आस लगाए बैठी है, वहीं दूसरी ओर तृणमूल को लगता है कि यह एनआरसी की तरह ही भगवा पार्टी को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि ये दोनों चीजें बंगालियों और बंगाली गौरव पर हमला हैं।
करीब 80 विधानसभा क्षेत्रों (नदिया, कूचबिहार, उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों) के चुनाव में हिंदू शरणार्थी अहम भूमिका निभाते हैं जबकि लगभग 90 सीटों पर मुसलमान मतदाताओं की अच्छी खासी आबादी है। इसके अलावा हिंदू शरणार्थी करीब 40--50 अन्य विधानसभा क्षेत्रों में भी फैले हुए हैं जहां निर्वाचक मंडल में उनकी हिस्सेदारी 10 से 15 फीसदी है।
प्रदेश भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने कहा, ‘‘ ना ही टीएमसी ना ही वाम मोर्चा ने कई दशकों में शरणार्थियों के लिए कुछ किया। यह भाजपा है जो उन्हें नागरिकता दे रही है। इसलिए भाजप को इसका फायदा मिलेगा।’’ भाजपा सूत्रों के मुताबिक नागरिकता विधेयक से बंगाल में 72 लाख से अधिक लोगों सहित देश भर में 1.5 करोड़ लोगों को लाभ मिलेगा।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, ‘‘नागरिकता विधेयक के संसद में पारित होने से तृणमूल कांग्रेस बेनकाब हो गई है। मुस्लिम तुष्टिकरण की टीएमसी की राजनीति की पोल खुल गई है।’’ विधेयक के राजनीतिक परिणामों के बारे में प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह पार्टी के दोहरे उद्देश्य को पूरा करेगा क्योंकि यह उसके पक्ष में हिंदुओं को और अधिक एकजुट करेगा और टीएमसी के इस सिद्धांत को कमजोर करेगा कि भाजपा बंगाली विरोधी पार्टी है।
उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल की राजनीति अब से द्विध्रुवीय होगी...।’’ पश्चिम बंगाल की 2000 किमी सीमा बांग्लादेश से लगी हुई है। हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने एनआरसी के साथ -साथ नागरिकता विधेयक का भी विरोध किया है और इसे बंगाली विरोधी करार दिया है।
उन्होंने राज्य में भाजपा को दरकिनार करने के लिए बंगाली गौरव का मुद्दा छेड़ा है। उन्होंने कहा है कि वह राज्य में नागरिकता विधेयक को कभी लागू नहीं होने देंगी। तृणमूल महासचिव पार्था चटर्जी ने कहा, ‘‘चाहे हिंदू हों या मुसलमान, हम बंगाली पहले हैं। इस देश में कई दशकों से रहते आने के बाद हमें अपनी नागरिकता साबित करने या सरकार से इसे मांगने की जरूरत नहीं है। हमने देखा कि असम एनआरसी से 14 लाख बंगालियों के नाम हटा दिए गए। बंगालियों का अपमान करने के लिए उन्हें (भाजपा को) मुंहतोड़ जवाब मिलेगा।’’