CAA-NRC Protest कवर कर रहे पत्रकारों पर हमले चिंताजनक, CAAJ ने जारी किया बयान
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: December 28, 2019 14:54 IST2019-12-28T14:54:56+5:302019-12-28T14:54:56+5:30
'Committee Against Assault on Journalist' (CAAJ) ने शनिवार को एक बयान जारी कर पत्रकारों पर हो रहे पुलिस के हमले की निंदा की है। पिछले 10 दिनों में पत्रकारों के साथ बुरे बर्ताव के 15 मामले सामने आए हैं।

CAA-NRC Protest कवर कर रहे पत्रकारों पर हमले चिंताजनक, CAAJ ने जारी किया बयान
'कमेटी अगेंस्ट असॉल्ट ऑन जर्नलिस्ट' (CAAJ) ने सीएए-एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों को कवर कर रहे पत्रकारों पर पुलिस की कार्रवाई की कड़ी निंदा की है। शुक्रवार को जारी एक बयान में सीएएजे ने कहा कि पत्रकारों को सामने आकर अपने अधिकारों के लिए आवाज उड़ानी चाहिए जो उन्हें भारत के संविधान से मिला है।
सीएएजे के बयान के मुताबिक पिछले कई दिनों से जारी देशव्यापी प्रदर्शन को कवर करने वाले पत्रकारों पर हमले हो रहे हैं। दुर्भाग्य है कि इनमें से ज्यादातर मुस्लिम समुदाय से हैं। ये कार्रवाई एक खास समुदाय के प्रति सरकारी मशीनरी के पूर्वाग्रह को दर्शाती है। कई ऐसे वीडियो और तस्वीरें भी हैं जिसमें प्रदर्शनकारी भी पत्रकारों को परेशान कर रहे हैं। इन प्रदर्शनों में हमले के शिकार पत्रकारों की सूची इस प्रकार है।
1. शाहीन अब्दुल्ला (मख्तूब मीडिया)
2. बुशरा शेख (बीबीसी)
3. शारिक अदील यूसुफ (पल पल न्यूज)
4. उज्जवल रॉय और सरबजीत सिंह (एएनआई)
5. अज़ान जवैद (द प्रिंट)
6. डॉ अलीमुल्लाह खान (कौमी रफ्तार)
7. मुजीब शब्बीर, अनीस और अन्य (एशियानेट, न्यूज18...)
8. ओमर राशिद ( द हिंदू)
9. रतनदीप चौधरी (एनडीटीवी)
10. अरुण शंकर और वैशाख जयपलन (मातृभूमि न्यूज)
11. खुर्शीद मिसबही (ईटीवी भारत)
12. प्रकाश कुमार और दिनेश कुमार (रिपब्लिक टीवी और दैनिक भास्कर)
13. दिनेश और वसीम (एशियानेट न्यूज)
14. जयदीप (ज़ी न्यूज)
कई पत्रकार संगठनों ने उठाई आवाज
कई पत्रकार संगठनों ने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के कवरेज के दौरान मीडियाकर्मियों पर हमलों और पुलिस के सख्त रवैये के खिलाफ बृहस्पतिवार को यहां प्रदर्शन किया। उन्होंने इन आंदोलनों के दौरान इंटरनेट बंद करने तथा समाचार चैनलों को प्रसारण नहीं करने के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के परामर्श जारी करने की भी आलोचना की। मुंबई प्रेस क्लब, मुंबई मराठी पत्रकार संघ, टेलीविजन पत्रकार संघ, बांबे न्यूज फोटोग्राफर्स एसोसिएशन, मंत्रालय तथा विधिमंडल वार्ताहार संघ और बृहन्मुंबई पत्रकार संघ के सदस्यों ने प्रेस क्लब के बाहर कैंडललाइट जुलूस निकाला।
पत्रकारों के साथ पुलिस की हिंसा लोकतंत्र की आवाज का ‘‘गला घोंटना’’ है: एडिटर्स गिल्ड
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में जारी प्रदर्शनों में पत्रकारों के खिलाफ की गई ‘‘हिंसा एवं बर्बरता’’ की सोमवार को निंदा की और कहा कि इस प्रकार के कदम लोकतंत्र की आवाज का ‘‘गला घोंटते’’ हैं। उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों की रिपोर्टिंग कर रहे कई पत्रकारों को हिरासत में लिया गया। गिल्ड ने एक बयान में कहा कि बलों को यह याद रखना चाहिए कि पत्रकार समाचार एकत्र करने का अपना दायित्व पूरा करने के लिए प्रदर्शन स्थलों पर मौजूद होते हैं, जिसका अधिकार उन्हें संविधान ने दिया है।
प्रेस एसोसिएशन ने भी की निंदा
पत्रकारों के एक शीर्ष संगठन ‘द प्रेस एसोसिएशन’ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन की कवरेज के दौरान पत्रकारों पर हुए हमले और उन्हें अनावश्यक परेशान किए जाने की सख्त निंदा की है। एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि मीडिया के प्रसारण वाहन (ओबी वैन) को प्रदर्शन के दौरान जलाए जाने की घटनाओं को लेकर भी वह चिंतित है। एसोसिएशन ने सभी तबकों से अपील की है कि राष्ट्रीय महत्व की घटनाओं के दौरान स्वतंत्र एवं निष्पक्ष प्रेस की जरूरत और मीडिया के महत्व को समझा जाए। एसोसिएश्न ने कहा कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली, केरल, कर्नाटक और पंजाब में ड्यूटी के दौरान पत्रकारों पर हमला मीडिया की स्वतंत्रता पर हमला है।