नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के मुद्दे पर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कई शहरों में इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप अख्तियार कर लिया। इसे देखते हुए प्रशासन ने कई जगहों पर मोबाइल इंटरनेट पर रोक लगा दी है। इंटरनेट पर बैन का यह फैसला हिंसा फैलने से रोकने के लिए किया गया है। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बातचीत के लिए एक नया रास्ता निकाल लिया है ऑफलाइन ऐप्स का।
पिछले कुछ दिनों में ब्रिजफाई और फायर चैट जैसे ऑफ लाइन ऐप्स के इस्तेमाल में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। ये दोनों ऐप से चैटिंग करने के लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं पड़ती। इसमें ब्लूटूथ के सहारे मैसेज भेजे जा सकते हैं। हॉन्ग-कॉन्ग में पिछले कई महीनों से प्रदर्शन चल रहे हैं। वहां भी इन दोनों ऐप्स की डिमांड बढ़ी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट ने अमेरिकी ऐप इंटेलिजेंस फर्म ऐपोटॉपिया के आंकड़ों के हवाले से लिखा है कि 12 दिसंबर के बाद असम और मेघालय में ब्रिजफाई ऐप के डाउलोड और इस्तेमाल किए जाने की दर में 80 गुना बढोतरी हुई है। धीरे-धीरे अन्य राज्यों में भी इनके इस्तेमाल की दर बढ़ी है।
ब्रिजफाई ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर बताया कि पिछले कुछ दिनों उसका ट्रैफिक भारत में काफी बढ़ा है। एक अन्य ऑफलाइन चैटिंग ऐप्स फायर चैट के इस्तेमाल में भी 18 गुना की बढ़ोतरी देखी गई है।
इन शहरों में इंटरनेट पर अस्थाई पाबंदी
उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार के आदेश के बाद लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, आगरा, अलीगढ़, गाजियाबाद, वाराणसी, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, बरेली, फिरोजाबाद, पीलीभीत, रामपुर, सहारनपुर, शामली, संभल, अमरोहा, मऊ, आजमगढ़ और सुल्तानपुर समेत कई बड़े शहरों में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गयी है।
पश्चिम बंगाल में इसी तरह की कार्रवाई के मद्देनजर मालदा, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, बरासात, उत्तरी दिनाजपुर, बरुईपुर, कानिंग एवं नदिया में मोबाइल इंटरनेट को रोक दिया गया है। कर्नाटक में दक्षिण कन्नड तथा मंगलोर शहर में इंटरनेट सेवाएं स्थगित कर दी गयी हैं। राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में भी इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी गयी है।