गढ़चिरोली हमला: जानिए C60 कमांडो की खासियत, माओवादी हमले में 15 हुए शहीद

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 1, 2019 07:23 PM2019-05-01T19:23:37+5:302019-05-01T19:23:37+5:30

बुधवार को हुए नक्सली हमले में 15 कमांडो और एक आम नागरिक सहित कुल 16 लोग मारे गए हैं....

C60 Commando unit specialities to contain the naxal menace | गढ़चिरोली हमला: जानिए C60 कमांडो की खासियत, माओवादी हमले में 15 हुए शहीद

C60 के कमांडोज महाराष्ट्र पुलिस की खास यूनिट है।

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में बुधवार को हुए नक्सली हमले में C60 कमांडो टीम के 15 कमांडो शहीद हो गए। नक्सलियों ने आईईडी से ये ब्लास्ट उस वक्त किया जब कमांडोज की टीम कुरखेड़ा-कोरची रोड पर गश्ती पर थी। नक्सलियों ने इस हमले में जिन C60 कमांडो को निशाना बनाया है उन्हें खास ऐसे ही इलाकों के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

C60 के कमांडोज महाराष्ट्र पुलिस की खास यूनिट है। इसे गढ़चिरौली पुलिस विभाग के तत्‍कालीन एसपी केपी रघुवंशी के नेतृत्‍व में 1992 में तैयार किया गया था। इन्हें नक्सिलयों का सफाया करने के लिए खास तरीके से हैदराबाद, हजारीबाग और नागपुर के प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षित किया जाता है। यहां इन कमांडो को गोरिल्ला वार टेक्निक्स सिखाई जाती हैं।

C60 कमांडो स्थानीय लोगों में से ही चुने जाते  हैं। इसकी वजह ये है कि उन्हें स्थानीय भाषा और इलाकों की बेहतर समझ होती है। ऐसे में नक्सली हमलों से निपटने में ये बाकि कमांडो टुकड़ियों से ज्यादा सक्षम माने जाते हैं। कई बार ये कमांडो अपनी इसी खूबी की वजह से सुरक्षा में अहम साबित हुए हैं।

C60 कमांडोज पूरी तरह से अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं। ये कमांडोज हर सुबह जंगल में 30-30 के ग्रुप में गश्त पर निकलते हैं। एक टीम के निकलने के बाद 30 कमांडो का दूसरा ग्रुप निकलता है ताकि जंगल में छिपे बैठे नक्सलियों और माओवादियों को उनके संख्या बल का ठीक अंदाज न हो सके। दोनों ही टीमें जंगल में अलग अलग जगह से घुसती हैं और बाद में घने जंगल में जाकर मिलती हैं।

हर कमांडो अपने साथ करीब 15 किलो का वजन लेकर चलता है। इसमें खाने पीने के सामान के अलावा फर्स्टएड जैसी जरूरी चीजें शामिल होती हैं। इन कमांडोज के लिए जंगल में मच्छर और जहरीले सांप बिच्छू जानवरों से निपटना भी एक बड़ी चुनौती होती है।

जीपीएस, ड्रोन, अत्याधुनिक हथियार होने के बावजूद कई बार नक्सली घात लगाकर हमला और रास्ते में लैंड माइंस बिछाने में कामयाब हो जाते हैं और कमांडो शिकार बन जाते हैं। 2009 में मुम्नेर गांव में माओवादियों ने कमांडोज की एक टुकड़ी पर घात  लगाकर हमला बोल दिया। इसमें 30 में से 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि 5 से 6 लोग घायल हो गए।

वहीं पिछले साल इन्हीं कमांडोज ने अप्रैल में दो अलग-अलग मुठभेड़ में करीब 39 नक्सलियों को मार गिराया था। इस अभियान में C60 कमांडोज यूनिट को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था।

बुधवार को जिस गढ़चिरौली इलाके में 15 जवानों को निशाना बनाया गया वह इलाका महाराष्ट्र का सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित इलाका माना जाता है। यहां हर महीने एनकाउंटर की एक-दो छिटपुट घटनाएं होती रहती हैं। बहरहाल महाराष्ट्र में पिछले दो सालों में हुआ ये सबसे बड़ा नक्सली हमला कहा जा रहा है।

Web Title: C60 Commando unit specialities to contain the naxal menace

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