जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर बाबासाहब आंबेडकर ने शेख अब्दुल्ला को पत्र लिखकर कही थी यह बात

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 6, 2019 02:34 PM2019-08-06T14:34:57+5:302019-08-06T14:34:57+5:30

डॉ. आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन शोषितों, वंचितों और दलितों के उत्थान में लगा दिया और जीवन भर उनके हक की लड़ाई लड़ते रहे। आरक्षण को लेकर लोगों में आपसी मतभेद हो सकता है पर बाबा साहेब की मेधा, प्रतिभा, व्यक्तित्व की गहराई, विपुल अध्ययन और दूरदर्शिता जैसे गुणों को लेकर सभी एकमत हैं।

BR Ambedkar wrote a letter to Sheikh Abdullah on Article 370, refused to draft | जम्मू-कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर बाबासाहब आंबेडकर ने शेख अब्दुल्ला को पत्र लिखकर कही थी यह बात

संविधान की इस धारा के खिलाफ थे भीमराव आंबेडकर।

Highlightsअनुच्छेद 370 पर देश में बवाल मचा हुआ है। भीमराव आंबेडकर भी संविधान की इस धारा के खिलाफ थे।ब्लॉग लॉ कॉर्नर के अनुसार, 1949 में प्रधानमंत्री ने कश्मीरी लीडर शेख अब्दुल्ला से कहा कि वह बीआर आंबेडकर से सलाह करके कश्मीर के लिहाज से एक संविधान बनाएं। डॉ. आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री थे। संंविधान मसौदा कमेटी के चेयरमैन थे। आंबेडकर ने खारिज कर दिया, तब अब्दुल्ला ने नेहरू को एप्रोच किया, तब प्रधानमंत्री के निर्देश पर केएन गोपालस्वामी आयंगर ने तैयार किया।

संसद सहित पूरे देश में अनुच्छेद 370 पर हंगामा जारी है। सोमवार को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा और लोकसभा में एक संकल्प पेश किया। इसमें कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 370 के सभी खंड जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होंगे। 

गृह मंत्री ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के अनुमोदन के बाद अनुच्छेद 370 के सभी खंड लागू नहीं होंगे।’’ हालांकि विपक्ष के भारी विरोध के बीच ह विधेयक राज्यसभा में पेश कर दिया गया। राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं है, लेकिन एनडीए के अलावा अन्य दलों ने इसका समर्थन किया। राज्यसभा में 125 के मुकाबले 61 मत से पास हो गया। लोकसभा में सरकार के पास पहले से ही बहुमत है। 

आपको पता होगा कि अनुच्छेद 370 का ड्राफ्ट बनाने से संविधान के निर्माता और भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने मना कर दिया था। आज के युवा भी भीमराव आंबेडकर के नक्शेकदम पर चलने की कोशिश करते हैं। शोषित और वंचित तबके के लोगों को आवाज देने वाले डॉ. आंबेडकर को उस समय इसका अहसास था कि इसका दुरुपयोग हो सकता है। 

डॉ. आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन शोषितों, वंचितों और दलितों के उत्थान में लगा दिया और जीवन भर उनके हक की लड़ाई लड़ते रहे। आरक्षण को लेकर लोगों में आपसी मतभेद हो सकता है पर बाबा साहेब की मेधा, प्रतिभा, व्यक्तित्व की गहराई, विपुल अध्ययन और दूरदर्शिता जैसे गुणों को लेकर सभी एकमत हैं।

अनुच्छेद 370 को लेकर आंबेडकर ने शेख अब्दुल्ला को पत्र लिखा था

अनुच्छेद 370 पर देश में बवाल मचा हुआ है। भीमराव आंबेडकर भी संविधान की इस धारा के खिलाफ थे। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देता है। अनुच्छेद 370 को लेकर आंबेडकर ने शेख अब्दुल्ला को पत्र लिखा था। 26 अक्टूबर, 1947 को जम्मू में जब महाराजा हरि सिंह ने भारत सरकार के साथ विलय की संधि पर हस्ताक्षर किये तो उस विलय में कहीं ये जिक्र नहीं था कि राज्य को विशेष दर्जा (जिसे बाद में धारा 370 के रूप में लागू किया गया) देने के लिए किसी खास कानून की व्यवस्था की जाएगी। 

अलबत्ता राज्य की स्वायत्तता बरकरार रखे जाने की बात जरूर थी, तब राज्य के अंतरिम प्रधानमंत्री बनाए गए शेख अब्दुल्ला चाहते थे कि राज्य को खास तरीके का विशेष दर्जा दिए जाने का प्रावधान संविधान में किया जाए। लेकिन, भीमराव आंबेडकर ने न केवल इसका मसौदा बनाने से इनकार कर दिया था बल्कि ये भी कहा था कि ऐसा प्रावधान किसी देश के लिए ठीक नहीं होगा।

1948 को शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए

5 मार्च, 1948 को शेख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए। उन्होंने कई सदस्यों के साथ शपथ ली। प्रधानमंत्री बनने के बाद शेख अब्दुल्ला ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, हमने भारत के साथ काम करने और जीने-मरने का फैसला किया। 

लेकिन, शुरू से ही कश्मीरियों के लिए स्वायत्तता और अपनी आकांक्षाओं के अनुरूप शासन करने का सपना देख रहे थे। क्योंकि, दूसरे तमाम रजवाड़ों की तरह कश्मीर का भारत के साथ विलय पत्र शर्तहीन नहीं था। भारत की संविधान सभा में जम्मू-कश्मीर के लिए चार सीटें रखी गईं।

 16 जून, 1949 को शेख अब्दुल्ला, मिर्जा मोहम्मद, अफजल बेग, मौलाना मोहम्मद सईद मसूदी और मोतीराम बागड़ा संविधान सभा में शामिल हुए। पंडित जवाहर लाल नेहरू की सलाह पर शेख अब्दुल्ला संविधान निर्माता समिति के चेयरमैन डॉ. भीमराव आंबेडकर के पास इस संविधान का मसौदा तैयार करने का अनुरोध लेकर गए।

भारतीय कानून मंत्री के हिसाब से मैं ऐसा कभी नहीं करूंगाः आंबेडकर

“1949 में, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीरी नेता शेख अब्दुल्ला को डॉ बीआर आंबेडकर से कश्मीर के लिए उपयुक्त मसौदा तैयार करने के लिए परामर्श देने का निर्देश दिया था। बीआर आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री और संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे। बीआर आंबेडकर ने अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उनका सख्त विरोध किया गया था।” 

आंबेडकर को लगता था कि अगर जम्मू - कश्मीर राज्य के लिए अलग कानून बनता है तो भविष्य में कई समस्याएं पैदा करेगा, जिन्हें सुलझाना और उनसे निपट पाना मुश्किल हो जाएगा। 

डॉ. आंबेडकर ने शेख से मुलाकात के दौरान कहा, "आप चाहते हैं कि भारत आपकी सीमाओं की रक्षा करे, आपकी सड़कें बनवाए, आपको खाना, अनाज पहुंचाए...फिर तो उसे वही स्टेटस मिलना चाहिए जो देश के दूसरे राज्यों का है. इसके उलट आप चाहते हैं कि भारत सरकार के पास आपके राज्य में सीमित अधिकार रहें और भारतीय लोगों के पास कश्मीर में कोई अधिकार नहीं रहे। 

अगर आप इस प्रस्ताव पर मेरी मंजूरी चाहते हैं तो मैं कहूंगा कि ये भारत के हितों के खिलाफ है। एक भारतीय कानून मंत्री के हिसाब से मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा।" जब आंबेडकर ने इसको सिरे से खारिज कर दिया, तब शेख अब्दुल्ला ने नेहरू को फिर एप्रोच किया, तब प्रधानमंत्री के निर्देश पर केएन गोपालस्वामी आयंगर ने इसे तैयार किया।

Web Title: BR Ambedkar wrote a letter to Sheikh Abdullah on Article 370, refused to draft

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे