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सीमा पर इस साल के अंत तक बाड़ लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा : शाह

By भाषा | Updated: July 17, 2021 20:15 IST

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नयी दिल्ली, 17 जुलाई केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को जोर देकर कहा कि भारत की करीब 7,500 किलोमीटर सीमा पर इस साल के अंत तक बाड़ लगाने का काम पूरा कर उसे सील कर दिया जाएगा ताकि इन स्थानों से घुसपैठ और हथियारों व मादक पदार्थों की तस्करी नहीं हो सके।

उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता संभालने से पहले देश की कोई स्वतंत्र रक्षा नीति थी ही नहीं और जो नीति थी भी वह विदेश नीति से प्रभावित थी। मोदी सरकार आने के बाद देश की रक्षा नीति स्वतंत्र हुई।

शाह ने यह बात ‘‘रुस्तमजी स्मारक व्याख्यान’’को संबोधित करते हुए कही जिसका आयोजन सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अपने पहले महानिदेशक केएफ रुस्तमजी की याद में करता है।

ब्रिटिश शासन के दौरान इम्पीरियल पुलिस के 1938 बैच के अधिकारी रुस्तमजी ने नौ साल तक बीएसएफ का नेतृत्व किया। वर्ष 2003 में उनका निधन हुआ था।

उन्होंने इस मौके पर सीमा की रक्षा में लगे बल के सेवारत और ड्यूटी के दौरान शहीद हुए जवानों के परिवारों को वीरता पदक भी प्रदान किए।

शाह ने कहा, ‘‘ मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि वर्ष 2022 से हमारी सीमा पर कोई स्थान बिना बाड़ नहीं होता।’’

उन्होंने कहा कि इस समय देश की सीमा का तीन प्रतिशत हिस्सा बिना सुरक्षा दीवार के है और यह आतंकवादियों की घुसपैठ और सीमा पर होने वाले अपराधों जैसे हथियारों, गोलाबारूद और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में ‘‘बड़ी खाई’’ है।

शाह ने कहा कि मोदी सरकार इस अंतर को प्रशासनिक बाधाएं सुलझाने और यहां तक पड़ोसी देशों से बातचीत कर पाट रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि सीमा सुरक्षा (सुनिश्चित) ही राष्ट्रीय सुरक्षा (सुनिश्चित करना) है।’’ शाह ने कहा कि सुरक्षा पर बाड़बंदी करने के लिए ‘नए मॉडल’ को विकसित किया जा रहा है ताकि उन्हें काटा या तोड़ा नहीं जा सके।

गृहमंत्री ने मोदी सरकार की रक्षा नीति के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं अकसर सोचता था कि क्या इस देश की सुरक्षा नीति है या नहीं? नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक हमारे पास कोई स्वतंत्र सुरक्षा नीति नहीं थी। वो हमेशा विदेश नीति से प्रभावित रहती थी या फिर विदेश नीति सुरक्षा नीति पर अतिव्यापी (ओवरलैप) होती थी।’’

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश को स्वतंत्र सुरक्षा नीति मिली। शाह ने कहा, ‘‘ हमारा विचार है कि सभी के साथ शांतिपूर्ण संबंध हों, लेकिन अगर कोई हमारी सीमाओं को छेड़ता है, अगर कोई हमारी संप्रभुता को चुनौती देता है, तो हमारी सुरक्षा नीति की प्राथमिकता है कि ऐसी कोशिशों को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए।’’

उन्होंने कहा कि सुरक्षा नीति ‘बड़ी उपलब्धि’ है क्योंकि देश ऐसी सदृढ़ योजना चाहता है। गृहमंत्री ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इसके (सुरक्षा नीति) बिना न तो देश प्रगति कर सकता है और न ही लोकतंत्र समृद्ध हो सकता है।’’

शाह ने कहा, ‘‘मोदी जी (प्रधानमंत्री) ने यह बड़ा काम किया है। मुझे उदाहरण देने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह सभी को पता हैं।’’ उन्होंने कहा कि नीति को उनकी सरकार ने जमीन पर क्रियान्वित किया।

गृहमंत्री ने कहा कि भारत जल्द ही स्वदेशी ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी का विकास करने के लिए काम कर रहा है,इसपर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य एजेंसियां काम कर रही हैं।

उनकी यह टिप्पणी पिछले महीने पहली बार जम्मू स्थित वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन से हुए हमने की पृष्ठभूमि में आई है। इस हमले को दो ड्रोन ने अंजाम दिया जिसमें एक इमारत के हिस्से को नुकसान पहुंचा और दो वायुसैनिक घायल हो गए थे।

गृहमंत्री ने इसके साथ ही कहा कि रक्षा प्रतिष्ठान दीर्घकालीन योजना के तहत सीमा पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक प्रौद्योगिकी आधारित हमलों को असफल करने के लिए काम कर रहे हैं। शाह ने मोदी सरकार द्वारा सीमा की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए किए गए काम को बताने हेतु आंकड़े भी पेश किए।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2008 से 2014 के बीच 3,600 किलोमीटर लंबी सीमा सड़क बनाई गई थी जबकि वर्ष 2014 से 2020 (मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर) इसमें साढ़े तीन गुना वृद्धि देखी गई और 4,764 किलोमीटर लंबी ऐसी सड़कें बनाई गई। इसके लिए बजट को 23 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 44 हजार करोड़ रुपये किया गया। वर्ष 2014 से 2020 के बीच कुल 14,450 मीटर लंबे पुलों का निर्माण किया गया जबकि वर्ष 2008 से 2014 के बीच निर्मित पुलों की कुल लंबाई 7,270 मीटर थी।

शाह ने कहा कि परिवहन के लिए सीमा के नजदीक एक सीमा सुरंग बनाई गई थी जबकि मोदी सरकार के दौरान गत एक साल में सीमा के नजदीक छह सुरंग बनाई गई है। वहीं, 19 ऐसे ढांचों के निर्माण की प्रक्रिया जारी है।

उन्होंने बताया कि इसी तरह 2008 से 2014 के बीच 170 किलोमीटर लंबी सीमा सड़कों का सुदृढ़ीकरण किया गया जबकि मोदी सरकार के सत्ता में आने पर 380 किलोमीटर सीमा सड़कों का पुनरुद्धार किया गया।

शाह ने बताया कि चीन से लगती सीमा पर कटाई कर सड़क निर्माण की गति 470 किलोमीटर प्रतिवर्ष है जबकि पहले हर साल 230 किलोमीटर ही ऐसी सड़के बन पाती थी। उन्होंने बताया कि चीन-भारत सीमा पर सरकार ने 32 और सड़कों के निर्माण को मंजूरी दी है जिसकी कुल लंबाई 683 किलोमीटर है।

गृहमंत्री ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का मानना है कि जबतक सीमा पर आधारभूत संरचना को अद्यतन एवं मजबूत नहीं किया जाएगा तबतक सुरक्षा बल अपना काम सही से नहीं कर पाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर सीमा पर आधारभूत संरचना सही नहीं हुए तो स्थानीय आबादी का इन इलाकों से पलायन जारी रहेगा और यह हमारी सीमाओं को असुरक्षित बनाएगा।’’

गृहमंत्री ने जोर देकर कहा कि बीएसफ जैसे बलों को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि सीमावर्ती आबादी को मूलभूत सुविधाएं मिले ताकि वे इन वजहों से अन्य स्थानों पर पलायन नहीं करे। इस बल के अधिकारियों ने ‘नियमित तौर’ पर विचार करना चाहिए और योजना बनानी चाहिए ताकि हम अपने दुश्मनों से हमेशा दो कदम आगे रहें।

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे ‘नियमित तौर पर’’ अपने जवानों के संपर्क में रहे और उनकी समस्याओं का सामधान करने के साथ उनका फीडबैक लें।

कार्यक्रम के दौरान बीएसएफ के महानिदेशक राकेश अस्थाना ने बताया कि बल ने गत एक साल में पश्चिमी सीमा पर 61 बार ड्रोनों को देखा और चार सुरंगों का पता लगाया।

गौरतलब है कि बीएसएफ में 2.65 लाख जवान हैं जो बांग्लादेश और पाकिस्तान से लगती करीब 6,300 किलोमीटर लंबी भारत की सीमा की रक्षा करते है।

गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय, अजय कुमार मिश्र, गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरों के निदेशक अरविंद कुमार और रॉ के प्रमुख सामंत गोयल भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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