'विशेषज्ञ कहेंगे तो ही चिकित्सक को मानेंगे लापरवाही का दोषी', बॉम्बे हाई कोर्ट ने डॉक्टरों को लेकर दिया बड़ा फैसला

By सौरभ खेकडे | Updated: February 11, 2022 19:17 IST2022-02-10T20:12:47+5:302022-02-11T19:17:33+5:30

बॉम्बे हाई कोर्ट ने डॉक्टरों को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस तब तक किसी चिकित्सक के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती, तब तक किसी चिकित्सा विशेषज्ञ ने लापरवाही की पुष्टि नहीं की हो.

Bombay High Court big decision says Only if experts say we will see doctor as guilty of negligence | 'विशेषज्ञ कहेंगे तो ही चिकित्सक को मानेंगे लापरवाही का दोषी', बॉम्बे हाई कोर्ट ने डॉक्टरों को लेकर दिया बड़ा फैसला

बॉम्बे हाईकोर्ट का डॉक्टरों पर बड़ा फैसला (फाइल फोटो)

Highlightsएक सर्जरी के दौरान मरीज का पैर जलाने का डॉक्टर पर आरोप, कोर्ट ने चिकित्सकों के पक्ष में दिया फैसला।सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ‘जैकॉब मैथ्यू विरुद्ध स्टेट ऑफ पंजाब’ के चर्चित फैसले का हवाला देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया निष्कर्ष।बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ ने सुनाया फैसला।

नागपुर: इलाज के दौरान चिकित्सकों की लापरवाही से मरीज को होने वाले नुकसान के कई मामले हमें देखने को मिलते है. कई मामलों में चिकित्सकों से मरीज के परिजन मारपीट करते हैं, तो कई बार चिकित्सकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराया जाता है. लेकिन बंबई हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने ऐसे आपराधिक मामलों में घिरे चिकित्सकों के पक्ष में एक अहम निष्कर्ष दिया हैं. 

न्यायमूर्ति सुनील शुक्रे और न्यायमूर्ति अनिल पानसरे की खंडपीठ ने माना है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए ‘जैकॉब मैथ्यू विरुद्ध स्टेट ऑफ पंजाब’ चर्चित फैसले के अनुसार पुलिस तब तक किसी चिकित्सक के खिलाफ इलाज में लापरवाही के लिए आपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं कर सकती, तब तक किसी चिकित्सा विशेषज्ञ ने लापरवाही की पुष्टि नहीं की हो. यहां तक कि निचली अदालत में दायर होने वाली निजी शिकायत को भी निचली अदालतें तब तक महत्व नहीं दे सकती, तब तक शिकायतकर्ता ने किसी विशेषज्ञ के हवाले से आरोपी चिकित्सक की गलती साबित ना की हो. 

इस निरीक्षण के साथ हाई कोर्ट ने अमरावती की गाडगे नगर पुलिस को याचिकाकर्ता डॉ. अमित मालपे के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई और चार्जशीट दायर ना करने के आदेश दिए है.

विशेषज्ञ समिति ने नहीं माना दोषी

डॉ.मालपे पर आरोप है कि उन्होंने 11 दिसंबर 2020 को भारती मोहोकार नामक महिला की गर्भाशय की सर्जरी के दौरान एक गर्म कॉउटरी पेन्सिल से महिला का पैर जला दिया. मोहकर की शिकायत पर जिला सिविल सर्जन कार्यालय की समिति ने डॉ.मालपे को नोटिस भेजा तो उन्होंने सफाई दी कि कॉउटरी पेन्सिल में तकनीकी खराबी के कारण मरीज का पैर जला है. 

याचिकाकर्ता के वकील फिरदौस मिर्जा ने कोर्ट को बताया कि विशेषज्ञ समिति ने डॉ.मालपे को क्लीन चिट दी लेकिन फिर भी गाडगे नगर पुलिस ने उनके खिलाफ भादवि 338 के तहत मामला दर्ज किया. ऐसा कुछ वर्गों के दबाव के कारण किया गया.

क्या कहती है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन

‘जैकॉब मैथ्यू विरुद्ध स्टेट ऑफ पंजाब’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मानवता की सेवा करने वाला मेडिकल पेशा एक पवित्र व्यवसाय है. ऐसे में चिकित्सकों को बेफिजूल के अपराधिक मामलों से बचाना जरूरी है. फौजदारी प्रक्रिया के नाम पर चिकित्सकों पर अनावश्यक दबाव नहीं डाला जा सकता. ऐसे में पुलिस या निचली अदालत किसी चिकित्सक के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के पूर्व विशेषज्ञ सलाह पर जरूर गौर करें.

Web Title: Bombay High Court big decision says Only if experts say we will see doctor as guilty of negligence

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