'कोमा', 'ब्रेन हेमरेज' और फिर.., नहीं था रास्ता आसान, लेकिन दिल्ली के माधव ने CBSE 12वीं की परीक्षा में 93% लाकर.. किया नाम रोशन
By आकाश चौरसिया | Updated: May 15, 2024 14:40 IST2024-05-15T14:22:47+5:302024-05-15T14:40:14+5:30
दिल्ली के माधव शारण ने सीबीएसई में 93 फीसद अंक लाकर बता दिया कि अगर ठान लो तो कुछ भी मुकाम मुश्किल नहीं। बस इस कठिनाई भरे रास्ते में दृढ़ संकल्प की जरूरत है।

फोटो क्रेडिट- (एक्स)
नई दिल्ली: माधव शारण, जो पिछले दो साल से कोमा में थे, उन्होंने सीबीएसई (CBSE) की कक्षा 12वीं के बोर्ड परीक्षा में 93 फीसदी से पास की। इस बात की जानकारी सोमवार को आए नतीजों में मिली। फिलहाल माधव अमेटी अंतरराष्ट्रीय स्कूल, पुष्प विहार, नई दिल्ली में स्थित स्कूल के छात्र हैं। वो अभी 18 वर्ष के हैं और अगस्त, 2021 से ब्रेन हेमरेज का शिकार हुए और फिर सर्जरी, इसके बाद वो 10 दिनों तक कोमा में चले गए। लेकिन, हार नहीं मानी और एग्जाम 93 फीसद अंकों से पास किया।
अगस्त 2021 में कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षा के बाद से माधव की यात्रा ऊंची-नीची रही, लेकिन उनका दृढ़ संकल्प ही था, जो उनको इस मुकाम पर ला खड़ा कर दिया। इसके बाद उन्हें एवीएम (धमनीशिरा संबंधी विकृति) के कारण हाइपर-डेंस ब्रेन हैमरेज जैसी समस्या से गुजरना पड़ा, जिससे उनका लगभग एक-तिहाई मस्तिष्क प्रभावित हुआ, जिससे बोलने, समझने, अंकगणित और लेखन जैसे महत्वपूर्ण कार्य बाधित हो गए।
"छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर, जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर, तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त, मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर.." ऐसा कुछ दिल्ली के माधव ने कर दिखाया।
दिलीप के पिता ने इस पर बात करते हुए कहा, "माधव कोमा होने के चलते अस्पताल में थे, जहां वे पहले हफ्ते अपनी जिंदगी से तगड़ी फाइट कर रहे थे, इस बीच उन्हें देखभाल की गई। इस बीच उन्हें ये पता चल रहा था कि वो आगें क्या करेंगा या नहीं। उन्होंने बताया कि वो तो बोलना भी भूल गया था। आगामी सप्ताहों में अनिश्चितता बनी रही क्योंकि चिकित्सा पेशेवरों को माधव की समझ और प्रतिक्रिया की सीमा का पता लगाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा"। यह खबर हिंदुस्तान टाइम्स की है।
दिल्ली के वसंत कुंज में रहने वाले उनके पिता ने बताया कि बेटे ने लगभग बोलना ही बंद कर दिया था, जिससे जिंदगी का एक पन्ना और देखने को उन्हें मिला। 12 महीनों के अंदर माधव की मस्तिष्क से संबंधित महत्वपूर्ण सर्जरी हुईं और रेडिएशन भी उनके अंतर्गत आ गई, जिसमें उसकी खोपड़ी से एक हड्डी के फ्लैप को हटाना, उसे छह महीने तक खुला छोड़ना शामिल है।
इन कठिनाइयों के बावजूद माधव की थोड़ी-थोड़ी वापसी होती देखी गई, इसके साथ वो पूरी तरह से बोलने में अस्मर्थ दिखे और उनके अंग भी अपना कार्य धीरे-धीरे कर रहे थे।
यह उनके पूर्व जीवन को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक धीमा और कठिन रास्ता था। अपनी कठिन परीक्षा के छह महीने बाद, माधव ने धीरे-धीरे बोलना शुरू किया, हालांकि ध्यान देने योग्य कठिनाई के साथ।
शरण ने कहा, "प्राथमिक अंग्रेजी को फिर से सीखने की प्रक्रिया लगभग एक साल तक चली, जो उनकी भाषाई चुनौतियों की भयावहता को उजागर करती है। हालांकि, हिंदी, जिस भाषा को वह कभी जानते थे को याद करने में वो असमर्थ थे, उनकी चिकित्सा परीक्षा के लंबे समय तक रहने वाले प्रभाव की मार्मिक याद दिलाती है।"
हालांकि, माधव ने साल 2022 में स्कूल का रुख किया। इसके बाद उसने साइंस से आर्ट्स में जाने का फैसला कर लिया। उसकी बढ़ती क्षमताओं को समायोजित करने के लिए उसकी शैक्षणिक गतिविधियों को अनुकूलित करने की आवश्यकता को स्वीकार करना इतना आसान नहीं था। चल रही चुनौतियों के बावजूद, जो उनके दैनिक जीवन में बाधा डालती हैं, माधव का दृढ़ संकल्प और अटूट जुनून मार्गदर्शक के रूप में काम करते हैं, जो उन्हें सामान्य स्थिति की खोज में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं।
पिता बिजनेसमैन हैं और वो आगे बताते हैं कि जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए उसे अकेला छोड़ा, जिससे वो बीते हुए समय को भूलते हुए आगे बढ़कर नई चीजों में हिस्सा ले सके।