बेंगलुरु में ब्लैक फंगस के चलते कम पड़े बेड, मरीजों को वापस लौटा रहे अस्पताल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: May 23, 2021 14:48 IST2021-05-23T14:44:59+5:302021-05-23T14:48:14+5:30
ब्लैक फंगस की गंभीरता को देखते हुए बेंगलुरु के अस्पतालों में बेड्स रिजर्व किए गए थे। हालांकि अब शहर में बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों के कारण ये बेड्स भी भर चुके हैं।

देश में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। (फाइल फोटो)
देश में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ब्लैक फंगस की गंभीरता को देखते हुए बेंगलुरु के अस्पतालों में बेड्स रिजर्व किए गए थे। हालांकि अब शहर में बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों के कारण बेड्स भी भर चुके हैं। इसके बाद मरीजों को ओपीडी से ही लौटाया जा रहा है।
म्यूरकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के मरीजों को करीब दो सप्ताह तक अस्पताल में देखभाल की जरूरत होती है। हालांकि क्षमता से अधिक मरीजों के आने के बाद अस्पताल लोगों को दूसरे अस्पताल जाने के लिए कह रहे हैं। शहर के मिंटो आई हॉस्पिटल में करीब 50 मरीज भर्ती हैं और अब बेड्स की कमी होने के बाद ब्लैक फंगस के मरीजों को दूसरे अस्पतालों में जाने के लिए कहा जा रहा है।
ऐसे चपेट में लेता है ब्लैक फंगस
कोरोना वायरस संक्रमण के बाद अब लोगों को ब्लैक फंगस से जूझना पड़ रहा है। इसके कारण कई लोगों को अपनी आंख गंवानी पड़ी है। यह संक्रमण नाक से होते हुए आंख और फिर मस्तिष्क को भी चपेट में ले लेता है। सामने आया है कि कोविड-19 से ठीक होने वाले मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले देखने को मिल रहे हैं। ऐसे लोगों में यह बीमारी देखने को मिल रही है जिन्होंने कोविड-19 संक्रमण के इलाज के दौरान ज्यादा मात्रा में स्टेरॉयड का सेवन किया या फिर जो ऑक्सीजन पर रहे।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की मांग
इसके साथ ही अस्पतालों में ब्लैक फंगस से निपटने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी मदद ली जा रही है। डॉक्टर्स का कहना है कि ब्लैक फंगस के ज्यादातर मरीजों को डायबिटीज भी होती है, ऐसे में उन्हें किसी एक तरह का इलाज नहीं दिया जा सकता है। जिसके कारण विभिन्न विशेषज्ञ चिकित्सकों की जरूरत होती है।