#MeToo पर फिर बोले बीजेपी सांसद उदित राज- क्या होगा जब झूठी शिकायत से किसी की प्रतिष्ठा धूमिल हो जाती है?
By भाषा | Published: October 11, 2018 08:49 PM2018-10-11T20:49:07+5:302018-10-11T20:49:07+5:30
#MeToo: तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाये जाने के बाद इस अभियान की शुरुआत हुई थी, जिसमें आगे चलकर कई अन्य महिलाएं भी जुड़ती चली गईं।
नई दिल्ली, 11 अक्टूबर: देशभर में चल रहे #MeToo अभियान को कुछ ही दिन पहले एक ‘‘खराब प्रथा’’ बताने वाले भाजपा सांसद उदित राज ने गुरुवार को एक बार फिर इस अभियान पर सवाल खड़े किये। उन्होंने पूछा कि क्या होगा यदि किसी पुरुष पर महिला के कथित यौन उत्पीड़न की शिकायत झूठी साबित हो और इसके कारण (आरोपों की वजह से) उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा धूमिल हो जाए।
उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न की महज एक शिकायत के आधार पर आरोपी पर कार्रवाई करने या उसके इस्तीफे की मांग करने का मतलब है कि पुलिस या न्यायिक व्यवस्था की कोई जरुरत ही नहीं है।
किसी व्यक्ति की खोई हुई प्रतिष्ठा वापस आ सकती है?
उत्तरी-पूर्वी दिल्ली से भाजपा सांसद ने ट्वीट किया, ‘‘यौन उत्पीड़न के पीड़ित व्यक्ति की महज मौखिक या लिखित शिकायत पर ही फैसले पर पहुंच जाना और उसपर कार्रवाई करना या उसके इस्तीफे की मांग करने का मतलब है कि पुलिस या न्यायिक व्यवस्था की कोई जरुरत ही नहीं है। क्या होगा यदि वह मामला झूठा साबित हो जाता है और क्या किसी व्यक्ति की खोई हुई प्रतिष्ठा वापस आ सकती है?’’
इस हफ्ते की शुरुआत में भी राज ने भारत में चल रहे ‘मी टू’ अभियान को एक ‘‘खराब चलन’’ बताया था और इस पर सवाल खड़ा करते हुये कहा था कि 10 साल बाद किसी व्यक्ति के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने का क्या औचित्य है।
गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से देशभर में महिलाएं अपने साथ कभी हुये यौन उत्पीड़न के अनुभव को साझा कर रही हैं। खासकर इसमें मनोरंजन और मीडिया जगत की पीड़िताएं ज्यादा मुखरता से अपनी बात रख रही हैं। हाल ही में तनुश्री दत्ता द्वारा नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाये जाने के बाद इस अभियान की शुरुआत हुई थी, जिसमें आगे चलकर कई अन्य महिलाएं भी जुड़ती चली गईं।
#MeToo कैम्पेन को गलत प्रथा
सांसद उदित राज ने पिछली बार #MeToo कैम्पेन को गलत प्रथा बताया था। उन्होंनेतनुश्री के लगाए आरापों के ऊपर बोला था- 10 साल बाद किसी के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाना कितना प्रासंगिक है। उन्होंने कहा- देश में #MeToo अभियान जोर पकड़ता दिख रहा है और एक के बाद एक कई महिलाएं मनोरंजन और मीडिया जगत में अपने यौन उत्पीड़न के अनुभवों को साझा कर रही हैं।