उत्तर प्रदेश में मिली हार की बीजेपी ने की समीक्षा, अधिकारियों का रवैया और अंदरूनी कलह बड़ा कारण, केंद्र को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
By शिवेन्द्र कुमार राय | Updated: July 2, 2024 15:45 IST2024-07-02T15:41:44+5:302024-07-02T15:45:03+5:30
19 से 25 जून के बीच भाजपा ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्वाचन क्षेत्र लखनऊ को छोड़कर, 78 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने प्रदर्शन की समीक्षा की।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों में भाजपा को सबसे बड़ा झटका उत्तर-प्रदेश में लगा था। यूपी में बीजेपी की संसदीय सीटों की संख्या 62 से गिरकर 33 हो गई। उसका वोट शेयर 49.98% से घटकर 41.37% हो गया। पार्टी ने इसके कारणों पर गौर किया है। भाजपा के आंतरिक सर्वे में राज्य प्रशासन के अधिकारियों को कथित तौर पर दी गई खुली छूट और संविधान और आरक्षण के मुद्दों पर विपक्ष के आक्रामक अभियान को वोटों में गिरावट का प्रमुख कारण माना गया है। इसमें कहा गया है कि ओबीसी और दलित वोटों में विभाजन हुआ जो भाजपा के लिए अच्छा साबित नहीं हुआ।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 19 से 25 जून के बीच भाजपा ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के निर्वाचन क्षेत्र लखनऊ को छोड़कर, 78 निर्वाचन क्षेत्रों में अपने प्रदर्शन की समीक्षा की। इसके लिए 24 प्रश्नों की एक चेकलिस्ट के साथ वरिष्ठ भाजपा नेताओं की टीमों ने पार्टी के स्थानीय नेताओं और जन प्रतिनिधियों से मुलाकात की। पता लगाया कि कई निर्वाचन क्षेत्रों में उनकी जीत का अंतर क्यों कम हो गया और पार्टी को इतनी सीटें क्यों हारनी पड़ी।
चुनाव परिणामों पर यूपी बीजेपी के पदाधिकारियों और आरएसएस पदाधिकारियों के बीच बैठकें हुईं। राज्य इकाई ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है और इसे इसी सप्ताह केंद्रीय नेतृत्व को सौंप दिया जाएगा। समीक्षा से जुड़े बीजेपी के वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार संविधान और आरक्षण पर विपक्ष के अभियान, पेपर लीक और बेरोजगारी से पैदा हुई परेशानी और स्थानीय प्रशासन की उपेक्षा और अपमान से बीजेपी कार्यकर्ताओं में निराशा के कारण सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है।
इसमें कहा गया है कि 'वीआईपी संस्कृति' पर नकेल कसने के राज्य सरकार के फैसले ने पुलिस कर्मियों और अधिकारियों को खुली छूट दे दी। भाजपा कार्यकर्ताओं के वाहनों से पार्टी के झंडे हटा दिए गए। उनके वाहनों की जाँच की गई और यातायात नियमों के कथित उल्लंघन के लिए चालान काटे गए। उन्हें स्थानीय पुलिस स्टेशनों और तहसील कार्यालयों में अधिकारियों द्वारा अपमानित किया गया। नतीजा यह हुआ कि इस बार उन्होंने अपने पोलिंग बूथों पर बीजेपी की जीत सुनिश्चित करने के लिए उत्साह नहीं दिखाया।
पश्चिम यूपी में ठाकुरों के बीच का गुस्से ने भी इस क्षेत्र में पार्टी को नुकसान पहुंचाया। समीक्षा रिपोर्ट में सरधना के पूर्व विधायक संगीत सिंह सोम पर भी ठाकुरों को भड़काने का आरोप लगाया गया है। जिससे मुजफ्फरनगर में पार्टी के उम्मीदवार और पूर्व सांसद संजीव कुमार बालियान को नुकसान हुआ। भाजपा न केवल मुज़फ़्फ़रनगर बल्कि सहारनपुर और कैराना भी हार गई और मेरठ और मथुरा में उसका मार्जिन कम हो गया।
समीक्षा के मुताबिक अंदरूनी कलह से पार्टी को अमेठी में भी नुकसान हुआ, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी गांधी परिवार के वफादार केएल शर्मा से हार गईं। अमेठी में, पार्टी के एक विधायक और एक अन्य प्रभावशाली नेता ने भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ काम किया।