भाजपा सांसद ने डीडीएमए के प्रतिबंधों के बावजूद यमुना किनारे छठ पूजा की तैयारियों की शुरुआत की
By भाषा | Updated: November 8, 2021 22:19 IST2021-11-08T22:19:36+5:302021-11-08T22:19:36+5:30

भाजपा सांसद ने डीडीएमए के प्रतिबंधों के बावजूद यमुना किनारे छठ पूजा की तैयारियों की शुरुआत की
नयी दिल्ली, आठ नवंबर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद प्रवेश वर्मा ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की ओर से राजधानी में यमुना नदी के घाटों पर छठ पूजा के आयोजन पर रोक लगाए जाने के बावजूद सोमवार को आईटीओ के निकट स्थित एक घाट पर पूजा अर्चना की और सूर्य देव की आराधना वाले इस त्योहार की तैयारियों की शुरुआत की।
पश्चिमी दिल्ली के सांसद वर्मा आईटीओ के निकट स्थित एक छठ घाट पर भाजपा कार्यकर्ताओं और पूर्वांचली समाज के लोगों के साथ पहुंचे और वहां ‘पूजा-अर्चना’ की। नहाय-खाय के साथ ही आज से देशभर में छठ पूजा की शुरुआत हो गई।
पूजा की तैयारियों की शुरुआत के दिन एक नया विवाद सामने आ गया जब गंदे और जहरीले पानी में छठ व्रती महिलाओं की कालिंदीकुंज में यमुना किनारे डुबकी लगाती तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए।
विपक्षी भाजपा ने इस स्थिति के लिए आम आदमी पार्टी (आप) को दोषी ठहराया, जबकि सत्ताधारी दल के नेताओं ने दावा किया कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश की ओर से छोड़े गए अशोधित जल के कारण नदी में पानी पर झाग तैरते नजर आ रहे हैं।
भाजपा की दिल्ली इकाई के पूर्व अध्यक्ष व सांसद मनोज तिवारी ने यमुना नदी में प्रदूषण को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यह छठ मनाने वाले पूर्वांचलियों के साथ ‘‘धोखा’’ है।
उत्तर पूर्व दिल्ली के सांसद तिवारी ने उच्चतम न्यायालय से इस मामले का स्वत: संज्ञान लेने की भी अपील की और दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी तय करने की मांग की।
तिवारी ने सोनिया विहार और कालिंदी कुंज में छठ घाटों का भ्रमण भी किया और दावा किया कि हरियाणा से साफ पानी दिल्ली आया लेकिन कालिंदीकुंज आते-आते यह प्रदूषित हो जा रही है।
हालांकि, आप नेताओं ने इस प्रदूषण के लिए हरियाणा सरकार को जिम्मेदार ठहराया।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा, ‘‘भाजपा नेताओं को हरियाणा सरकार से सवाल करना चाहिए। वहां भाजपा की सरकार है।’’
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि आप सरकार ने छठ पूजा के लिए 800 घाटों पर व्यवस्था की है वहां तंबुओं से लेकर पीने के पानी और रोशनी की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि 2015 से पहले सिर्फ 80 से 90 घाटों पर ही छठ पूजा की व्यवस्था की जाती थी और उनका भी उपयोग भाजपा और कांग्रेस के सिर्फ गिने-चुने लोग कर पाते थे।
कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अनिल कुमार ने आरोप लगाया कि आप और भाजपा पूर्वांचलियों के यमुना किनारे छठ पूजा करने की राह में रोड़े अटका रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यमुना के प्रदूषित जल ने केजरीवाल सरकार के दोहरे चरित्र को उजागर कर दिया है।
यमुना किनारे छठ पूजा की तैयारियों की शुरुआत करने वाले वर्मा ने भी आप सरकार पर हमला बोला और कहा, ‘‘अरविंद केजरीवाल पंजाब और उत्तराखंड के दौरे कर रहे हैं और वहां चुनावों को लेकर चिंतित हैं। ऐसे में कोविड-19 के सभी नियमों का पालन करते हुए दिल्ली में छठ पूजा करने वाले पूर्वांचलियों की चिंता कौन करेगा? वह कैसे उनके विश्वास के साथ धोखा कर सकते हैं?’’
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में बड़ी संख्या में बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग रहते हैं, जिन्हें ‘पूर्वांचली’ कहा जाता है।
कोविड महामारी के चलते डीडीएमए ने इस साल यमुना घाटों पर छठ पूजा के आयोजन पर रोक लगा दी है। डीडीएमए ने प्रशासन और पुलिस को इस रोक का सख्ती से पालन करने का निर्देश भी जारी किया है। आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ डीडीएमए ने कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई की बात भी कही थी।
यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस की ओर से भाजपा सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई की जाएगी, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि भाजपा सांसद वहां पूजा की तैयारियों के लिए गए थे।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि कोई डीडीएमए के आदेशों का 10 नवंबर को उल्लंघन करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और सजा दी जाएगी।’’
दस नवंबर को छठ की मुख्य पूजा होगी। उस दिन शाम को अर्घ्य दिया जाएगा।
इस आदेश को लेकर राजधानी की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) और भाजपा के बीच पिछले कई दिनों से जुबानी जंग जारी है। इस पर्व के राजनीतिक मायने भी हैं क्योंकि पूर्वांचल (पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार) के लोग भारी संख्या में शहर में निवास करते हैं जो कि वोट बैंक के लिहाज से दोनों दलों के लिए अहम हैं।
वर्मा ने रविवार को इस प्रतिबंध की अवहेलना कर घाट पर छठ पूजा करने के लिए कहा था। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उन्हें रोककर दिखाने की चुनौती दी थी।
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