भाजपा ने ईसी, ईडी और सीबीआई को बनाया अपना चुनावी टूलकिट, निर्वाचन आयोग के आदेश पर बोलीं उद्धव ठाकरे गुट की नेता प्रियंका चतुर्वेदी
By रुस्तम राणा | Updated: February 18, 2023 14:14 IST2023-02-18T14:01:12+5:302023-02-18T14:14:08+5:30
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, भाजपा ने चुनाव आयोग, ईडी और सीबीआई को अपना चुनावी टूलकिट बना लिया है और अब उनका अगला लक्ष्य न्यायपालिका है।

भाजपा ने ईसी, ईडी और सीबीआई को बनाया अपना चुनावी टूलकिट, निर्वाचन आयोग के आदेश पर बोलीं उद्धव ठाकरे गुट की नेता प्रियंका चतुर्वेदी
मुंबई: निर्वाचन आयोग के आदेश को लेकर उद्धव ठाकरे गुट की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, भाजपा ने चुनाव आयोग, ईडी और सीबीआई को अपना चुनावी टूलकिट बना लिया है और अब उनका अगला लक्ष्य न्यायपालिका है। कानून मंत्री और राज्यसभा के सभापति न्यायपालिका को चुनौती देते रहते हैं। इसलिए लोकतंत्र की रक्षा करना सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जैसी स्वतंत्र एजेंसियों को देखना आश्चर्यजनक है, जो लोकतंत्र और कानून की रक्षा के लिए स्थापित की गई थी, जो इतना नीचे गिर रही है और उन लोगों का पक्ष ले रही है जिन्होंने एक राजनीतिक दल को धोखा दिया है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग 'पूरी तरह से समझौता किया गया संस्थान' है।
BJP has already made EC, ED and CBI their election toolkits and now their next aim is the judiciary. Law Minister & Rajya Sabha chairman keep challenging judiciary. So it is Supreme Court’s responsibility to protect democracy: Priyanka Chaturvedi, Uddhav Thackeray faction leader pic.twitter.com/ATA9iDq9m3
— ANI (@ANI) February 18, 2023
बता दें कि निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी है। पार्टी और उसके निशान धनुष और बाण पर आयोग ने शिंदे गुट का अधिकार बताया है। इसी को लेकर शनिवार को प्रतिद्वंद्वी खेमे के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भविष्य के कदम पर चर्चा करने के लिए अपनी पार्टी के नेताओं और पदाधिकारियों की बैठक बुलाई।
यह पहली बार है जब ठाकरे परिवार ने 1966 में बालासाहेब ठाकरे बनायी गई पार्टी से नियंत्रण खो दिया है। तीन सदस्यीय आयोग ने शिंदे द्वारा दायर छह महीने पहले दायर याचिका पर एक सर्वसम्मत आदेश में कहा कि उसने फैसला लेते समय विधायक दल में पार्टी के संख्या बल पर गौर किया जिसमें मुख्यमंत्री को 55 विधायकों में से 40 विधायक और 18 सांसदों में से 13 का समर्थन है।