'जिन्हें संजीवनी बूटी देनी है, वह अपने भाई पर मारक शक्ति चला रहे', बीजेपी नेता का दिग्विजय सिंह पर तंज
By राजेंद्र पाराशर | Updated: January 9, 2020 06:22 IST2020-01-09T06:22:53+5:302020-01-09T06:22:53+5:30
पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने दिग्विजय सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि सतयुग में लक्ष्मण अपने भाई राम के लिए वनवास गए थे, लेकिन मध्यप्रदेश में इस बार लक्ष्मण को भाई के प्रभाव वाली सरकार ने वनवास भेज दिया है.

'जिन्हें संजीवनी बूटी देनी है, वह अपने भाई पर मारक शक्ति चला रहे', बीजेपी नेता का दिग्विजय सिंह पर तंज
पूर्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता नरोत्तम मिश्रा ने राज्य की कमलनाथ सरकार चाचौड़ा को जिला बनाने की कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह द्वारा उठाई जा रही मांग को लेकर घेरा. उन्होंने दिग्विजय सिंह पर भी तंज कसते हुए कहा कि भाई के प्रभाव वाली सरकार ने भाई को ही वनवास भेज दिया. मिश्रा ने कहा कि जिन्हें संजीवनी बूटी देनी है, वही अपने भाई पर मारक शक्ति चला रहे हैं.
पूर्व मंत्री मिश्रा ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्णम सिंह द्वारा चाचौड़ा को जिला बनाने की मांग को लेकर निकाली जा रही पदयात्रा को लेकर कहा कि कमलनाथ सरकार अपने ही विधायक की नहीं सुन रही है. उन्होंने कहा कि चाचौड़ा को जल्द जिला बनाया जाना चाहिए.
मिश्रा ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि सतयुग में लक्ष्मण अपने भाई राम के लिए वनवास गए थे, लेकिन मध्यप्रदेश में इस बार लक्ष्मण को भाई के प्रभाव वाली सरकार ने वनवास भेज दिया है. उन्होंने कहा कि जिन्हें संजीवनी बूटी देनी है, वही अपने भाई पर मारक शक्ति चला रहे हैं. मिश्रा ने कहा कि एक तरफ तो प्रदेश सरकार के मंत्री कहते हैं सरकार पर्दे के पीछे से दिग्विजय सिंह ही चला रहे हैं, तो फिर वह कैसी सरकार चला रहे हैं जो अपने भाई की मांग को ही पूरा नहीं कर पा रहे हैं.
गौरतलब है कि कांग्रेस विधायक लक्ष्मण सिंह चाचौड़ा को जिला बनाए जाने की मांग को लेकर पदयात्रा कर रहे हैं. उनकी यह पदयात्रा 65 किलोमीटर की होगी. इसके पूर्व लक्ष्मण सिंह इसी मांग को लेकर अपने भाई और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भोपाल स्थित शासकीय आवास पर धरने पर भी बैठे थे. इसके अलावा मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी वे इस मांग को लेकर चर्चा कर चुके हैं. इसके बाद भी जब मांग पूरी नहीं हुई तो वे फिर से इसी मांग को लेकर पदयात्रा पर निकले हैं.