बिहार के शिक्षा मंत्री ने पद से इस्तीफा दिया
By भाषा | Updated: November 19, 2020 21:21 IST2020-11-19T21:21:46+5:302020-11-19T21:21:46+5:30

बिहार के शिक्षा मंत्री ने पद से इस्तीफा दिया
पटना, 19 नवम्बर बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने बृहस्पतिवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद चौधरी को मंत्री बनाए जाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था।
राज्य की नीतीश कुमार कैबिनेट में एक मंत्री के तौर पर शपथ लेने के तीन दिन बाद ही चौधरी ने इस्तीफा दे दिया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चौधरी को शपथ ग्रहण के एक दिन बाद मंगलवार को प्रभार आवंटित किया गया था। उन्होंने अपराह्न एक बजे प्रभार संभालने के तत्काल बाद अपना इस्तीफा भेज दिया।
चौधरी मुख्यमंत्री कुमार के नेतृत्व वाले जदयू के सदस्य हैं। वह बिहार कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर में शिक्षकों और तकनीशियनों की नियुक्ति में कथित अनियमितता के पांच वर्ष पुराने एक मामले में आरोपी हैं। वह इस विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं।
राज्य में हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट से निर्वाचित हुए चौधरी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद अपना इस्तीफा दे दिया।
राज्यपाल फागू चौहान ने मुख्यमंत्री कुमार की सलाह पर यह निर्णय लिया है कि शिक्षा विभाग के मंत्री मेवा लाल चौधरी तात्कालिक प्रभाव से बिहार राज्य के मंत्री तथा मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं रहेंगे।
राजभवन द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सलाह पर भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को अगले आदेश तक शिक्षा विभाग का अतिरिक्त कार्य भी आवंटित कर दिया है।
चौधरी ने कहा, “मैं नियुक्तियों में सीधे तौर पर शामिल नहीं था। कुलपति के रूप में, मैं केवल विशेषज्ञों की समिति का अध्यक्ष था जिसे भर्ती का काम सौंपा गया था। इसके अलावा, किसी भी अदालत ने मुझे दोषी नहीं ठहराया है और न ही मेरे खिलाफ कोई चार्जशीट दायर की गई है।”
चौधरी का नाम 2017 में भागलपुर जिले के बिहार कृषि विश्वविद्यालय में सहायक शिक्षकों और कनिष्ठ वैज्ञानिकों की नियुक्तियों में अनियमितता से संबंधित दर्ज एक प्राथमिकी में आया था।
जद (यू) प्रमुख के करीबी माने जाने वाले, चौधरी को कुलपति के तौर पर उस समय नियुक्त किया गया था, जब 2010 में उक्त विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी और पांच साल बाद अपने कार्यकाल की समाप्ति पर तारापुर विधानसभा सीट से पार्टी के टिकट पर निर्वाचित हुए थे जिसे उन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बरकरार रखा।
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जो उस समय विपक्ष में थे और भ्रष्टाचार के मामले में उन्होंने उनके खिलाफ खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। इस संबंध में पूछे जाने पर चौधरी ने, ‘‘मुझे लगता है कि उन्हें कुछ लोगों द्वारा गुमराह किया गया था।’’
हालांकि, उन्होंने अपनी पत्नी नीता (पिछले साल गैस सिलेंडर विस्फोट में मौत हो गई थी) की मृत्यु पर कुछ लोगों द्वारा संदेह जताए जाने पर नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा, “मैं उन लोगों को कानूनी नोटिस भेजने जा रहा हूं, जो मेरे खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। मैं 50 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग करूंगा।"
चौधरी की पत्नी ने 2010-15 से तारापुर का प्रतिनिधित्व किया था।
चौधरी के इस्तीफा देने के तुरंत बाद, राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपने मंत्रिमंडल में "भ्रष्ट" व्यक्ति को शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा।
तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, "जनादेश के माध्यम से बिहार ने हमें एक आदेश दिया है कि आपकी भ्रष्ट नीति, नीयत और नियम के खिलाफ आपको आगाह करते रहें। महज एक इस्तीफे से बात नहीं बनेगी। अभी तो 19 लाख नौकरियां, संविदा और समान काम-समान वेतन जैसे अनेकों जन सरोकार के मुद्दों पर मिलेंगे।"
राजद नेता ने 69 वर्षीय मुख्यमंत्री कुमार पर कटाक्ष करते हुए कहा, "मैंने कहा था ना आप थक चुके है इसलिए आपकी सोचने-समझने की शक्ति क्षीण हो चुकी है। जानबूझकर भ्रष्टाचारी को मंत्री बनाया, थू-थू के बावजूद पद्भार ग्रहण कराया, घंटे बाद इस्तीफ़े का नाटक रचाया।
असली गुनाहगार आप है। आपने मंत्री क्यों बनाया? आपका दोहरापन और नौटंकी अब चलने नहीं दी जाएगी?"
इस बीच, जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि चौधरी का इस्तीफा भ्रष्टाचार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘जीरो टालरेंस’ का एक और सबूत है’।
उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420 के तहत आरोपी राजद नेता तेजस्वी यादव से पूछना चाहूंगा कि वह विधानमंडल के पार्टी नेता पद से इस्तीफा कब देंगे।
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