बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षणः 9 दिन बाद भी किसी दल ने नहीं दर्ज कराई आपत्ति?, सड़क से लेकर संसद तक हाय तौबा

By एस पी सिन्हा | Updated: August 9, 2025 17:14 IST2025-08-09T17:13:40+5:302025-08-09T17:14:48+5:30

Bihar voter list revision: जमुई जिले के सदर प्रखंड के चौड़ीहा पंचायत के आमीन गांव में मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में भारी गड़बड़ी सामने आई है।

Bihar voter list revision Even after 9 days no party lodged any objection hue cry streets Parliament | बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षणः 9 दिन बाद भी किसी दल ने नहीं दर्ज कराई आपत्ति?, सड़क से लेकर संसद तक हाय तौबा

Bihar voter list revision

HighlightsBihar voter list revision: बीएलओ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।Bihar voter list revision: आधा दर्जन से अधिक मृतक भी शामिल हैं।Bihar voter list revision: त्रुटि दूर करने के लिए अपने दावे और आपत्ति दर्ज करें।

पटनाः बिहार मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर इंडिया गठबंधन के द्वारा सड़क से लेकर संसद तक भले ही हाय तौबा मचाया जा रहा हो, लेकिन हाल यह है कि पुनरीक्षण के पश्चात मतदाता सूची प्रारूप प्रकाशन के 9 दिन होने के बावजूद किसी भी दल के अभी तक आपत्ति दर्ज नही कराई है। चुनाव आयोग ने शनिवार को दावा किया कि अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने इसे लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। बिहार मतदाता सूची के प्रारूप को 1 अगस्त को जारी किया गया था। जबकि चुनाव आयोग बार-बार कह रहा है कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में कोई भी योग्य मतदाता छूटने ना पाए और कोई भी अयोग्य मतदाता जुड़ने न पाए। आयोग के द्वारा यह कहा जा रहा है कि 1 अगस्त को जारी की गई बिहार की प्रारूप मतदाता सूची में कोई भी त्रुटि दूर करने के लिए अपने दावे और आपत्ति दर्ज करें।

लेकिन अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी दावा या आपत्ति नहीं दर्ज की है। जबकि विपक्ष के द्वारा बड़ी संख्या में लोगों को मतदाता सूची से बाहर करके उनके अधिकार छीनने का आरोप लगाया जा रहा है, लेकिन मसौदा मतदाता सूची में नाम हटाने या सुधारों को लेकर किसी भी राजनीतिक दल के बीएलए ने आपत्ति दर्ज नहीं कराई।

चुनाव आयोग ने बूथ-वार मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की थी, जो सभी राजनीतिक दलों के साथ साझा भी की गई। चुनाव आयोग ने यह भी जानकारी दी कि बिहार के सभी 12 मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने भी अपने बीएलए की संख्या 1,38,680 से बढ़ाकर 1,60,813 कर दी है।

बता दें कि बिहार लंबी कतारों से बचने के लिए प्रति बूथ मतदाताओं की संख्या 1,200 तक सीमित करने वाला पहला राज्य बन गया है। मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई। इसी तरह, बीएलओ की संख्या भी 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई। बिहार के मतदाताओं की सहायता के लिए, स्वयंसेवकों की संख्या भी 1 लाख की जा रही है।

इसी बीच बिहार में कई स्थानों पर मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में भारी गड़बड़ी सामने आई है। राजधानी पटना के बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र के वार्ड 36, बूथ 182 की सूची में कई मृत व्यक्तियों के नाम शामिल होने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। इसमें सोना देवी, बालेश्वर प्रसाद और जानकी साव जैसे लोगों के नाम सामने आए जो सालों पहले दुनिया छोड़ चुके हैं।

इस खुलासे ने निर्वाचन आयोग और बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उसी तरह जमुई जिले के सदर प्रखंड के चौड़ीहा पंचायत के आमीन गांव में मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य में भारी गड़बड़ी सामने आई है। वार्ड संख्या 3 में एक ही मकान संख्या (3) पर करीब 230 मतदाताओं के नाम दर्ज कर दिए गए, जिनमें आधा दर्जन से अधिक मृतक भी शामिल हैं।

स्थानीय 70 वर्षीय नूर हसन ने बताया कि बीएलओ गांव में घर-घर निरीक्षण के लिए आए ही नहीं। वे गांव के बाहर एक स्थान पर बैठकर फॉर्म भरते रहे और बिना हस्ताक्षर सत्यापन के फॉर्म भेज दिए। मो. दानिश ने भी आरोप लगाया कि बीएलओ राजीव कुमार और गौतम कुमार गांव में घरों का दौरा किए बिना बाहर ही बैठकर कागजी कार्रवाई निपटा दी।

जिससे एक ही मकान में 200 से अधिक मतदाता दर्शा दिए गए। गांव के मो. शाहनबाज ने बताया कि मो. अलीजान की पत्नी कौशल खातून का निधन तीन साल पहले हो चुका था, फिर भी उनका नाम मतदाता सूची में है। उनके अलावा आधा दर्जन मृतकों के नाम इस निरीक्षण में दर्ज पाए गए। ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है।

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