Bihar Vidhan Parishad: विधानसभा और विधान परिषद में अध्यक्ष और सभापति पर भाजपा का कब्जा, निर्विरोध सभापति बने अवधेश नारायण सिंह
By एस पी सिन्हा | Updated: July 23, 2024 14:41 IST2024-07-23T14:39:47+5:302024-07-23T14:41:43+5:30
Bihar Vidhan Parishad: अवधेश नारायण सिंह के विधान परिषद के सभापति बनने के बाद विधानसभा और विधान परिषद दोनों में अध्यक्ष और सभापति पर भाजपा का कब्जा हो गया है।

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पटनाः बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह को सर्वसमति से सभापति चुन लिया गया। मंगलवार को सदन की कार्यवाही शुरू होते ही उनके निर्विरोध सभापति चुन लिये जाने की घोषणा की गई। घोषणा के बाद नेता विरोधी दल राबड़ी देवी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाथ पकड़ अवधेश नारायण सिंह को आसान पर बैठाया। सोमवार को उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं अन्य वरिष्ठ सदस्यों के साथ सभापति पद के लिए विधान परिषद के सचिव अखिलेश कुमार झा के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था।
सभापति के तौर पर सत्ताधारी दल के साथ ही विपक्षी दलों ने भी अवधेश नारायण सिंह का समर्थन किया था। इतना ही नेता विरोधी दल राबड़ी देवी खुद प्रस्तावक भी बनी थी। उसके बाद इनका सभापति चुना जाना लगभग तय हो गया था। अवधेश पहली बार आठ अगस्त 2012 को सभापति बने थे। दो बार कार्यकारी सभापति रह चुके हैं।
सभापति का पद पर रहे जदयू के देवेश चंद्र ठाकुर के सीतामढ़ी से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद त्यागपत्र देने से रिक्त हुआ था। अवधेश नारायण सिंह के विधान परिषद के सभापति बनने के बाद विधानसभा और विधान परिषद दोनों में अध्यक्ष और सभापति पर भाजपा का कब्जा हो गया है। पांच दिवसीय इस मानसून सत्र में विधान परिषद के 207वें सत्र का भी आयोजन होगा।
सत्र शुरू होने के दूसरे दिन अवधेश नारायण सिंह को बड़ी जिम्मेदारी मिली है और वे सभापति के रूप में अब दायित्व संभालते नजर आने लहे हैं। तीन दिन पहले ही बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें सभी दलों के नेता शामिल हुए। बैठक में 207वें सत्र के सुगम एवं सफल संचालन पर चर्चा की गई थी।
सभापति ने सभी दलों के नेताओं से आगामी सत्र के कुशल, सफल एवं शांतिपूर्ण संचालन के लिए सार्थक सहयोग देने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि उच्च सदन की अपनी एक गरिमा होती है, जिसका सम्मान सभी सदस्यों को करनी चाहिए। आसन का हमेशा यह प्रयास होता है कि सदन निष्पक्ष रूप से नियम एवं संसदीय प्रक्रियाओं से संचालित हो।