बिहार का अजीबोगरीब मामला, 60 फीट लंबा और 10 फीट चौड़ा पुल चोरी, चोर JCB से उखाड़ ले गए 20 टन लोहे
By विनीत कुमार | Published: April 8, 2022 09:48 AM2022-04-08T09:48:42+5:302022-04-08T10:12:35+5:30
बिहार के सासाराम में नासरीगंज में सोन नहर पर बने लोहे के पुल के दिन दहाड़े गायब होने जाने का मामला सामने आया है। इस पुल का निर्माण करीब 45 साल पहले हुआ था।
सासाराम: बिहार के सासाराम में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां नासरीगंज में सोन नहर पर बना लोहे का पुल गायब हो गया। हैरान करने वाली बात ये है कि करीब साठ फीट लंबे, दस फीट चौड़े और बारह फीट ऊंचे पुल को दिन दहाड़े उखाड़ कर इसके मलबे को पिकअप से लाद कर ले जाया गया लेकिन विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी।
पिकअप पर कई बार में लाद कर ले जाया गया लोहा
यह पुल सोन नहर अवर प्रमंडल नासरीगंज के अमियावर गांव के पास आरा मुख्य नहर पर बने कंक्रीट के पुल के बराबर लगभग पचीस फीट की दूरी पर था। यहां के ग्रामीणों के अनुसार पुल से निकले लोहे को कई बार में पिकअप पर लाद कर ले जाया गया। स्थानीय लोगों का अनुमान है कि पुल से 20 टन लोहा मिला होगा। ग्रामीणों के मुताबिक पुल को उखाड़ने वाले ने खुद को सिंचाई विभाग का कर्मी बताया था।
यहां दरअसल सालों से लोग गांव के उस पार आने-जाने के लिए नाव से इस नहर पार करते थे। साल 1966 में लोगों से भरी नाव डूबने के हादसे में कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद 1972 से 1975 के बीच नहर पर लोहे के पुल का निर्माण कराया गया था। बाद में पुल के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने पर इसके समानांतर कंक्रीट पुल बनवाया गया।
कंक्रीट का पुल बनने के बाद बंद हो गया था इस्तेमाल
ये बात सामने आई है कि लोहे का पुल अब इस्तेमाल में नहीं था। अक्सर इलाके के बच्चे लोहे के पुल के ऊपर से नहर में छलांग लगाने का खेल खेलते थे।
हिंदुस्तान अखबार की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व प्रखंड प्रमुख पवन कुमार ने विभागीय मुख्य अभियंता को सूचना देकर आरोप लगाया है कि पुल को गायब करने में स्थानीय विभागीय अधिकारियों और मौसमी कर्मचारियों की मिलीभगत है। वहीं, विभागीय सहायक अभियंता राधेश्याम सिंह ने बताया कि वे अभी छुट्टी पर हैं। उन्होंने कहा कि घटना की जानकारी मिलने पर उन्होंन जेई को तत्काल थाने में एफआईआर कराने का निर्देश दिया है।
सहायक अभियंता के अनुसार स्थानीय मुखिया ने आवेदन देकर इस पुल हटाने का अनुरोध किया था क्योंकि अक्सर गांव के मवेशी इसमें फंस जाते थे। हालांकि बिना किसी निर्देश या कानूनी प्रक्रिया के पुल कैसे गायब हो गया, ये बात हैरान करने वाली है।