बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के खिलाफ जदयू ने खोला मोर्चा, विधान पार्षद नीरज कुमार ने हनुमान मंदिर में किया रामायण का पाठ

By एस पी सिन्हा | Published: January 14, 2023 08:59 PM2023-01-14T20:59:44+5:302023-01-14T21:00:44+5:30

बिहारः जदयू विधान पार्षद नीरज कुमार शनिवार को अचानक ही राजवंशी नगर हनुमान मंदिर पहुंच गए और अपने समर्थकों के साथ उन्होंने वहीं पर रामायण का पाठ किया।

bihar Ramcharitmanas Education Minister Professor Chandrashekhar MLC Neeraj Kumar recites Ramayana in Hanuman temple JDU opens against  | बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के खिलाफ जदयू ने खोला मोर्चा, विधान पार्षद नीरज कुमार ने हनुमान मंदिर में किया रामायण का पाठ

राजद नेतृत्व से बड़ी मांग करते हुए कहा कि तत्काल मंत्री पर कार्रवाई होनी चाहिए।

Highlightsनीरज कुमार ने कई जगह पर लोगों को दोहा का अर्थ भी समझाया।सहयोगी पार्टी राजद पर हमला बोला। राजद नेतृत्व से बड़ी मांग करते हुए कहा कि तत्काल मंत्री पर कार्रवाई होनी चाहिए।

पटनाः बिहार के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर बयान देने के बाद सियासत तेज हो गई है। महागठबंधन में तकरार बढ़ती जा रही है। प्रो.चंद्रशेखर के खिलाफ जदयू के नेता अब खुलकर बयानबाजी करने लगे हैं।

इसबीच जदयू विधान पार्षद नीरज कुमार शनिवार को अचानक ही राजवंशी नगर हनुमान मंदिर पहुंच गए और अपने समर्थकों के साथ उन्होंने वहीं पर रामायण का पाठ किया। इस मौके पर नीरज कुमार ने कई जगह पर लोगों को दोहा का अर्थ भी समझाया। उन्होंने अपनी सहयोगी पार्टी राजद पर हमला बोला। 

नीरज कुमार ने राजद नेतृत्व से बड़ी मांग करते हुए कहा कि तत्काल मंत्री पर कार्रवाई होनी चाहिए। शिक्षा मंत्री ने हिंदुओं की भावना को आहत किया है। भारत में सनातनी परंपरा के खिलाफ दिया गया बयान कहीं ना कहीं धार्मिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है। उन्होंने कहा कि जदयू इस मसले पर बार-बार कह रही है कि सभी धर्मों को साथ लेकर चलना उसकी पॉलिसी का हिस्सा रहा है।

जदयू की नीति में सर्वधर्म समभाव है और ऐसे में मंत्री चंद्रशेखर को अपने बयान के लिए खेद जताना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम हर शनिवार इस मंदिर में आते हैं। यहां आने के बाद हनुमान चालीसा का पाठ और रामायण पाठ करते हैं। उन्होंने कहा कि इसी चलते हम इस बार भी यहां पहुंचे हैं। इसमें कोई नई बात नहीं है।

जदयू मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि रामचरितमानस हमारा धार्मिक ग्रंथ है। इसकी चर्चा हमारे संविधान में भी की गई है। इस ग्रंथ को बिहार के लोहिया से लेकर महात्मा गांधी ने इसकी काफी तारीफ की है। रामचरितमानस के बारे में महात्मा गांधी ने कहा था कि अगर हमारे मौत के समय भी मुंह में राम का नाम नहीं आता है तो इस तरह की जिंदगी का कोई फायदा नहीं।

इसलिए उन्होंने अपने अंतिम समय में भी हे राम का उच्चारण किया था। जबकि लोहिया ने रामायण मेला ही लगवाने का काम किया था। हम मानते हैं कि संविधान में जो कुछ भी लिखा हुआ है। जिसका उन वाक्यों से कहीं न कहीं उल्लंघन हो रहा है।

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