विरोध बढ़ने के संकेत, अंदर ही अंदर कभी भी विस्फोट?, लालू परिवार और राजद में तेजस्वी यादव के करीबी सलाहकार संजय को लेकर फूट?
By एस पी सिन्हा | Updated: September 19, 2025 15:02 IST2025-09-19T14:37:10+5:302025-09-19T15:02:28+5:30
राजद में लंबे समय से तेजस्वी यादव की ‘आंख-कान’ बन चुके सलाहकार और राज्यसभा सांसद संजय यादव का लालू यादव परिवार में विरोध बढ़ने के संकेत हैं।

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पटनाः राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की क्या अपने ही सियासी परिवार पर पकड़ कमजोर पड़ रही है? क्या लालू यादव की पकड़ कमजोर होने का असर राजद पर पड़ सकता है? क्या इससे परिवार में टूट, बिखराव और अलगाव बढ़ सकता है? ये तमाम सवाल तब उठने लगे हैं, जब तेजस्वी यादव के करीबी संजय यादव की ज्यादा चलने लगी है। सियासी गलियारे में यह चर्चा चलने लगी है कि लालू परिवार में बढ़े तनाव का कारण संजय यादव बन रहे हैं। जानकारों की मानें तो संजय यादव का जादू तेजस्वी यादव पर ऐसा है कि वह जैसे चाह रहे हैं, वैसे ही तेजस्वी यादव काम कर रहे हैं। ऐसे में राजद में लंबे समय से तेजस्वी यादव की ‘आंख-कान’ बन चुके सलाहकार और राज्यसभा सांसद संजय यादव का लालू यादव परिवार में विरोध बढ़ने के संकेत हैं।
रोहिणी आचार्या ने एक ऐसा फेसबुक पोस्ट शेयर किया, जो संजय यादव के खिलाफ है। दरअसल, पटना में जमने के बाद संजय यादव ने राजद की राजनीति और तेजस्वी के कलेवर को कुछ इस तरह से बदलने की कोशिश की है कि राजद का नाम लेने पर लालू के बदले तेजस्वी का चेहरा मन में आए।
तेजस्वी के सलाहकार और रणनीतिकार संजय यादव के प्रभाव और प्रभुत्व का पार्टी और लालू परिवार में स्वाभाविक विरोध है, क्योंकि ऐसा कई बार दिख चुका है कि फैसला वही होता है, जो उनके हिसाब से होता है। इसका राजनीतिक नुकसान पार्टी के नेताओं और परिवार के लोग भी उठा रहे हैं। पिछले दिनों लालू यादव के बड़े तेजप्रताप यादव ने कई गंभीर आरोप लगाए थे।
यहां तक कि घर-परिवार से बनी दूरी के लिए तेज प्रताप यादव ने संजय यादव पर ही निशाना साधा था। उन्होंने बिना नाम लिए अपने छोटे भाई तेजस्वी यादव बनाम परिवार के दूसरे सदस्यों के बीच मतभेद के संकेत दिए। उन्होंने यहां तक कहा कि लालू यादव को जानबूझकर पार्टी की गतिविधियों से दूर रखा जा रहा है, लेकिन इस पूरे मामले को न तो लालू यादव ने और न ही तेजस्वी यादव ने कोई तवज्जो दी।
दरअसल, पहले जेल में रहने और बाद में गंभीर बीमारी के कारण लालू यादव सक्रिय राजनीति से दूर ही रहे हैं। उनका अधिकतर समय दिल्ली में ही गुजरा है। इस दौरान वह पार्टी की गतिविधियों से कम ही जुड़े रहे। ऐसे में उनके परिवार के दूसरे सदस्यों की सक्रियता बढ़ी। तेजस्वी यादव पार्टी का चेहरा बने और लगातार मजबूत होते गए।
इसी दौरान संजय यादव भी तेजस्वी यादव के करीबी हो कर फैसला लेने में सहयोग करने लगे। अब वह निर्विवाद रूप से सारे फैसले ले रहे हैं। माना जा रहा है कि हालात को समझते हुए कहीं न कहीं लालू यादव की सहमति भी इसके लिए है। ऐसे मे संजय यादव के सहयोग से तेजस्वी यादव अपनी पकड़ रणनीति के तहत ही कम कर रहे हैं, ताकि उन पर फैसला लेने का कोई दबाव न रहे।
वहीं, परिवार के करीबियों का मानना है कि जब 2013 में लालू यादव अपने उत्तराधिकारी की तलाश कर रहे थे, तब भी उन्होंने मीसा भारती और तेज प्रताप यादव के बदले तेजस्वी यादव को तरजीह दी थी। परिवार के एक करीबी सदस्य ने बताया कि तेजस्वी हमेशा लालू की पसंद रहे। हालांकि तब यह भी कहा गया कि राबड़ी देवी की पसंद उनके बड़े बेटे तेजप्रताप यादव हैं।
उधर मीसा भारती शुरू से राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश करती रहीं, लेकिन लालू ने इसका पहला बड़ा संकेत तब दिया, जब 2015 में मीसा की जगह उन्होंने तेजस्वी को तरजीह दी। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जब तीनों एक साथ लालू की विरासत लेने की कतार में थे, उस समय लालू यादव ने बड़ा जोखिम लेते हुए तेजस्वी को राघोपुर से उतारा,
जहां पिछली बार राबड़ी देवी सतीश राय से चुनाव हार चुकी थीं। वहीं राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि लालू यादव के न चाहने के बाद भी तेजप्रताप ने खुद दबाव देकर नीतीश सरकार में मंत्री पद हासिल किया था। लालू ने चुनाव के बाद मीसा भारती को राज्यसभा की सीट देकर उनकी भी अलग भूमिका तय कर दी। इसके बाद उन्होंने रोहिणी आचार्या को भी सियासत में लाने का प्रयास किया।
यही कारण है पिछले लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने मजबूरी में रोहिणी आचार्य को सारण लोकसभा सीट से टिकट दिया था। कहा जा रहा है कि संजय यादव के बगैर इशारे के तेजस्वी यादव कोई कदम नहीं उठाते हैं। यही कारण है कि राजद के अधिकतर विधायक मजबूरीवश संजय यादव को सलामी ठोकने को मजबूर हो रहे हैं।
सियासत के जानकारों की अगर मानें तो आज अगर लालू यादव का चेहरा सामने नहीं हो तो राजद में फूट पडने से कोई रोक नही सकता है। ऐसे में अगर भविष्य में लालू परिवार और राजद में अगर विद्रोह होता है तो उसका कारण संजय यादव हो सकते हैं। ऐसी चर्चा सियासी गलियारे में चलने लगी है।
बता दें कि हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के निवासी संजय यादव कहने को तो राज्यसभा सांसद हैं। लेकिन राजद में उनकी भूमिका रणनीतिकार और तेजस्वी के सबसे विश्वसनीय सलाहकार की है। तेजस्वी से उनकी दोस्ती क्रिकेट के दिनों से शुरू हुई थी।
बाद में लालू यादव के जेल जाने के बाद पटना लौटे तेजस्वी ने उन्हें राजनीति में भी साथ ले लिया। इस बीच रोहिणी आचार्या का संजय यादव के खिलाफ उनकी नाराजगी का सार्वजनिक होना न केवल पारिवारिक मतभेदों को उजागर करता है, बल्कि पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी असर डाल सकता है।