बिहार सियासत परिवारवादः जेल में विधायक जी और राजनीति में बेटा-बेटी और पत्नी?, सत्ता, टिकट और पद पर जब भी संकट आया तो...

By एस पी सिन्हा | Updated: September 9, 2025 15:08 IST2025-09-09T15:07:08+5:302025-09-09T15:08:38+5:30

Bihar Politics Nepotism: नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद सौंपकर जीतन राम मांझी से उनकी खटपट हुई, तब यह धारणा भी बनी कि लालू का निर्णय रणनीतिक रूप से गलत नहीं था।

Bihar polls siyasat pariwarwad Politics Nepotism MLA in jail son, daughter and wife in politics Whenever crisis power ticket and position... | बिहार सियासत परिवारवादः जेल में विधायक जी और राजनीति में बेटा-बेटी और पत्नी?, सत्ता, टिकट और पद पर जब भी संकट आया तो...

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Highlightsचारा घोटाले में जेल जाने से पहले लालू प्रसाद ने पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया।लालू के बच्चे राजनीति के लिए छोटे थे, विकल्प सीमित थे। उसी तरह रामविलास पासवान  संपूर्ण क्रांति से निकले।पशुपति पारस, रामचंद्र पासवान, मामा रामसेवक हजारी के बाद उनके पुत्र महेश्वर हजारी एवं उनका बेटा ने सियासत में कदम रखा।

पटनाः बिहार की सियासत में इन परिवारवाद का मुद्दा गर्माता जा रहा है। सियासत में परिवारवाद अब मजबूरी और रणनीति दोनों का नाम बन चुका है। जेल, हत्या या कानूनी पेंच हर हाल में नेता अपने परिवार को सत्ता की धारा से जोड़ते रहे हैं। इस तरह बिहार की सियासत में सत्ता, टिकट और पद पर जब भी संकट में आता है तो उनका समाधान अक्सर परिवार के भीतर ही खोजा जाता है। यह परंपरा राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से लेकर बाहुबली नेताओं और सियासी घरानों तक फैली हुई है। चारा घोटाले में जेल जाने से पहले लालू प्रसाद ने पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया।

उस समय परिवारवाद पर लंबी बहस छिड़ी। लेकिन बाद में जब नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद सौंपकर जीतन राम मांझी से उनकी खटपट हुई, तब यह धारणा भी बनी कि लालू का निर्णय रणनीतिक रूप से गलत नहीं था। उस समय लालू के बच्चे राजनीति के लिए छोटे थे, विकल्प सीमित थे। उसी तरह रामविलास पासवान  संपूर्ण क्रांति से निकले।

उन्होंने अपने भाई पशुपति पारस, रामचंद्र पासवान, मामा रामसेवक हजारी के बाद उनके पुत्र महेश्वर हजारी एवं उनका बेटा ने सियासत में कदम रखा। जबकि रामविलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान और भतीजा प्रिंस पासवान को राजनीति में उतारा। इसी तरह बिहार के बाहुबली नेताओं ने भी यही रास्ता अपनाया। अनंत सिंह चुनाव नहीं लड़ पाए तो उनकी पत्नी नीलम देवी विधायक बनीं।

राजो सिंह की राजनीतिक विरासत बेटों और बहुओं ने संभाली। पुत्र संजय सिंह, पुत्रवधू सुनीला देवी और फिर अगली पीढ़ी के सुदर्शन कुमार विधायक बने। तपेश्वर सिंह के बेटे अजय और अजीत सिंह राजनीति में रहे। अजीत की मृत्यु के बाद पत्नी मीना सिंह सांसद बनीं और बेटा विशाल सिंह सक्रिय हुए। अशोक महतो ने भी देर से शादी की ताकि पत्नी को टिकट मिले।

राजेश चौधरी की पत्नी गुड्डी देवी विधायक बनीं और अब राजेश खुद तैयारी में हैं। वहीं, अजय सिंह मुकदमों के कारण चुनाव नहीं लड़ पाए तो पत्नी कविता सिंह विधायक और फिर सांसद बनीं। रमेश कुशवाहा पर मुकदमे थे, जदयू ने उनकी पत्नी विजयलक्ष्मी को टिकट दिया और वे सांसद बनीं। शहाबुद्दीन के निधन के बाद पत्नी हिना शहाब राजनीति में आईं और अब बेटा ओसामा शहाब सक्रिय हैं।

बूटन सिंह की हत्या के बाद पत्नी लेसी सिंह राजनीति में आईं और आज मंत्री हैं। अजीत सरकार की हत्या के बाद पत्नी माधवी सरकार सामने आईं, विधायक बनीं। जबकि आनंद मोहन की गैरमौजूदगी में पत्नी लवली आनंद सांसद बनीं। इसके साथ ही उनका बेटा चेतन आनंद विधायक बने। उधर, लालू यादव की बेटी मीसा भारती राज्यसभा सांसद थी अब लोकसभा में सांसद हैं।

वहीं, बेटी रोहिणी आचार्य ने सारण से लोकसभा चुनाव लड़ा। लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पडा। जबकि पूर्व उप प्रधानमंत्री जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार लोकसभा अध्यक्ष बनीं। वहीं, जदयू नेता एवं मंत्री डॉ. अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी लोजपा(रा) के टिकट पर सांसद बनीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री श्रेयसी सिंह विधायक बनीं, जबकि उनकी मां पुतुल देवी पहले सांसद रह चुकी हैं।

फिलहाल बिहार की सियासत में परिवारवाद को लेकर खूब चर्चा हो रही है। उसी तरह बाहुबली पूर्व सांसद के जेल जाते ही उनका बेटा ने सियासत में कदम रख दिया है। जबकि उनके छोटे भाई विधायक रह चुके हैं। इसी कड़ी में राजद के बाहुबली विधायक राजबल्लभ यादव जब जेल गए तो पत्नी को विधायक बना दिया। वहीं राजद विधायक अरुण यादव जेल गए तो अपनी पत्नी को विधायक बनवा दिया।

इसतरह के अनेकों उदाहरण सामने हैं। इस बीच जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद नीरज ने कहा कि परिवारवाद को लेकर राजनीति हो रही हैं। लेकिन, नीतीश कुमार पर कोई आरोप नहीं लगा सकता। उन्होंने कहा कि जेल जाते ही नेता अपने परिवार को आगे कर देते हैं। लालू प्रसाद उसके ज्वलंत उदाहरण हैं।

वहीं, राजद प्रवक्ता एजाज अहमद कहते हैं कि लालू परिवार को जनता का आशीर्वाद मिला है, इसलिए परिवारवाद की बात नहीं आती। उधर, आनंद मोहन ने कहा कि इसे परिवारवाद की सियासत नही कही जा सकती। अगर नेताओं के परिवार में क्षमता है और वह जनता के हित में काम करते हैं तो जनता उन्हें अपना प्रतिनिधि बनाती है।

वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा कि राजनीति में परिवारवाद की जनक कांग्रेस क कहा जा सकता है। उसके बाद अब लालू यादव का परिवार सामने है। राजद ने तो इसकी सारी सीमाएं लांघते हुए सभी अपराधियों के परिवार वालों को टिकट दे दिया। खुद भी जेल जाने के बाद अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया। इससे राजनीति के स्तर में गिरावट देखी जा रही है।

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