Bihar Polls: भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति के काट में राजद ने शुरू किया जात-पात की राजनीतिक मुहिम, 65 प्रतिशत आरक्षण को लेकर तेजस्वी ने दिया धरना
By एस पी सिन्हा | Updated: March 9, 2025 16:36 IST2025-03-09T16:36:51+5:302025-03-09T16:36:57+5:30
तेजस्वी यादव यह धरना 65 प्रतिशत आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजद नेताओं के साथ धरना दिया। तेजस्वी के साथ राजद के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे। सबके हाथों में एक पोस्टर था जिसपर लिखा था-16 प्रतिशत आरक्षण की चोरी करना बंद करो।

Bihar Polls: भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति के काट में राजद ने शुरू किया जात-पात की राजनीतिक मुहिम, 65 प्रतिशत आरक्षण को लेकर तेजस्वी ने दिया धरना
पटना:बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा की राजनीति हिंदुत्व की ओर है तो वहीं दूसरी ओर राजद ने इसकी काट में जात-पात की राजनीति करने की कवायद में जुट गई। इसी कड़ी में राजधानी पटना में रविवार को प्रदेश राजद कार्यालय के सामने कार्यकर्ताओं के साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सुबह सुबह हाथ में पोस्टर लेकर बैठे। तेजस्वी यादव यह धरना 65 प्रतिशत आरक्षण को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए राजद नेताओं के साथ धरना दिया। तेजस्वी के साथ राजद के तमाम वरिष्ठ नेता मौजूद थे। सबके हाथों में एक पोस्टर था जिसपर लिखा था-16 प्रतिशत आरक्षण की चोरी करना बंद करो।
धरना पर बैठे तेजस्वी यादव ने कहा कि हमारी सरकार द्वारा बिहार में बढ़ाई गई 65 फीसदी आरक्षण सीमा को रोक देने से अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 16 फीसदी आरक्षण का सीधा नुकसान हो रहा है, जिससे इन वर्गों के 50,000 से अधिक युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। टीआरई-3 शिक्षक नियुक्ति के तीसरे चरण में भी आरक्षण लागू नहीं होने से इन वर्गों के हजारों अभ्यर्थियों को हजारो नौकरियों का नुकसान हुआ।
उन्होंने कहा कि हमारे नेता तेजस्वी यादव के 17 महीनों के अल्प सुनहरे कार्यकाल में जातिगत गणना के उपरांत दलितों-आदिवासियों और पिछड़ों-अति पिछड़ों के लिए बढ़ाए गए 65 फीसदी आरक्षण को भाजपा-एनडीए की केंद्र सरकार ने संविधान की नौवीं अनुसूची में नहीं डाला और केस में फंसा दिया। ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव की राजनीतिक रणनीति भी साफ दिख रही है।
ऐसे समय में जब बिहार में बाबा बागेश्वर आचार्य धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, श्री श्री पंडित रविशंकर और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की बिहार में मौजूदगी है, और हिंदुत्व का भाव जनमानस में उफान पर है और इसकी आड़ में हिंदुत्व की राजनीति भी परवान पर है, ऐसे में तेजस्वी यादव इसकी काट की कवायद ढूंढ निकाला है।
बता दें कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार के समय पिछड़े वर्ग के लिए 65 फीसदी कोटा किया गया था। हालांकि, इसे पटना हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में अभी भी इस मामले की सुनवाई चल रही है। वहीं दूसरी ओर विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगा है।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार खुद ही आरक्षण को नहीं बढ़ाना चाहती है। तेजस्वी ने बिहार विधानसभा में भी इस मुद्दे को उठाया था। जानकारों की मानें तो तेजस्वी यादव ने अब उसे मुद्दे को उठा लिया है जो बिहार की अधिकांश जनता के मानस को गहरे तक छूता है। यह मुद्दा महागठबंधन और लालू यादव की राजनीति के हक में पहले भी परिणाम दे चुका है और अब तेजस्वी यादव ने भी इसको हथियार बनाने का ठान लिया है।
राजनीति के जानकार कहते हैं कि पटना राजद कार्यालय के सामने आरक्षण के मुद्दे को लेकर राजद कार्यकर्ताओं के साथ उनका धरना देना सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम ना समझा जाए, यह उनकी लंबी प्लानिंग है और बिहार में फिर एक बार आरक्षण का मुद्दा गर्म होने जा रहा है। राजनीति के जानकार इसके पीछे की वजह महागठबंधन के सामने मजबूत पिच पर खड़े एनडीए की राजनीतिक रणनीति के काट के तौर पर देख रहे हैं।