राजद पर हाइड्रोजन बम?, मुख्यमंत्री उसी पार्टी का बनेगा, जिसके पास बहुमत आएगा, कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह बोले- राहुल गांधी ने मतदाता अधिकार यात्रा को सफल बनाया
By एस पी सिन्हा | Updated: September 2, 2025 15:40 IST2025-09-02T15:39:05+5:302025-09-02T15:40:55+5:30
मतदाता अधिकार यात्रा से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने बिहार की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी।

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पटनाःबिहार में मतदाता अधिकार यात्रा समाप्त होते ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी के हाइड्रोजन बम को राजद के माथे पर ही फोड दिया है। बिहार में इंडिया गठबंधन में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर दिग्विजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री उसी पार्टी का बनेगा, जिसके पास बहुमत आएगा। कौन मुख्यमंत्री बनेगा, अगर हम लोग तय कर लेंगे तो आप क्या करेंगे? इसलिए इंतजार कीजिए। उन्होंने कहा कि इंतजार करिए हाइड्रोजन बम का। दरअसल, यात्रा के समापन के बाद महागठबंधन के अंदर एक बार फिर से सीट शेयरिंग को लेकर घमासान की स्थिति बनती जा रही है। हालांकि मतदाता अधिकार यात्रा को सफल बनाने में राजद नेता तेजस्वी यादव ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी थी, लेकिन पूरा श्रेय कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लेकर चले गए।
हालात यह है कि कांग्रेसी कार्यकर्ता तो इसे सिर्फ राहुल गांधी की यात्रा बता रहे हैं। पार्टी नेता और कार्यकर्ता यात्रा की सफलता से फूले नहीं समा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस का यह आत्मविश्वास राजद अध्यक्ष लालू यादव और तेजस्वी यादव को भारी पड़ सकता है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी अब राजद से बराबरी का सीट चाहती है। वह कम से कम 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का विचार कर रही है।
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के रणनीतिकार अब बिहार में अपने लिए 90 सीट चाहते हैं। सोमवार को कांग्रेस के कुछ राष्ट्रीय नेताओं ने पटना के एक होटल में अपनी अनौपचारिक बैठक की थी, जिसमें इस तरह की चर्चा हुई थी। बैठक में राष्ट्रीय स्तर के कुछ नेताओं ने अब 70 की जगह 90 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था। प्रदेश स्तरीय नेतृत्व ने भी इसका समर्थन किया।
अब महागठबंधन के फोरम पर इसको लेकर कांग्रेस नेता अपनी बात रखेंगे। उल्लेखनीय है कि मतदाता अधिकार यात्रा से पहले ही कांग्रेस पार्टी ने बिहार की 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही थी। पार्टी ने जिन 90 सीटों को चिन्हित किया था, उन्हें तीन कैटेगरी में विभाजित कर रखा है। जिसमें ’ए’ कैटेगरी में 50 सीटें तो वहीं ’बी’ और ’सी’ कैटेगरी में 18-18 सीटों को रखा गया था।
4 सीटों को भी रिजर्व किया गया था। ’ए’ कैटेगरी में वो सीटें थीं, जिन पर कांग्रेस पार्टी अच्छा प्रदर्शन करती आई है। उस वक्त राजद ने सिर्फ 50 सीटें देने की बात कही थी। जिसके बाद बिहार कांग्रेस के नेता 70 सीटों पर अड़े हुए थे। इसके बाद पार्टी ने राहुल गांधी की मतदाता अधिकार यात्रा को डिजाइन किया और इसके तहत 110 सीटों को कवर किया।
अब कहा जा रहा है कि पार्टी इनमें से ही 90-100 सीटों पर अपना दावा ठोक सकती है। दरअसल, कांग्रेस अब बिहार में राजद का पिछलग्गू होने का तमगा छोडना चाहती है। इसी कड़ी में कांग्रेस बिहार में अपनी खोई हुई जमीन को वापस लेने की रणनीति पर काम करने लगी है। शायद यही कारण है कि राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश करने से परहेज किया।
ऐसे में अब संभावना यह भी जताई जाने लगी है कि अगर राजद कांग्रेस को मन मुताबिक सीटें नहीं देती है तो वह अन्य विकल्पों पर भी विचार कर सकती है। मसलन वीआईपी के साथ जाकर चुनावी ताल ठोकना भी हो सकता है। ऐसी स्थिति में उसका खोया हुआ जनाधार भी वापस लौट सकता है। हालांकि कांग्रेस अभी अपने पत्ते नहीं खोलना चाहती है और वह सधी हुई चाल चलने लगी है।